Fateh Review: हीरो है मारेगा, ये तो पता था पर ऐसे मारेगा इसका अंदाजा नहीं था. जी हां, फतेह सिंह का कमाल एक्शन आपको एक मिनट भी पलकें झपकाने का मौका नहीं देगा. साइबर क्राइम का पर्दाफाश करने सोनू सूद आ गए हैं. एक्शन, एक्शन और एक्शन तो आपको सोनू सूद की फतेह में दिखेगा ही. साथ ही साइबर क्रिमिनल्स के खिलाफ इस फिल्म से धावा बोला गया है. इंडियन जॉन विक लग रहे सोनू सूद की तारीफ इस बार उनकी एक्टिंग, एक्शन और डायरेक्शन तीनों के लिए ही करनी पड़ेगी.


कहानी
पंजाब के मोगा में सोनू सूद का किरदार 'फतेह सिंह' शांत सी जिंदगी बिताने वाला एक शख्स है जिसकी जिंदगी तब एक भयानक मोड़ ले लेती है जब वो अपने पिंड की लड़की निमरित कौर की जिंदगी में चल रही उलझने सुलझाने निकलता है. निमरित कौर एक मोबाइल की दुकान चलाती है और साथ ही एक और काम बहुत जनून से करने की कोशिश करती है और वो है अपने गांव के लोगों को साइबर फ्रॉड से बचाने का. लेकिन अफसोस गांव का एक शख्स साइबर क्राइम का शिकार होकर अपनी जान दे देता है और निमरित बाकी गांव वालों को इसका शिकार होने से बचाने के लिए दिल्ली निकल जाती है. 


दिल्ली आकर निमरित गुम हो जाती है और फिर उसे ढूंढने आता है फतेह सिंह. निमरित को ढूंढते-ढूंढते फतेह सिंह को पता चलता है कि साइबर क्राइम का जाल देश में कितनी बुरी तरह फैला हुआ है. कैसे लोग इसका शिकार हो रहे हैं. बस यहीं से शुरू होती है फतेह सिंह की साइबर क्राइम के खिलाफ जंग. कैसे फतेह सिंह इस तेजी से फैल रहे फ्रॉड के मुख्य विलेन राज तक पहुंचता है इसी पर फिल्म के सेकेंड हाफ की कहानी है. 


कहानी में आगे बढ़ते हुए फतेह सिंह की पास्ट लाइफ के बारे में भी दिखाया जाता है कि कैसे वो देश की एजेंसी के लिए काम करता था और यहीं से आपको ये रेफरेंस भी मिल जाएगा कि फतेह सिंह इतनी अच्छी तरह कैसे फाइट कर सकता है. फिल्म की कहानी अच्छी है, एक ऐसे मुद्दे को हाईलाइट किया गया है जो बढ़ती टेक्नॉलजी के साथ वाकई में लोगों के लिए खतरा है. साइबर फ्रॉड, डीपफेक वीडियोज जैसी चीजें इसमें दिखाई गई हैं.


कैसी है फिल्म
फतेह में कहानी है, एक मुद्दा यानी प्लॉट है साथ में काफी जबरदस्त एक्शन भी है. अच्छी बात ये है कि सिर्फ एक्शन को हाइलाइट करने के लिए कहानी के साथ समझौता नहीं किया गया. फिल्म में एक मुद्दा होना जरूरी है जो कि है भी. हालांकि कहानी की शुरुआत थोड़ी बेहतर की जा सकती थी. कैसे निमरित का किरदार गांव में रहते हुए साइबर क्राइम का पर्दाफाश करने के लिए उतारू है ये थोड़ा बेहतर तरीके से दिखाया जा सकता था. लेकिन अगर फिल्म में दिखाए एक्शन की बात करें तो वो काफी बेहतरीन है. सोनू सूद स्क्रीन पर एक्शन करते हुए एकदम नैचुरल नजर आते हैं. 


कई एक्शन सीक्वेंस और फाइटिंग स्टाइल आपको हॉलीवुड के किरदार जॉन विक और रणबीर कपूर की एनिमल की याद दिला सकते हैं. फिल्म में जो छोटे-छोटे सटल गिग्स हैं वो आपको बीच-बीच में हंसाते भी हैं. फिल्म के आखिर में हनी सिंह का गाना 'हिटमैन' भी है जिसके लिए आप थिएटर में थोड़ी ज्यादा देर के लिए रुक सकते हैं. कुल मिलाकर कहें तो ये फिल्म सोनू सूद के करियर लिए एक टर्निंग पॉइंट साबित हो सकती है.


एक्टिंग
फतेह सिंह के किरदार में सोनू सूद कमाल लगे हैं. कैरेक्टर के हिसाब से उनकी बॉडी लैंग्वेज, उनका कॉन्फिडेंस काफी अच्छा है. ना वो ओवर हैं और ना ही वो अंडर हैं.वहीं अगर बात जैकलीन फर्नांडिस की करें तो वो एथिकल हैकर का किरदार कर रही हैं.


जैकलीन की एक्टिंग एवरेज है, हैरान करने वाली बात ये है कि वो इतने साल हिंदी सिनेमा में काम करने के बावजूद अपने एक्सेंट पर काम नहीं कर पाईं. दिल्ली की लड़की जब अमेरिकन एक्सेंट में बात करती है तो वो आपको अटपटा लग सकता है.


वहीं फिल्म में दो बड़े चेहरे हैं- एक हैं नसीरुद्दीन शाह और दूसरे हैं विजय राज. कम स्क्रीन टाइम लेकिन अपनी जगह बना लेने वाले किरदार. नसीरुद्दीन शाह का किरदार राज इस कहानी का मुख्य विलेन है. इसी के लिए काम करता है विजय राज का किरदार. दोनों ही एक्टर्स कहानी में बखूबी फिट होते हैं और अपनी एक्टिंग से इंप्रेस कर देते हैं.


डायरेक्शन
फतेह से सोनू सूद ने अपना डायरेक्टोरियल डेब्यू किया है और एक्टिंग के साथ-साथ डायरेक्शन से भी वो आपका दिल जीत लेंगे. डायरेक्शन के मामते में फिल्म किसी हॉलीवुड एक्शन फिल्म से कम नहीं लगती है. हालांकि इसे इमोशनली रिच और ज्यादा बनाया जा सकता था लेकिन अगर एक्शन सीक्वेंस में डायरेक्शन की बात करें तो काम शानदार है. बिना किसी कट के लंबे-लंबे वन टेक एक्शन सीन आपकी ग्रिप कमजोर नहीं होने देंगे.


स्टार
5 में से 3.5 स्टार


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