Fighter Movie Review: 26 जनवरी पर बॉलीवुड वाले देशभक्ति पर बनीं फिल्में लाते हैं और देश प्रेम के इमोशन को भुनाने की पूरी कोशिश करते हैं. इस बार डायरेक्टर सिद्धार्थ आनंद ने ये किया है. ऋतिक दीपिका और अनिल कपूर जैसे बड़े सितारों के साथ वो फाइटर लाए हैं और 26 जनवरी पर ये परफेक्ट वॉच है.


कहानी 
फिल्म की कहानी पुलवामा अटैक के बाद इंडियन एयरफोर्स के बदले की है. कैसे पाकिस्तान को उसके घर में घुसकर मारा गया लेकिन इसमें कुछ और भी ट्विस्ट एंड टर्न डाल दिए गए हैं. ऋतिक फाइटर पायलट हैं लेकिन उनके सीनियर अनिल कपूर उनसे नाराज रहते हैं. दीपिका भी पायलट हैं लेकिन उनके परिवार ने उन्हें शहीद मान लिया है. ये कहानियां देश भक्ति के रंग मैं कैसे डूबी और जुड़ी हुई है ये देखने के लिए थिएटर चले जाइए.


कैसी है फिल्म
फर्स्ट हाफ में स्टाइल ज्यादा है इमोशन कम. ऋतिक दीपिका की केमिस्ट्री कमाल लगती है. फाइट सीन ठीक हैं लेकिन पहला मिशन जल्दी में करवा दिया जाता है. सेकेंड हाफ में मजा आता है. फिल्म इमोशनल करती है. पाकिस्तान में जब आतंकी को ऋतिक जय हिंद कहते हुए मारते हैं तो तालियां बजती हैं. दीपिका के पायलट बनने से नाराज उनके पापा को जब ऋतिक उनकी बेटी के बारे में बताते हैं तो आपको देश की कामयाब बेटियों पर नाज होता है. सेकेंड हाफ में फिल्म में ज्यादा दम नजर आता है. फिल्म तकनीकी रूप से एवरेज लगती है लेकिन इमोशन और देशभक्ति डालकर उसे बैलेंस कर दिया गया है.


एक्टिंग
ऋतिक कमाल के लगे हैं और उनकी एक्टिंग भी अच्छी है. ऋतिक की स्क्रीन प्रेजेंस गजब है. उन्हें स्क्रीन पर देखकर ही मजा आ जाता है. दीपिका को यूनिफॉर्म मैं देखकर काफी अच्छा लगता है. उनकी एक्टिंग भी अच्छी है. मुझे सबसे ज्यादा इंप्रेस दीपिका ने ही किया. अनिल कपूर शानदार हैं. करण सिंह ग्रोवर इंप्रेस करते हैं. अक्षय ओबेरॉय अपनी छाप छोड़ जाते हैं. फिल्म की कास्टिंग अच्छी है और इसका क्रेडिट मुकेश छाबड़ा को दिया जाना चाहिए.


डायरेक्शन
सिद्धार्थ आनंद इससे पहले पिछले साल पठान बना चुके हैं और इस बार उन्होंने थोड़ा बेहतर काम किया है. हालांकि अगर वो स्क्रीनप्ले पर और थोड़ा ध्यान देते तो यह और बेहतर फिल्म बनती. एक जगह हवा में इंडियन और पाकिस्तानी पायलट बात करते हैं. ये कैसे संभव है और भी कुछ चीजें थोड़ी ड्रमैटिक लगती हैं.


म्यूजिक
संचित बल्हारा और अंकित बल्हारा का म्यूजिक फिल्म को और बेहतर बनाता है. गाने सुकून देते हैं. फिल्म की पेस तोड़ते नहीं. कुछ गाने अब लोगों की प्लेलिस्ट का हिस्सा बन जाएंगे.


कुल मिलाकर इस फिल्म को देखा जा सकता है. फिल्म में कुछ ऐसी चीजें हैं जो हजम नहीं होती लेकिन सिनेमैटिक लिबर्टी के नाम पर हर फिल्ममेकर ऐसा करता है. देशभक्ति और इमोशन डालकर उसे बैलेंस कर दिया गया है.


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