Game Changer Review: पिछले 25 सालों से दक्षिण भारतीय सिनेमा को कई बेहतरीन फिल्में देने वाले डायरेक्टर शंकर गेम चेंजर फिल्म से तेलुगु सिनेमा में डेब्यू कर रहे है. राम चरण भी आरआरआर के बाद अपनी सोलो फिल्म लेकर आ रहे हैं. 


कहानी 

कहानी है एक ईमानदार अफसर और भ्रष्ट नेता के बीच. पुलिस डिपार्टमेंट में काम करने के बाद राम नंदन (राम चरण) आईएएस पास करके कलेक्टर बन जाता है।. ऐसा करने के पीछे कारण है, उसकी गर्लफ्रेंड दीपिका (कियारा आडवाणी), जो चाहती है कि वह अपना गुस्सा सही दिशा में दिखाए. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री सत्यमूर्ति (श्रीकांत) का बेटा मोपीदेवी (एज सूर्या) पिता को हटाकर खुद मुख्यमंत्री बनने के सपने देख रहा है लेकिन सत्यमूर्ति मरने से पहले अपने बेटे की बजाय राम नंदन को मुख्यमंत्री पद पर बिठा देता है. ऐसा करने के पीछे खास कारण है, जिसका खुलासा इंटरवल के बाद होता है. उसका जिक्र करना यहां भी सही नहीं होगा. 

 

कैसी है फिल्म?

फिल्म ऊबाऊ है, लंबी है और बहुत लाउड है. वैसे लाउड तो पुष्पा 2 : द रूल भी थी, लॉजिक की उम्मीद उसमें भी नहीं की गई थी, लेकिन फिल्म एंटरटेनिंग थी. जिसके लिए दर्शक थिएटर आते हैं. गेम चेंजर इस मामले में कमजोर साबित होती है. बताया गया है कि फिल्म लगभग 450 करोड़ रुपये में बनी है. उनमें काफी खर्च लगता है गानों पर ही कर दिया गया है. एक्शन दमदार है, लेकिन ऐसा नहीं कि चौंकाए. क्लाइमेक्स से बेहतर फाइट तो रामचरण फिल्म के शुरू में अपनी एंट्री सीन में करते हैं. बाकी फिल्म का सेट शानदार है, जिसके लिए शंकर जाने जाते हैं. तकनीकी तौर पर शंकर काफी प्रयोग करते हैं, हालांकि इसमें उसकी कमी दिखती है. कॉमेडी भी बहुत पुराने स्टाइल की है, जो कहानी के साथ नहीं बल्कि अलग से किसी-किसी सीन में आ जाती है. कहीं कहीं लगता है कि फिल्म नायक जैसी बन रही है, जहां फिल्म का हीरो एक झटके में किसी को भी उसकी नौकरी से बर्खास्त कर देता है. फिल्म की कहानी अगर आज की पीढ़ी के अनुसार अच्छी लिखी गई होती, तो शायद यह बेहतर फिल्म बन सकती थी.    

 

एक्टिंग

आरआरआर फिल्म के बाद रामचरण की यह सोलो फिल्म है. पूरी जिम्म्दारी उनके मजबूत कंधों पर थी, जिसे रामचरण ने निभाया भी है. वह फिल्म में डबल रोल में हैं। इंटरवल के बाद जो रोल उन्होंने निभाया है, उसमें वह चौंकाएंगे. एक्शन सीन से लेकर इमोशनल सीन तक वह साबित करते हैं कि वह सुपरस्टार क्यों हैं. समझ लीजिए कि अगर फिल्म में कुछ देखने लायक है, तो वह केवल रामचरण ही हैं. कियारा आडवाणी सिर्फ सुंदर लगी हैं. बाकी उनके लिए कुछ खास फिल्म में नहीं था. करप्ट नेता के निगेटिव रोल में एस जे सूर्या प्रभावित करते हैं.   

 

डायरेक्शन और राइटिंग

शंकर ने फिल्म का निर्देशन और स्क्रीनप्ले किया है. उनकी फिल्मों में कोई न कोई मैसेज होगा, यह लगभग तय होता है. उनकी पिछली फिल्म इंडियन 2 में भी भ्रष्टाचार के खिलाफ इंडियन खड़ा होता है. इसमें एक ईमानदार अफसर और भ्रष्ट राजनेता के बीच टक्कर है, मतदान का महत्व समझाया गया है, उसके बावजूद फिल्म इंपैक्ट नहीं डालती है. कहानी नई नहीं है खुद शंकर की ही फिल्मों में ऐसी कहानी मिल जाएगी. एक आईपीएस का पहले आईएएस, फिर मुख्यमंत्री और उसके बाद इलेक्शन आफिसर बन जाना, हेलीकाप्टर से आना-जाना, वह काम करना जो उसके सीमाओं से बाहर है, देखकर लगता है कि शंकर किस जमाने की फिल्म लेकर आए हैं. यह सारी जानकारियां इंटरनेट पर मौजूद है, ऐसे में रिसर्च की कमी साफ दिखती है. 

 

म्यूजिक 

गानों के वीडियो, उसके प्रोडक्शन पर निर्माताओं ने अच्छे खासे पैसे खर्च किए हैं. खासकर जरागंडी औक धूप गाने पर लेकिन अगर आप सोच रहे हैं कि उसके लिरिक्स गुनगुनाते हुए बाहर निकलेंगे, तो ऐसा कुछ नहीं होगा. थिएटर छोड़ते ही गाने भी हवा हो जाते हैं. 

 

रेटिंग – दो स्टार