(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Gehraiyaan Review: न कहानी में रोमांच न किरदारों में जान, दीपिका को छोड़ कोई पैदा नहीं कर पाया असर
Gehraiyaan Movie Review: गहराइयां के ट्रेलर (Gehraiyaan Trailer) से जो उम्मीदें जागती हैं, वह फिल्म में डूब जाती हैं. दीपिका पादुकोण (Deepika Padukone) को छोड़ बाकी ऐक्टर शौकिया काम करते नजर आते हैं.
शकुन बत्रा
दीपिका पादुकोण, सिद्धांत चतुर्वेदी, अनन्या पांडे, धैर्य करवा, रजत कपूर, नसीरूद्दीन शाह
Deepika Padukone, Ananya Panday And Siddhant Chaturvedi Starrer Gehraiyaan Review n Hindi: महाराष्ट्र में एक कहावत चलती हैः अलीबाग से आया है क्या. किसी व्यक्ति को मूर्ख कहने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है. 2019 में अलीबाग के रहने वाले एक व्यक्ति ने बॉम्बे हाईकोर्ट में इस कहावत को बैन करने की याचिका लगाई थी और कोर्ट ने यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि ऐसी बातों से अपमानित नहीं होना चाहिए क्योंकि संता-बंता जैसे किरदारों से लेकर तमाम समुदायों पर चुटकुले बनते हैं, यह सिर्फ हंसी-मजाक है. गहराईयां (Gehraiyaan) देख कर दो बातें लगती हैं, या तो इसके राइटर-डायरेक्टर अलीबाग से आए हैं या फिर वे तमाम दर्शकों को अलीबाग का समझते हैं. अमेजन प्राइम (Amazon Prime) पर रिलीज हुई इस फिल्म के ट्रेलर ने लोगों में खूब उत्सुकता पैदा की थी क्योंकि फिल्म की दोनों हीरोइनें (Actress) समंदर किनारे बिकनी में दिखने के साथ लीड हीरो के संग अंतरंग दृश्यों में नजर आ रही थीं. विश्वास कीजिए कि जितना ट्रेलर में है, कमोबेश उतना ही फिल्म में है. एक्स्ट्रा कुछ नहीं.
अब रही बात कहानी की. तो बॉलीवुड फिल्मों (Bollywood Movies) की घिसी-पिटी, हवा-हवाई बातें यहां हैं. मुंबई (Mumbai) में अपने जीवन और करियर से नाखुश अलीशा (Deepika Padukone) आठ साल से करन (Dhairya Karwa) के साथ लिव-इन में है. उसके जीवन में रोजमर्रा का संघर्ष है. किराये का मकान है. पैसा नहीं है मगर महत्वाकांक्षाएं हैं. उसकी चचेरी बहन तान्या (Ananya Panday) और उसका मंगेतर जेन (Siddhant Chaturvedi) अमेरिका से मुंबई आते हैं. दोनों अरबपति हैं. जेन रियल-एस्टेट बिजनेस में है और अलीबाग में सैकड़ों करोड़ का प्रोजेक्ट डेवलप कर रहा है, जो पूरी फिल्म में नजर नहीं आता. चारों अलीबाग में कुछ अच्छे पल बिताने जाते हैं. वहां फ्लर्ट करते-करते अलीशा-जेन एक-दूसरे के नजदीक आ जाते हैं. इसके बाद कहानी उनके चुंबनों, आलिंगनों और अंतरंग पलों से दर्शक में उत्तेजना जगाने की कोशिश करती हुई, बोरियत के रास्ते पर बढ़ जाती है और कछुआ चाल से चलती है. अलीशा-जेन सच्चे प्यार की कसमें खाते हैं और अलीशा प्रेग्नेंट हो जाती है. उधर, जेन के प्रोजेक्ट को झटके लगते हैं. वह किसी भी पल डूब सकता है. ऐसे में अलीशा-जेन का प्यार कितना सच्चा साबित होगा या नई झंझटें आएंगी. गहराईयां इन्हीं बातों को टटोलने की कोशिश करती है.
फिल्म में ऐसा कुछ नहीं है जिससे आम ऑडियंस कनेक्ट हो. मेट्रो के नकली-बनावटी किरदार, दिखावे की यॉट से लेकर फाइव स्टार होटल, महंगी शराब, चिकने बाथटब, गद्देदार बिस्तर, करोड़ों-करोड़ की हाई-फाई बातें मिलाकर फिल्म को उठाने के बजाय गहराईयों में डुबो देती है. फिल्म की रफ्तार बहुत सुस्त और किरदार हमेशा रोते हुए-से हैं. एक में भी आपको कोई जीवन-ऊर्जा नहीं दिखती. अलीशा (Alisha) सदा उदास है. करन घर बैठा फ्लॉप-बेरोजगार राइटर है. जेन का आत्मविश्वास नकली है. तान्या छोटी रईस बच्ची जैसी है, जिसकी जिंदगी का कोई लक्ष्य यहां नहीं है. इन सबकी बैक-स्टोरी भी कोई उत्सुकता नहीं पैदा करती. ये लोग टूटे-बिखरे परिवारों से हैं और जब मिलते हैं, तब शराब पीते हैं. बेसिर-पैर की बातें करते हैं.
लेखक न तो किरदारों में कोई जान डाल पाने में सफल हैं और न ही उन्होंने कहानी में रोचक मोड़ पैदा किए हैं. फिल्म का एकमात्र थ्रिल-मोमेंट जब पैदा होता है, तब तक देर हो चुकी होती है. हालांकि उसके आगे भी लेखक-निर्देशक कहानी को सही ढंग से नहीं संभाल पाए. पूरी फिल्म में एकमात्र किरदार जो कुछ प्रभाव छोड़ता है, वह है अलीशा. दीपिका पादुकोण (Deepika Padukone) ने इसे वाकई खूबसूरती और मेहनत से निभाया है. उन्हें देखकर नहीं लगता कि वह अपनी तरफ से कोई कसर बाकी रख रही हैं. सीन-दर-सीन यहां उन्हें आप ग्रो करते देखते हैं और अंत में गहराईयां सिर्फ दीपिका (Deepika) के अभिनय के लिए याद रह जाती है.
निश्चित ही यह उनके करियर के सबसे अच्छे परफॉर्मेंस में से एक है. लेकिन सिद्धांत चतुर्वेदी (Siddhant Chaturvedi) बहुत निराश करते हैं. वह न अपने अभिनय से, न हाव-भाव से और न बॉडी लैंग्वेज से आकर्षित कर पाते हैं. पिछले साल बंटी और बबली-2 में भी उनका यही हाल था. फिल्म में एक भी सीन नहीं जिसमें, अनन्या (Ananya) प्रभावी नजर आई हों. धैर्य करवा को लेखक-निर्देशक ने चौथे दर्जे का बना दिया, जबकि उनके हिस्से अनन्या (Ananya) से बेहतर समय आ सकता था.
निःसंदेह फिल्म को अच्छे से शूट किया गया है. कैमरा वर्क बढ़िया है लेकिन संपादन से इसे ज्यादा कसे जाने की जरूरत थी. गीत-संगीत औसत है. कुल मिलाकर ढाई घंटे से कुछ कम की गहराईयां (Gehraiyaan Movie) ऐसी फिल्म है, जिसे आप बहुत जरूरी समझें तो फास्ट-फॉरवर्ड मोड पर देख सकते हैं. जितना समय यह लेती है, बदला में वैसा कुछ कीमती लौटाती नहीं. दस साल में निर्देशक शकुन बत्रा (Shakun Batra) की यह तीसरी फिल्म है और इसे देखकर भी आप उनमें विश्वास नहीं कर सकते.
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