Heeramandi Review: हीरामंडी आदत नहीं जो छोड़ी जाए, हीरामंडी किस्मत है और किस्मत छोड़ी नहीं जाती, लेकिन क्या बदली जा सकती है, ये इसी वेब सीरीज का डायलॉग है, क्या भंसाली की ये वेब सीरीज ग्रैंडनेस के मामले में ओटीटी की किस्मत बदलेगी, क्या भंसाली कुछ नया लाए हैं? क्या अच्छा है इसमें और क्या कमी रह गई?


कहानी
 ये कहानी है पाकिस्तान के लाहौर में सजने वाली हीरामंडी की, लेकिन यहां सिर्फ मुजरा ही नहीं होता, नवाबों को तहजीब सिखाई जाती हैं, इश्क सिखाया जाता है, बड़े घरानों के लोग अपने नौजवानों को खुद यहां भेजते हैं, लेकिन यहां तवायफों के बीच राजनीति भी हो रही है, मल्लिका जान यानी मनीषा कोइराला और फरीदन यानी सोनाक्षी के बीच एक जंग चल रही है, मल्लिका जान अपनी ही बेटी की दुश्मन क्यों बन गई हैं आलमजेब यानी शर्मिन सहगल की दुश्मन क्यों बन गई? ऋचा चड्ढा यानी लज्जो, अदिति राव हैदरी यानी बिब्बो जान और संजीदा शेख यानी वहीदा कैसे इस जंग को और पेचीदा बना देती हैं, साथ ही आजादी की जंग भी चल रही है, उसका इन तवायफों से कितना लेना देना है, ये सारे सवाल आपको ये वेब सीरीज देखकर मिल जायेंगे.


कैसी है सीरीज
ये कहना नया नहीं होगा कि ये ग्रैंड है, इसमें बड़े सेट हैं, महंगे कपड़े हैं, शानदार ज्वैलरी है, भंसाली हैं तो ये सब होगा ही, इस सीरीज के 8 एपिसोड हैं जो लगभग 1-1 घंटे के हैं, शुरुआत से सीरीज आपको बांध लेती है, अच्छे वन लाइनर्स आते हैं, कई डायलॉग काफी हार्ड हिटिंग हैं, एक जगह मनीषा कोइराला कहती हैं - मर्द वो होता है को औरत पर नजर भी इज्जत से उठाए, तूने तो हाथ उठा डाला, एक डायलॉग है- औरत के असली दुश्मन उसके ख्वाब होते हैं, एक डायलॉग है - इश्क कटने से कहां डरता है, इश्क तो मारकर ही इश्क करता है. इस तरह के डायलॉग आपको बांधकर रखते हैं, लेकिन फिर कुछ एपिसोड के बाद कहानी बिखरती है, आप कहानी के तार जोड़ नहीं पाते, स्क्रीनप्ले की कमी दिखाई देती है, लेकिन इससे पहले की आप सीरीज बंद कर दें कोई अच्छा सीन आ जाता है, कहीं कहीं स्क्रीनप्ले का बिखराव इस सीरीज की बड़ी कमी है लेकिन इसकी ग्रैंडनेस दिलचस्पी बनाए रखती है, मनीषा और सोनाक्षी के बीच टकराव के सीन अच्छे हैं, आप आजादी से पहले के दौर में पहुंच जाते हैं, आप तवायफों का वो अंदाज देखते हैं जो अनोखा और अनदेखा है. कुल मिलाकर कुछ कमियों के बावजूद ये वेब सीरीज देखने लायक है.


एक्टिंग
मनीषा कोइराला ने शानदार काम किया है, ऐसा लगता है उन्होंने मल्लिका जान को जिया है, उनका ये अंदाज कभी नहीं देखा था, भंसाली ने उनकी एक्टिंग को एक नया मुकाम दिया है, सोनाक्षी सिन्हा बहुत मजबूत तरीके से उभरी हैं, उनके टैलेंट को भंसाली ने तराश दिया है, इस सीरीज की खोज हैं शर्मिन सहगल जिन्होने कमाल का काम किया है, उनका कॉन्फिडेंस जबरदस्त है और इसकी वजह ये भी है कि उन्होंने सालों भंसाली को असिस्ट भी किया है. अदिति राव हैदरी काफी अच्छी लगी हैं,उनका काम भी शानदार है, ऋचा चड्ढा जबरदस्त हैं लेकिन उनको और स्क्रीन स्पेस दिया जाना चाहिए था, टीवी की एक्ट्रेस को जब बड़ा प्लेटफॉर्म मिलता है तो वो क्या कमाल कर सकती है ये संजीदा शेख ने दिखा दिया, उन्हें आगे और मौके मिलने चाहिए, फरीदा जलाल जमी हैं, ताहा शाह ने खूब इंप्रेस किया, इतनी हसीनाओं के बीच वो अपनी जगह बना पाए और अच्छे से बना पाए. फरदीन खान अच्छे लग रहे है लेकिन उनको काफी कम स्पेस मिला है, शेखर सुमन और अध्ययन सुमन को भी काफी कम स्क्रीन स्पेस. मिला है लेकिन जो मिला उसमे उन्होंने अच्छा काम किया.


डायरेक्शन
 संजय लीला भंसाली का डायरेक्शन अच्छा है, वो ओटीटी पर ग्रैंडनेस लाए हैं, और इसमें वो माहिर हैं, लेकिन मेल कैरेक्टर्स को उन्होंने ठीक से स्पेस नहीं दिया, स्क्रीनप्ले पर और काम करना चाहिए था, ओटीटी पर भले आपके पास टाइम फिल्म से ज्यादा होता है लेकिन बड़े बड़े 8 एपिसोड दर्शक तभी देखेगा जब वो कमाल के होंगे.


म्यूजिक
म्यूजिक खुद भंसाली का है और ठीक है, सीरीज के पेस के हिसाब से फिट है लेकिन ऐसा भी नहीं कि गाने जुबान पर चढ़ जाएं.


कुल मिलाकर ये एक अच्छी वेब सीरीज है, कमियों के बाद भी देखने लायक है तो जरूर देखिए.


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