India Lockdown Movie Review : लॉकडाउन को कौन भूल सकता है. अचानक से पूरा देश बंद हो गया था. जो जहां था वहीं अटक गया. कोरोना ने जिंदगी बदल दी थी. लॉकडाउन के दौरान हर किसी ने काफी कुछ सहा और काफी कुछ देखा और बहुत कुछ ऐसा था जो हमने सिर्फ सुना, देखा नहीं. वही सब कुछ दिखाती है मधुर भंडारकर की ये फिल्म और आप फिर से उन दिनों में चले जाते हैं जब हर कोई अपने घर में कैद हो गया था.
कहानी
ये कहानी तब शुरू होती है जब जिंदगी नॉर्मल थी और कोरोना दस्तक दे रहा था. लेकिन कोई उसे गंभीरता से नहीं ले रहा था. कोई अपनी गर्लफ्रेंड से मिलने की प्लानिंग कर रहा था. तो कोई परिवार के पास दूसरे शहर जाने की सोच रहा था. कोई गरीब गांव से शहर आकर पैसे कमाने की जुगत में लगा था. लेकिन फिर अचानक से कोरोना आया. लॉकडाउन लगा और सबकी जिंदगी बदल गई.
मधुर भंडारकर ने अपनी फिल्म इंडिया लॉकडाउन के जरिए यही कहानी दिखाई है. कैसे कोरोना और लॉकडाउन ने हर किसी की जिंदगी में उथल पुथल मचा दी थी. लोग परिवार से नहीं मिल पा रहे थे. मजदूरों को किस मजबूरी में शहर छोड़कर गांवों में जाना पड़ा. कैसे सोसाइटियों में हाउस हेल्प के आने पर रोक लगा दी गई थी. यहां तक की सेक्स वर्कर्स की कहानी को दिखाया गया है कि उनपर क्या कुछ गुजरा.
ये कहानी तब शुरू होती है जब जिंदगी नॉर्मल थी और कोरोना दस्तक दे रहा था. लेकिन कोई उसे गंभीरता से नहीं ले रहा था. कोई अपनी गर्लफ्रेंड से मिलने की प्लानिंग कर रहा था. तो कोई परिवार के पास दूसरे शहर जाने की सोच रहा था. कोई गरीब गांव से शहर आकर पैसे कमाने की जुगत में लगा था. लेकिन फिर अचानक से कोरोना आया. लॉकडाउन लगा और सबकी जिंदगी बदल गई.
मधुर भंडारकर ने अपनी फिल्म इंडिया लॉकडाउन के जरिए यही कहानी दिखाई है. कैसे कोरोना और लॉकडाउन ने हर किसी की जिंदगी में उथल पुथल मचा दी थी. लोग परिवार से नहीं मिल पा रहे थे. मजदूरों को किस मजबूरी में शहर छोड़कर गांवों में जाना पड़ा. कैसे सोसाइटियों में हाउस हेल्प के आने पर रोक लगा दी गई थी. यहां तक की सेक्स वर्कर्स की कहानी को दिखाया गया है कि उनपर क्या कुछ गुजरा.
ये फिल्म देखते हुए आपको फिर से वो दिन याद आते हैं. शायद लॉकडाउन की यादें कुछ लोगों को जहन में धुंधली पड़ गई हैं. ये फिल्म उस धुंध को हटा देती है. कैसे शुरू में मास्क पहनने को कुछ लोगों ने बेवकूफी बताया. कैसे एक रोटी के लिए कुछ गरीब तरसे. कैसे कई दिन पैदल चलकर कुछ मजदूर अपने गांव पहुंचे. इनमें से कुछ चीजों हमने सुनी और टीवी पर देखी भी लेकिन इसके पीछे भी एक कहानी थी और उस कहानी को भी मधुर सामने लाए हैं.
इस फिल्म के कुछ सीन आपको हिला डालते हैं. और एक आध सीन ऐसा आता है जब भूख से तड़पता मजदूर का परिवार सड़े हुए केले खा रहा होता है तो आप आंखें बंद कर लेते हैं. मधुर ने लॉकडाउन के दर्द को बखूबी दिखाया है. कहीं भी उन्होंने चीजों को जस्टिफाई करने की कोशिश नहीं की है. वही दिखाया जो आम लोगों ने महसूस किया और जो हमने अपने आसपास देखा और यही इस फिल्म की खूबसूरती है.
इस फिल्म के कुछ सीन आपको हिला डालते हैं. और एक आध सीन ऐसा आता है जब भूख से तड़पता मजदूर का परिवार सड़े हुए केले खा रहा होता है तो आप आंखें बंद कर लेते हैं. मधुर ने लॉकडाउन के दर्द को बखूबी दिखाया है. कहीं भी उन्होंने चीजों को जस्टिफाई करने की कोशिश नहीं की है. वही दिखाया जो आम लोगों ने महसूस किया और जो हमने अपने आसपास देखा और यही इस फिल्म की खूबसूरती है.
एक्टिंग
श्वेता बसु प्रसाद (Shweta Basu Prasad) ने Mehrunissa नाम की सेक्स वर्कर का किरदार निभाया है. उन्हें खूब स्क्रीन स्पेस मिला है और श्वेता ने कमाल का काम किया है. आहाना कुमरा (Aahana kumra) Moon Alves नाम की पायलट के किरदार में हैं. और उड़ान भरने वाली एक लड़की को लॉकडाउन जब कैद कर देता तो वो क्या करती है. इस किरदार के जरिए अहाना ये अच्छे से दिखा पाईं, (प्रतीक बब्बर) Prateik Babbar ने Madhav नाम के कामगार का किरदार निभाया है और उन्होंने शानदार एक्टिंग की है.
प्रतीन कुछ सीन में आपकी आंखों में आंसू ले आते हैं. प्रतीक का ये एक नया अवतार है और इसके लिए प्रतीक की तारीफ की जानी चाहिए. उन्होंने इसके साथ पूरा इंसाफ किया है, Sai Tamhankar ने Phoolmati का किरदार निभाया है जो माधव की पत्नी है और उनका काम भी अच्छा है. Prakash Belawadi ने Nageshwar Rao का किरदार निभाया है जो अपनी बेटी की डिलीवरी के लिए मुंबई से हैदराबाद जाना चाहते हैं. उनका काम भी अच्छा है.
श्वेता बसु प्रसाद (Shweta Basu Prasad) ने Mehrunissa नाम की सेक्स वर्कर का किरदार निभाया है. उन्हें खूब स्क्रीन स्पेस मिला है और श्वेता ने कमाल का काम किया है. आहाना कुमरा (Aahana kumra) Moon Alves नाम की पायलट के किरदार में हैं. और उड़ान भरने वाली एक लड़की को लॉकडाउन जब कैद कर देता तो वो क्या करती है. इस किरदार के जरिए अहाना ये अच्छे से दिखा पाईं, (प्रतीक बब्बर) Prateik Babbar ने Madhav नाम के कामगार का किरदार निभाया है और उन्होंने शानदार एक्टिंग की है.
प्रतीन कुछ सीन में आपकी आंखों में आंसू ले आते हैं. प्रतीक का ये एक नया अवतार है और इसके लिए प्रतीक की तारीफ की जानी चाहिए. उन्होंने इसके साथ पूरा इंसाफ किया है, Sai Tamhankar ने Phoolmati का किरदार निभाया है जो माधव की पत्नी है और उनका काम भी अच्छा है. Prakash Belawadi ने Nageshwar Rao का किरदार निभाया है जो अपनी बेटी की डिलीवरी के लिए मुंबई से हैदराबाद जाना चाहते हैं. उनका काम भी अच्छा है.
मधुर भंडारकर का डायरेक्शन अच्छा है. मधुर ने फिल्म पर पकड़ बनाई रखी है. लेकिन क्योंकि कहानी लॉकडाउन से जुड़ी है, तो ज्यादातर इसमें वही सब है जो हमने देखा है. इसके बावजूद मधुर ने कुछ ट्विस्ट डालने की कोशिश की है.
कमी
फिल्म में सेक्स वर्कर्स को हुई दिक्कतों पर कुछ ज्यादा ही फोकस किया गया है. उस हिस्से का स्क्रीन टाइम कुछ ज्यादा है और वो इस फिल्म की एक कमी लगती है. क्योंकि फिल्म की कहानी हमें पता है इसलिए थोड़े और ट्विस्ट एंड टर्न डाले जाते तो फिल्म और दिलचस्प बन सकती थी.
लेकिन कुल मिलाकर मधुर लॉकडाउन के दर्द को दिखाने में कामयाब रहे हैं और ZEE5 पर रिलीज हुई इस फिल्म को देखा जा सकता है. आपकी लॉकडाउन के दिनों की यादें जरूर ताजा हो जाएंगी.
रेटिंग -5 में से 3.5 स्टार