Indian 2 Review: अगर आप में जीरो टॉलरेंस है, तो इंडियन 2 यानी हिंदुस्तानी 2 : जीरो टॉलरेंस फिल्म देखने की हिम्मत ना करें, क्योंकि बर्दास्त करने की जो थोड़ी बहुत हिम्मत है ना, वह भी चली जाएगी. खैर 28 साल बाद 'हिंदुस्तानी' दोबारा लौटा है. साल 1996 में रिलीज हुई इंडियन यानी हिंदुस्तानी के 28 साल बाद हिंदुस्तानी 2 फिल्म को निर्देशक एस शंकर ले आए हैं.


हिंदुस्तानी 2 ही ठीक से बन नहीं पाई कि वह तो हिंदुस्तानी 3 को लाने की भी तैयारी कर चुके हैं. इसे कहते हैं ओवरकान्फिडेंस. इस बार सेनापति (कमल हासन) डिजिटली बड़ा तेज है, सोशल मीडिया पर ऐक्टिव है, 28 साल से ताइवान में बैठकर इंतज़ार कर रहा है कि इंडिया में भ्रष्टाचार बढ़ेगा तो वह लौट आएगा.


क्या है कहानी?


हिंदुस्तानी की तरह इस फिल्म की कहानी भी भ्रष्टाचार के आसपास घूमती है. चित्रा अरविंदन (सिद्धार्थ) अपने तीन दोस्तों के साथ मिलकर बार्किंग डाग्स नाम से भ्रष्टाचार और आसपास होने वाली घटनाओं पर सटायर करने वाले वीडियो बनाकर चलाता है. एक लड़की की मौत उसे झकझोर देती है. वह हिंदुस्तानी को याद करता है. सोशल मीडिया पर वह हैशटैग चलाता है कि कमबैक इंडियन. तायवान के ताइपे में अपनी जिदंगी बिता सेनापति (कमल हासन) उस हैशटैग से वाकिफ है. वह इंतजार ही कर रहा था कि उसे बुलाया जाए. इस बार सेनापति को युवा जनता का साथ चाहिए. 


कैसी है फिल्म?


अगर आपने हिंदुस्तानी देखी है, तो उससे इस  फ़िल्म को बिल्कुल जोड़ के ना देखे. मसाला फिल्म के नाम पर इसमें इतने एक्सपायर्ड मसाले डाल दिये गए हैं कि हाजमा खराब हो जाएगा. हिंदुस्तानी 2 में ऐसा कुछ नहीं है, जो युवाओं को अट्रैक्ट कर सके. फिल्म में भ्रष्टाचार को लेकर जो मामले दिखाए गए हैं, वो यक़ीन करने लायक नहीं, खासकर आज के सोशल मीडिया के दौर में, जिसे इस फिल्म में भी बहुत अहम जगह दी गई है. एक डॉक्टर अपेंडिक्स का ऑपरेशन यूट्यूब वीडियो देख के करता है, लेकिन फिर उसका कुछ नहीं होता है, कहानी आई गई हो जाती है. कम से कम आज के दौर को ध्यान में रखकर और रिसर्च करके मुद्दों को उठाना चाहिए था. 


सेनापति का किरदार इस बार किसी सुपरहीरो से कम नहीं है. वो गुजराती, मराठी पंजाबी सब बोल लेता है. बाइसायकल चलाकर पुलिस की वैन को भी पीछे छोड़ देता है, उसकी खासियत वर्मा कला है, जिसमें वह उंगलियों के जरिए एक वार में सामने वाले को मार गिराता है. लेकिन इस बार तो वह बड़े-बड़े लोगों को इस कला से घोड़ा बना देता है. घोटाला करके भागे भगोड़े बिजनेसमेन विजय माल्या को भले ही भारतीय सरकार विदेश से वापस ना ला पाई हो, लेकिन पहले फिल्म क्रू में तीन एक्ट्रेस उसे भारत ले आती हैं और अब हिंदुस्तानी 2 में सेनापति ने उसको ना सिर्फ़ अपनी वर्मा कला से पुरुष से औरत बना दिया, बल्कि उसको मार गिराया. क्लाइमेक्स में चेज़ करने वाला सीन बहुत लंबा है. जब सेनापति के सिक्स पैक ऐब्स अचानक से निकल आते हैं, तो लगता है कि क्या हम बेवकूफ है, जो ये फ़िल्म देख रहे हैं.


एक्टिंग 


कमल हासन कमाल के एक्टर हैं. उनकी एक्टिंग को जज करने की बात यहां है ही नहीं. जब कहानी ही आउटडेटेड और पुराने जमाने की है, तो वह भी अपनी एक्टिंग से क्या कर पाएंगे. सिद्धार्थ इमोशनल सीन में दिल जीत लेते हैं, लेकिन फिल्म में उनका किरदार भ्रष्टाचार के खिलाफ इतना बागी क्यों है, उसकी कोई बैकस्टोरी नहीं है. रकुल प्रीत सिंह के हिस्से दो-चार सीन आए हैं, जो अगर न भी होते तो कोई फर्क नहीं पड़ता. गुलशन ग्रोवर, पीयूष मिश्रा, अखिलेंद्र मिश्रा जैसे कलाकारों को वेस्ट कर दिया गया है. कई बार लगता है कि उन्होंने फिल्म के लिए हां ही क्यों कहा.  


निर्देशन


एस शंकर जब निर्देशन संभालते हैं, तो उनसे उम्मीदें होती हैं कि वह आज का सिनेमा लेकर आएंगे. अपनी पिछली फिल्मों रोबोट, 2.0 और अन्नियन जिसे हिंदी दर्शक अपरिचित के नाम से जानते हैं, जैसी फिल्मों में उन्होंने यह बात साबित भी की है. लेकिन हिंदुस्तानी 2 को देखकर भयंकर निराशा होती है. कई बार तो शक होने लगता है कि क्या यह वाकई उन्हीं का सिनेमा है. फिल्म बहुत लंबी है, एक समय बाद लगता है कि बस करो, अब जाने दो. खैर, हिंदुस्तानी 2 की कहानी अभी अधूरी है, जो हिंदुस्तानी 3 वार मोड में आगे बढ़ेगी.


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