Inside Edge 3 Review: यहां बात थोड़ी पीछे जाती है मगर क्रिकेट हमेशा बिकता है. अमेजन प्राइम की वेब सीरीज इनसाइड एज 3 में आप उस दौर को देखते हैं, जहां इस खेल पर बैटिंग यानी सट्टेबाजी पर अंडरवर्ल्ड की छाया थी. जब टी20 से पहले टेस्ट मैचों का बोलबाला था. पावर प्ले लीग के बहाने क्रिकेट का ग्लैमर, उसके अंदर चलने वाली राजनीति और पैसे का खेल दिखाने वाली इस सीरीज का तीसरा सीजन सट्टेबाजी पर फोकस करता है.
कहानी पूरी तरह क्रिकेट की दुनिया पर एकछत्र राज करने की कोशिश कर रहे दो सौतेले भाइयों विक्रांत पाटिल (विवेक ओबेराय) और यशवर्द्धन पाटिल (आमिर बशीर) की रस्साकशी की है. लेकिन यहां खेल भावना गायब है और विक्रांत को यशवर्द्धन से हिसाब चुकता करना है. यशवर्द्धन ने विक्रांत को जान से मरवाने की कोशिश की थी और छोटा भाई अब बड़े को बर्बाद करने पर उतारू है.
इन दोनों के बीच ढलते फिल्मी करिअर से चिंतित और पावर प्ले लीग में मुंबई मेवरिक्स टीम की शेयर होल्डर जरीना मलिक (ऋचा चड्ढा), भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान (अक्षय ओबेराय) और उसकी जगह लेने वाले वायु (अक्षय ओबेराय) की प्रतिद्वंद्विता के साथ 13 साल बाद भारत-पाकिस्तान के बीच हो रही तीन टेस्ट मैचों की कहानी भी चलती है. एक ट्रेक वायु (तनुज विरानी) और उसकी बहन रोहिणी (सयानी गुप्ता) का भी है. जिसमें रोहिणी 1990 के दशक में मैच फिक्सिंग में फंसे और विमान हादसे में मारे गए क्रिकेटर पिता की सचाई जानने की कोशिश करती है. उसे विश्वास है कि उसके पिता ने मैच फिक्स नहीं किया था. वह षड्यंत्र को उजागर करने के पूरे प्रयास करते हुए, सच का सामना करती है.
इनसाइड एज 3 रोचक है और तेज रफ्तार से इसमें अतीत के साथ वर्तमान के पन्ने भी पलटते हैं. कैसे सट्टेबाज क्रिकेटरों के बीच सेंध लगाते हैं और कैसे क्रिकेट का बिजनेस चलता है, आप इस सीजन में देख सकते हैं. क्रिकेट बोर्ड की राजनीति, यहां पैसे की ताकत और अध्यक्ष पद के लिए वोटों की जोड़-तोड़ की सचाई सामने आती है. निर्देशक कनिष्क वर्मा ने खूबसूरती से क्रिकेट की दुनिया को स्क्रीन पर उभारा है और स्क्रिप्ट राइटरों को भी इसका श्रेय जाता है. कथा-पटकथा में कसावट है. कई जगहों पर लेखकों ने क्रिकेट की दुनिया में हुए असली स्कैंडलों का नए संदर्भों में इस्तेमाल किया है. सो, कई रहस्य यहां खुलते हैं.
अगर आपने इनसाइड एज के पहले दो सीजन देखे हैं तो तीसरा निराश नहीं करेगा. पहले दो सीजन से ज्यादा ड्रामा और एंटरटेनमेंट यहां है. आप पाते हैं कि क्रिकेट की दुनिया के किरदारों का बहुत कुछ पहले से अधिक दांव पर लगा है. वे एक-दूसरे को कैसे धोखा देते हैं और कैसे मौका पड़ने पर दुश्मनों से दोस्ती कर लेते हैं. क्रिकेट फैन्स के लिए यह सीरीज है, जो इस दुनिया को नजदीक से देखना चाहते हैं क्योंकि यहां मैदान पर होने वाले खेल के पीछे का खेल खुल कर सामने आता है. लेखक-निर्देशक ने नए सीजन में समलैंगिकता और कश्मीर का मुद्दा जोड़कर इसे नए आयाम देने की कोशिश की है. काफी हद तक वह कामयाब रहे हैं.
नए सीजन में कुछ पुराने किरदारों के अतीत के अंधेरे भी सामने आते हैं, जिससे कहानी का रोमांच बढ़ता है. लेकिन अंत में आप पाते हैं कि जो किरदार स्क्रीन पर बड़े नजर आते हैं, वे एक बड़े खेल के मोहरे मात्र हैं. खिलाने वाले खिलाड़ी तो सामने ही नहीं आते. वे खेल से बहुत ऊपर हैं और तमाम कठपुतलियों के धागे उनकी अंगुलियों से बंधे हैं. वे जैसा जिसे चाहे नचाते हैं. खेल में पैसा ही सबसे बड़ी चीज है.
इनसाइड एज भव्यता से शूट किया गया है. इसका कैमरा वर्क, एडिटिंग, बैकग्राउंड म्यूजिक कहानी को सपोर्ट करते हैं. क्रिकेट मैच के दृश्यों को परफेक्ट बनाया गया है. पाकिस्तान के साथ टेस्ट सीरीज का प्रसंग कुछ लोगों को रोमांचित कर सकता है लेकिन इसके कुछ हिस्से गढ़े हुए मालूम पड़ते हैं. विवेक ओबेराय का परफॉरमेंस जबर्दस्त है और खलनायकी में उनका रंग निखर कर आता है. इसी तरह आमिर बशीर और ऋचा चड्ढा ने अपनी भूमिकाएं खूबसूरती से निभाई हैं. खास तौर पर आमिर कुछ दृश्यों में अपनी चमक बिखेरते हैं. तनुज विरानी, अक्षय ओबेराय, सयानी गुप्ता और सपना पब्बी अपने किरदारों के अनुकूल हैं. दस कड़ियों के इस सीजन में आगे बढ़ती कहानी में रेणुका शहाणे और राजेश जैस जैसे राजनीतिक किरदारों की भी एंट्री होती है और वे इसका रोमांच बढ़ाने में मददगार साबित होते हैं.