Kahan Shuru Kahan Khatam Review: औरतों को घूंघटे से बाहर निकलने का मैसेज देने वाली इस फिल्म की ध्वनि दूर जानी चाहिए
Kahan Shuru Kahan Khatam Review: ध्वनि भानुशाली की डेब्यू फिल्म आज सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है. फिल्म देखने का प्लान बना रहे हैं तो पहले पढ़ लें रिव्यू.
सौरभ दासगुप्ता
ध्वनि भानुशाली, आशिम गुलाटी, राकेश बेदी, राजेश शर्मा
थिएटर
Kahan Shuru Kahan Khatam Review: इन दिनों थोक के भाव पर स्टारकिड्स और फिल्मी दुनिया से जुड़े लोगों के रिश्तेदार इंडस्ट्री में आते हैं लेकिन ये भी सच है कि तमाम मार्केटिंग, पीआर औऱ तिकड़म के बावजूद भी टिकता वही है जिसमे टैलेंट होता है. क्योंकि ये पब्लिक है ये सब जानती है. इस फिल्म से ध्वनि भानुशाली का डेब्यू हुआ है जो पहले से एक पॉपुलर सिंगर हैं और जिनकी फैन फॉलोइंग अच्छी खासी है. लगने को लगता है कि एक और सिंगर को एक्टर बनने का कीड़ा काट गया होगा लेकिन फिल्म देखने के बाद लगा कि ध्वनि पूरी तैयारी के साथ मैदान में आई हैं. एक अच्छी फिल्म के साथ उन्होंने इंडस्ट्री में कदम रखा है और पहली ही फिल्म से अपनी छाप छोड़ी है. वो अपनी उन कई सीनियर एक्ट्रेसेज पर भारी पड़ रही हैं जो पिछले कई साल से जबरदस्ती ने मनवाने की कोशिश में लगी हैं कि उनको एक्टिंग आती है जबकि सच कुछ और ही है.
कहानी
ये कहानी मीरा यानि ध्वनि भानुशाली नाम की एक लड़की की है. जो अपनी शादी के दिन घर से भाग जाती है और इसलिए भाग जाती है कि शादी से पहले उससे शादी के लिए पूछा तक नहीं गया. उसका परिवार हरियाणा का नामी क्रिमिनल परिवार है जो शादी में फूलों से ज्यादा हवा में गोलियां चला रहे हैं. इसी शादी में एक लड़का क्रिश यानि आशिम गुलाटी गेट क्रेश करता है यानि मुफ्त में शादी एन्जॉय करने आता है. दोनों का एक दूसरे से कोई लेना देना नहीं है लेकिन दोनों साथ भागते हैं और फिर इनके पीछे मीरा के परिवार के गुंडे भागते हैं. फिर वो पहुंच जाती है लड़के के घर बरसाने, एक तरफ उसका घर जहां महिलाएं घूंघट से बाहर नहीं निकलती. दूसरी तरफ बरसाना जहां महिलाएं हाथ में लट्ठ लेकर गुंडों के फौज से भिड़ जाती हैं. फिर क्या होता है ये देखने के लिए आपको ये फिल्म देखनी चाहिए.
कैसी है फिल्म
इस फिल्म से लक्ष्मण उटेकर का नाम भी जुड़ा है जो कई कामयाब और मैसेज देने वाली फिल्में बना चुके हैं. यहां भी वो एक मैसेज देते हैं कि महिलाएं कोई सामान नहीं हैं. ये फिल्म बड़े मजेदार तरीके से ये मैसेज देती है. फिल्म काफी तेज पेस से आगे बढ़ती है, इंटरवल हो जाता है और आपको लगता है कि अरे इंटरवल भी हो गया. इसका मतलब आप फिल्म को एन्जॉय कर रहे थे. फिल्म की राइटिंग और डायलॉग अच्छे से जिन्हें सुनकर अपने आप हंसी आती है. ये सिर्फ एक लव स्टोरी नहीं है, ये फिल्म लव स्टोरी के जरिए और भी काफी कुछ कहती है. ये देश की उन महिलाओं की आवाज है जो अपनी बात कहना चाहती हैं और जिन्हें कोई सुनता नहीं है. ये फिल्म काफी सिंपल है और यही इसकी खासियत भी है. एंड में आप इस फिल्म से एंटरटेन होने के साथ सात कुछ लेकर भी जाते हैं.
एक्टिंग
ध्वनि भानुशाली से इस फिल्म के जरिए पहली बार एक्टिंग में हाथ आजमाया है. वो काफी अच्छी लगी हैं, उनकी स्क्रीन प्रेजेंस दमदार है और पहली फिल्म में उन्होंने अच्छा काम किया है. उन्होंने ये प्रॉमिस दिखाया है कि आने वाले वक्त में वो काफी अच्छा कर सकती हैं. उनके एक्सप्रेशन, डायलॉग डिलीवरी अच्छे हैं. एक्टिंग में आने से पहले उनकी तैयारी दिखती है, आप उनसे रिलेट कर पाते हैं. देखकर ऐसा नहीं लगता कि कोई विदेश से आया हुआ स्टारकिड जबरदस्ती अपनी एक्टिंग आपको दिखवा रहा है. आशिम गुलाटी काफी अच्छे लगते हैं, उनकी एक्टिंग भी अच्छी है. वो इस किरदार में काफी सूट भी किए हैं. बाकी के सारे कलाकारों ने अच्छा काम किया है. राजेश शर्मा का काम हमेशा की तरह शानदार है. राकेश बेदी को देखकर बहुत मजा आता है. सुप्रिया पिलगांवकर ने काफी अहम रोल निभाया है और उनका काम शानदार है.
डायरेक्शन
सौरभ दासगुप्ता ने अच्छा काम किया है, वो लक्ष्मण उटेकर के शार्गिद हैं और ये छाप उनमें दिखती है. ये उनकी पहली फिल्म है और पहली फिल्म के जरिए उन्होंने एक प्रॉमिस दिखाया है. फिल्म पर उनकी पकड़ अच्छी है, हां एक दो जगह उन्हें कुछ और सोचना चाहिए था. जैसे हीरो की एंट्री उसी पुराने तरीके से हुई जैसे 147594993 बार हो चुकी है, सेकेंड हाफ थोड़ा सा और पेसी करते तो और मजा आता लेकिन कुल मिलाकर वो अपना काम अच्छे से कर गए हैं.
कुल मिलाकर ये एक प्यारी सी फिल्म है जिसे जरूर देखिए और अपने पूरे परिवार के साथ देखिए.