Kathal Review: मथुरा में रहना है तो राधे राधे कहना है और IPC का मतलब Indian Penal Code नहीं Indian Political Code होता है. ये डायलॉग हैं फिल्म कटहल के जो कहानी है कटहल चोरी की नेटफ्लिक्स की ये फिल्म काफी मजेदार है और आपको खूब एंटरटेन करती है.
कहानी
मथुरा में एक विधायक जी के घर से दो कटहल चोरी हो जाते हैं. ये कटहल कोई मामूली नहीं हैं.एक विदेशी ब्रांड के हैं और इनके आचार को अगर विधायक जी बड़े नेताओं को खिला देंगे तो मंत्री बन सकते हैं तो हुए ना कटहल बहुत जरूरी है. पुलिस महकमे को लगा दिया जाता है कटहल को ढूंढने में. लेकिन फिर पता चलता है कि एक लड़की भी गायब है तो क्या उस लड़की ने कटहल चुराए हैं.इस छानबीन में ये कहानी कई दिलचस्प मोड़ लेती है और आपको एंटरटेन करती हुई आगे बढ़ती है.
मथुरा में एक विधायक जी के घर से दो कटहल चोरी हो जाते हैं. ये कटहल कोई मामूली नहीं हैं.एक विदेशी ब्रांड के हैं और इनके आचार को अगर विधायक जी बड़े नेताओं को खिला देंगे तो मंत्री बन सकते हैं तो हुए ना कटहल बहुत जरूरी है. पुलिस महकमे को लगा दिया जाता है कटहल को ढूंढने में. लेकिन फिर पता चलता है कि एक लड़की भी गायब है तो क्या उस लड़की ने कटहल चुराए हैं.इस छानबीन में ये कहानी कई दिलचस्प मोड़ लेती है और आपको एंटरटेन करती हुई आगे बढ़ती है.
कैसी है फिल्म
1 घंटा 55 मिनट की ये फिल्म आपको शुरू से एंड तक बांधे रखती है. शुरुआत का कुछ हिस्सा तो काफी मजेदार है.किस तरह से कटहल चोरी होती हैं औऱ फिर पुलिस इसकी छानबीन करती है. ये देखकर मजा आता है. बीच में फिल्म थोड़ी सी ढीली पड़ती है लेकिन जल्द मुद्दे पर फिर वापस आ जाता है.डायलॉग काफी अच्छे हैं. मथुरा की भाषा को सारे किरदारों ने जबरदस्त तरीके से पकड़ा है. फिल्म ज्यादा लंबी नहीं है इसलिए तेजी से आगे बढ़ती है और फिर क्लाइमैक्स आपका दिल जीत लेता है.
1 घंटा 55 मिनट की ये फिल्म आपको शुरू से एंड तक बांधे रखती है. शुरुआत का कुछ हिस्सा तो काफी मजेदार है.किस तरह से कटहल चोरी होती हैं औऱ फिर पुलिस इसकी छानबीन करती है. ये देखकर मजा आता है. बीच में फिल्म थोड़ी सी ढीली पड़ती है लेकिन जल्द मुद्दे पर फिर वापस आ जाता है.डायलॉग काफी अच्छे हैं. मथुरा की भाषा को सारे किरदारों ने जबरदस्त तरीके से पकड़ा है. फिल्म ज्यादा लंबी नहीं है इसलिए तेजी से आगे बढ़ती है और फिर क्लाइमैक्स आपका दिल जीत लेता है.
एक्टिंग
सान्या मल्होत्रा ने पुलिस इंस्पेक्टर के किरदार में कमाल का काम किया है.सान्या ने जिस तरह से मथुरा के लहजे को पकड़ा है उससे लगता है कि वो वहीं की हैं.उनकी बॉडी लैंग्वेज से लेकर एक्सप्रेशन सब कमाल के हैं.उन्हें अपने जूनियर कांस्टेबल से प्यार है और ये शेड भी सान्या ने बखूबी निभाया है.अनंत जोशी की एक्टिंग भी काफी अच्छी है.राजपाल यादव पत्रकार बने हैं और आपको खूब हंसाते हैं.विधायक के रोल में विजय राज जबरस्त हैं.रघुवीर यादव और विजेंद्र काला के छोटे रोल हैं जिनमें वो जमे हैं.
सान्या मल्होत्रा ने पुलिस इंस्पेक्टर के किरदार में कमाल का काम किया है.सान्या ने जिस तरह से मथुरा के लहजे को पकड़ा है उससे लगता है कि वो वहीं की हैं.उनकी बॉडी लैंग्वेज से लेकर एक्सप्रेशन सब कमाल के हैं.उन्हें अपने जूनियर कांस्टेबल से प्यार है और ये शेड भी सान्या ने बखूबी निभाया है.अनंत जोशी की एक्टिंग भी काफी अच्छी है.राजपाल यादव पत्रकार बने हैं और आपको खूब हंसाते हैं.विधायक के रोल में विजय राज जबरस्त हैं.रघुवीर यादव और विजेंद्र काला के छोटे रोल हैं जिनमें वो जमे हैं.
डायरेक्शन
यशोवर्धन मिश्रा का डायरेक्शन काफी अच्छा है.उन्होंने एक साफ सुथरी फिल्म बनाई है जिसे पूरे परिवार के साथ बैठकर आऱाम से देख सकते हैं.उनकी फिल्म पर पकड़ पूरी तरह से बनी रही है
यशोवर्धन मिश्रा का डायरेक्शन काफी अच्छा है.उन्होंने एक साफ सुथरी फिल्म बनाई है जिसे पूरे परिवार के साथ बैठकर आऱाम से देख सकते हैं.उनकी फिल्म पर पकड़ पूरी तरह से बनी रही है
म्यूजिक
2 घंटे से कम की फिल्म में म्यूजिक की गुजाइश कम होती है लेकिन यहां राम संपत का म्यूजिक सुकून देने वाला है...फिल्म की पेस को आगे बढ़ाता है और काफी सूट करता है .
2 घंटे से कम की फिल्म में म्यूजिक की गुजाइश कम होती है लेकिन यहां राम संपत का म्यूजिक सुकून देने वाला है...फिल्म की पेस को आगे बढ़ाता है और काफी सूट करता है .
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