Kaun Banegi Shikharwati Review in Hindi: अगर आप OTT पर नए बरस की शुरुआत अच्छे एंटरटेनमेंट के साथ करना चाहते हैं तो ठहर जाइए. कौन बनेगी शिखरवती में आप ठग लिए जाए जाएंगे. यह उजड़ी हुई नगरी है. औसतन आधे-आधे घंटे के दस एपिसोड सिर्फ आपका समय लेंगे और बदले में आपको वह नहीं मिलेगा, जिसकी उम्मीद रखेंगे. जी5 की इस वेब सीरीज में कॉमेडी के नाम पर शुरू से अंत तक लंबी बोरियत पसरी है. कोई पल ऐसा नहीं आता कि आप हंसना तो दूर ठीक से मुस्कुरा सकें. लेकिन आश्चर्य तब होता है जब नसीरूद्दीन शाह कॉमिक वाले चाचा चौधरी स्टाइल की मूंछें चिपकाए हुए तमाम दृश्यों में सिर्फ हंसते रहते हैं. जबकि हंसने की कोई वजह नहीं होती. यहां नसीर को इस अंदाज में देख कर भी हंसी नहीं आती.
अव्वल तो इस वेब सीरीज का टाइटल बेतुका है और उस पर कहानी बेढंगी है. कहानीकार अनन्या बनर्जी और निर्देशक गौरव के. चावला को एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में बीते कुछ वर्षों की जान-पहचान का फायदा मिल गया और उन्होंने अपनी डेब्यू फिल्म बाजार (2018, सैफ अली खान) बनाने वाले प्रोड्यूसरों को यह अध-कचरा सब्जेक्ट चिपका दिया. प्रोड्यूसरों ने इसे लेकर जी5 को धप्पा कर दिया. खेल-खेल में बनी इस वेब सीरीज में एक राजा साहब हैं, मृत्युंजय शिखरवत (नसीरूद्दीन शाह). उनकी चार बेटियां नाराज होकर उन्हें छह साल पहले छोड़ कर चली गई थीं. इधर, राजा साहब ने कई साल से अपने महल का प्रॉपर्टी टैक्स नहीं भरा, जो 32 करोड़ रुपये के करीब पहुंच गया है.
राजा साहब को लगता है कि कैसे यह टैक्स भरा जाए और कैसे अपनी बेटियों के साथ सुलह की जाए. सो वह अपने मंत्रीनुमा मैनेजर (रघुबीर यादव) के हाथों चारों बेटियों को संदेश भिजवाते हैं कि बीमार हैं और जल्द ही चल बसेंगे. गुजरने से पहले वह अपनी एक बेटी को अगला किंग बनाना चाहते हैं. किंग बनने के लिए लड़कियों को राजा साहब द्वारा तय किए गए नौ राउंड के खेल खेलने होंगे, जो जीतेगी वही किंग बनेगी. जब दुनिया स्क्विड गेम जैसे सांस रोक देने वाले खेल देख रही है तो चार राजकुमारियों के बीच पाक-कला, नौटंकी-कला, तलवारबाजी, टेबल टेनिस और घुड़सवारी के ठंडे मुकाबलों में किसे मजा आएगा.
लेखक-निर्देशक ने तमाम प्रतियोगिताओं को बे-सिर-पैर के अंदाज में नौ रसों से और जोड़ दिया है. वेब सीरीज की कहानी को ट्विस्ट देने के लिए यह डाल दिया गया कि एक सरकारी मुलाजिम राजा साहब के यहां मेहमान बन कर रहते हुए खुफिया ढंग से यह पता लगाने की कोशिश में है कि महल में खजाना किस कोने में छुपा है. इसके अलावा चारों राजकुमारियों देवयानी (लारा दत्ता), गायत्री (सोहा अली खान), कामिनी (कृतिका कामरा) और उमा (अन्या सिंह) की पर्सनल जिंदगी के स्केच अलग-अलग खींचे गए हैं, जिनके मुताबिक उनमें आपस में बिल्कुल नहीं बनती.
कौन बनेगी शिखरवती इतनी उबाऊ सीरीज है कि अगर आपकी कोई मजबूरी न हो तो इसे शुरू करके कुछ ही मिनटों में आप बंद कर देंगे. जी5 जैसे प्लेटफॉर्म को अब कंटेंट के मामले में समझदारी दिखानी चाहिए क्योंकि समय के साथ दर्शकों के सामने विकल्प बढ़ते जा रहे हैं. जी5 पर आपको नए साल की इतनी खराब शुरुआत मिलेगी, आप इसकी उम्मीद नहीं करते हैं. कौन बनेगी शिखरवती की कहानी कुछ वैसी ही बचकानी है, जैसी आप सुना करते थेः एक राजा था. उसके चार राजकुमार थे. राजा एक को गद्दी पर बैठाना चाहता था, इसलिए उसने सबकी परीक्षा लेने का फैसला किया. सबको टास्क दिए. उनके बीच प्रतियोगिता रखी. वगैरह-वगैरह.
कौन बनेगी शिखरवती वैसी ही वगैरह-वगैरह टाइप की कहानी है, जिसमें कुछ ठोस नहीं है. राजकुमारियों के बीच प्रतियोगिता के नाम पर वेब सीरीज को च्युंगम जैसा चबा-चबा कर खींचा गया, जिससे कहानी में कोई रस बाकी नहीं रह गया. यहां न कॉमेडी है, न रोमांस है, न थ्रिल है, न एक्शन है, न इमोशन है. अगर कुछ है, तो फीकी-बोरियत. ऐसी वेबसीरीजों में ऐक्टरों के लिए अच्छा है कि घर बैठने से बेहतर, कुछ काम मिल गया.
काम मिल गया तो पैसा आ गया. फ्री में लोकेशन वाले शहर की सैर हो गई. लेकिन उन्हें खुश नहीं होना चाहिए क्योंकि ऐसी सीरीज से उनके खाते में कुछ उल्लेखनीय दर्ज नहीं हुआ. नाम खराब हुआ सो अलग. नसीरुद्दीन शाह और रघुबीर यादव पके चावल हैं और कुछ भी करें, अपने काम से स्वाद पैदा कर देते हैं. यहां भी वही होता है. लेकिन यह सीरीज आप उनके काम के लिए तो नहीं देख सकते. इससे बेहतर काम उनके नाम पर पहले से दर्ज हैं.
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