L2 Empuraan Review: इस फिल्म से पहले बड़े पर्दे पर सिकंदर का ट्रेलर चलता है, फोन पर ये ठीक लग रहा था लेकिन बड़े पर्दे पर ये काफी खराब लगा. सलमान थके हुए लगे और उसके बाद इस फिल्म को देखने का एक्सपीरियंस थोड़ा अलग ही रहा. वैसे भी खराब चीज देखने को बाद थोड़ी भी अच्छी चीज देख लो तो अच्छी ही लग जाती है. इन दिनों मलयालम सिनेमा गदर काटे हुए है, ओटीटी पर एक से बढ़कर एक मलयालम फिल्में देखने को मिल रही हैं. ऐसे में एक मलयालम फिल्म का पैन इंडिया रिलीज होना और उसमें मलायालम इंडस्ट्री के सबसे बड़े सितारे मोहन लाल का होना उम्मीदें जगा जाता है. ये फिल्म अच्छी है,देखी जा सकती है, मजा आएगा लेकिन इसकी कहानी में वो चौंकाने वाली बात नहीं है जो इन दिनों मलायलम सिनेमा में है. एक तरफ हम कहते हैं कि बॉलीवुड वाले मलयालम सिनेमा से क्यों नहीं सीखते तो वहीं ये फिल्म देखकर लगा कि मलयालम वालों ने बॉलीवुड से सीख लिया है.
कहानी
इस फिल्म का ये दूसरा पार्ट है. एक ईनामदार मुख्यमंत्री इन दुनिया से जा चुका है. उसका भ्रष्ट दामाद जो उसके नाम पर कमाई कर रहा था वो खत्म हो चुका है अब उसका बेटा सत्ता में है लेकिन वो भी अपनी पार्टी छोड़कर अब एक भ्रष्ट नेता के साथ जाने का ऐलान कर देता है. केरल संकट में है, ऐसे में केरल को कौन बचाएगा, और ये तो आप जानते हैं. लुसिफर, अब कौन है ये लुसिफर, ये तो पिछली फिल्म के बाद गायब हो गया था. 5 साल से गायब ही है, कैसे वापस आएगा, उस लुसिफर के अलग पंगे चल रहे हैं ड्रग्स माफिया से लेकिन उसे केरल तो तो बचाना ही होगा. आखिर इसीलिए तो इतनी महंगी फिल्म बनी है तो देख डालो थिएटर जाकर.
कैसी है फिल्म
ये फिल्म अच्छी है, इसमें स्टाइल है, स्वैग है, एक्शन है, इमोशन भी है, बस एक ही चीज में ये फिल्म मात खाती है और वो है अच्छी कहानी. यहां कहानी बुरी नहीं है लेकिन इन दिनों मलयालम सिनेमा ने अपना लेवल इतना ऊंचा कर दिया है कि उनसे उम्मीदें ज्यादा हो गई हैं. यहां शूट काफी शानदार हुआ है. सिनेमैटोग्राफी अच्छी है, फिल्म का प्रोडक्शन लेवल काफी अच्छा है लेकिन सेकेंड हाफ में ये फिल्म आपको रेग्यूलर साउथ फिल्मों का फील देती है. जहां हीरो को बस विलेन का खात्मा करना है और यहीं ये फिल्म हल्की पड़ जाती है लेकिन इतनी हल्की नहीं पड़ती कि इसे देखा ना जाए. इसे बिल्कुल देखिए, मजा आएगा लेकिन उम्मीदें आसमान पर मत रखिएगा.
एक्टिंग
मोहन लाल छाए हुए हैं. उनका स्क्रीन प्रेंजेंस कमाल है, वो हर सीन में बवाल काट देते हैं. एक एक डायलॉग पर रौंगटे खड़े कर देते हैं. पृथ्वीराज सुकुमारन का काम भी काफी अच्छा है. वो कमाल के एक्टर हैं और यहां उनके किरदार को इस बार थोड़ा और अच्छे से दिखाया गया है. मंजू वॉरियर ने कमाल का काम किया है. फिल्म में इतने सारे मेल एक्टर्स को बीच वो अपनी मौजूदगी बड़े अच्छे से दर्ज कराती हैं. टोविनो थॉमस अच्छे हैं लेकिन उनका रोल इस बार कम कर दिया गया है. अभिमन्यु सिंह खूंखार विलेन बने हैं और खूब जमे हैं.
डायरेक्शन
पृथ्वीराज सुकुमारन कमाल के एक्टर हैं और अच्छे डायरेक्टर भी हैं. उन्होंने ये फिल्म ग्रैंड स्केल पर बनाई है और ये दिखता है लेकिन कहानी पर थोड़ा सा और काम होता तो ये फिल्म अच्छी नहीं शानदार होती. फिल्म की लंबाई थोड़ी ज्यादा है, उसे छोटा किया जा सकता था. सेकेंड हाफ में कहानी में थोड़े और ट्विस्ट डाले जाने चाहिए थे.
कुल मिलाकर ये वन टाइम वॉच है, टिपिकल साउथ इंडियन मसाला फिल्में पसंद हैं तो देख लीजिए
रेटिंग- 3 स्टार्स