Money Heist Season 5 Review: यह कुछ-कुछ वैसा है, जैसे कोई रोमांचक सपना खत्म हो जाए और आप अपनी दुनिया में फिर लौट आएं. बात है मनी हाइस्ट के पांचवे सीजन के दूसरे वॉल्यूम के साथ इस कहानी के अंत की. तमाम लोगों द्वारा अद्भुत और अकल्पनीय मानी गई इस स्पेनिश सीरीज का क्लाइमेक्स वैसे ही हुआ, जैसी अपेक्षा थी. अंतिम मिनटों तक यह आपको अगले मोड़ का अनुमान नहीं लगाने देती. आप रफ्तार से इसके साथ सफर में रहते हैं. आप दावे से कुछ नहीं कह पाते कि बैंक ऑफ स्पेन में हो रही सोने की चोरी का अंजाम क्या होगा. तब भी नहीं, जब दुनिया की इस महानतम चोरी की योजना बनाने वाले प्रोफेसर (अल्वारो मोर्ते) की टीम के नौ लोग बैंक के अंदर हैं और उन्हें खत्म करने के इरादे से बाहर सशस्त्र फौज खड़ी है. दोनों में जंग छिड़ी है.


नेटफ्लिक्स पर रिलीज मनी हाइस्ट की अंतिम पांच कड़ियों का रोमांच जबर्दस्त है. बार-बार लगता है कि बस, कर्नल तमायो (फर्नांडो कायो) और उसके फौजी किसी भी पल जीत सकते हैं. प्रोफेसर की टीम खत्म हो जाएगी लेकिन तभी पासा पलटता है. ऐसा भी मौका आता है जब इंस्पेक्टर एलिसिया सिएरा (नजवा निमरी) प्रोफेसर को बंदी बना लेती है और उसे लेकर कर्नल तमायो के घर तक जा पहुंचती है लेकिन तस्वीर नाटकीय ढंग से बदल जाती है. इधर प्रोफेसर की मुश्किलें बढ़ती हैं और उधर, बैंक से उसके साथी 90 टन सोना पिघला कर बाहर निकाल देते हैं. क्या सोना सही जगह पहुंचेगा, क्या प्रोफेसर और उसकी टीम कामयाब होगी, जब आपको लगता है कि हां, ऐसा ही होगा कि तभी सोना गायब हो जाता है. यह कहानी का जबरदस्त झटका है. अब सवाल यह कि क्या सोना प्रोफेसर की टीम को वापस मिलेगा या किसी और के हाथ लगेगा. जैसे-जैसे एपिसोड बढ़ते हैं, उत्तेजना बढ़ती है. औसतन 50-50 मिनट के चार और एक घंटे से अधिक का आखिरी एपिसोड दर्शक को गिरफ्त में लिए रहते हैं.




ये अंतिम कड़ियां सोने की बात करते हुए बताती हैं कि यह कीमती धातु कुछ नहीं सिर्फ भ्रम है. सरकारों के खजाने में बंद ऐसा भ्रम, जिसकी अर्थव्यवस्था के संचालन और जनता की भलाई में कोई भूमिका नहीं होती. वह केवल मानसिक ताकत का एहसास करता है. ऐसे में अगर इसे सचमुच लूट लिया जाए तो सरकार और देश को क्या फर्क पड़ेगा. भ्रम सिर्फ भ्रम बना रह बना रहे, इतना काफी है. मनी हाइस्ट अंततः राजनीतिक, आर्थिक द्वंद्व को सामने लाती है, जिसका सीधा संबंध देश की आम जनता के हितों से जुड़ा है.




राष्ट्रीय बैंक से सोने का पूरा सफाया कर देने की यह अपराध-कथा इसके किरदारों की जिंदगी के भावनात्मक उतार-चढ़ावों से भरी है. यहां उन्होंने कुछ पाया तो बहुत कुछ खोया है. प्यार, बदला, नफरत, गालियां, वासना, हिंसा, खून और पसीना कहानी का तापमान लगातार बढ़ाते हैं. आखिरी पांच एपिसोड मुख्य रूप से प्रोफेसर पर केंद्रित हैं और फिर यह स्थापित करते हैं कि कठिन से कठिन परिस्थिति में वह विचलित नहीं होता. हमेशा प्लान बी रखता है. जिसकी चाबी कामयाबी का दरवाजा खोलती है. यही वजह है कि टीम का उसमें अटूट विश्वास है. इसीलिए जब प्रोफेसर की पूरी टीम सेना की बंदूकों के निशाने पर होती है तो बैकग्राउंड में टोक्यो की आवाज आती है, ‘भले ही वह हमें घुटनों पर ले आए हैं, जब कोई उम्मीद बाकी नहीं है और मौत सिर पर नाच रही है, इसके बावजूद हम जिंदगी पर अटूट विश्वास करते हैं क्योंकि हमें पता है प्रोफेसर हमेशा हमारे साथ है.’ यहां प्रोफेसर का भी आत्म विश्वास बुलंदियों पर है जब वह कर्नल तमायो से कहता है कि इस जंग में या तो हम दोनों जीतेंगे या फिर दोनों हारेंगे. प्रोफेसर और उसकी टीम बैंक लूटते-लूटते दर्शकों की संवेदनाएं भी लूट लेती है.




मनी हाइस्ट के तमाम किरदार अब अपनी कहानियों के साथ इतिहास में दर्ज हो चुके हैं. दुनिया की कई देशों और तमाम भाषाओं में इस सीरीज के देसी वर्जन बनाने की बातें हो रही हैं. किरदारों की जिंदगियों पर आधारित स्पिन-ऑफ की भी तैयारियां है. इसका मतलब साफ है कि यह कहानी नए-नए रंग-रूप में अक्सर हमारे बीच आती रहेगी.




पांचवें सीजन के साथ एक ऐसी वेब सीरीज का अंत हुआ है, जो तमाम उतार-चढ़ावों-आसुंओं और तनाव के बीच आखिर में दर्शक के चेहरे पर मुस्कान छोड़ जाती है. निश्चित ही यह ऐसी सीरीज है, जिसे आपने अगर नहीं देखा तो इस जीवन में आपसे कुछ छूट रहा है. इसे छूटने न दें. रोमांचक किस्सागोई की ऐसी मिसाल फिलहाल एंटरटेनमेंट की दुनिया में दूसरी नहीं है.


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