(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Music School Review: एक अच्छे मुद्दे को बर्बाद करती है फिल्म, इस स्कूल ना जाना लाडो
Music School Review: पापा राव बियाला के डायरेक्शन में बनी शरमन जोशी और श्रिया सरन स्टारर म्यूजिक स्कूल रिलीज हो चुकी है. अगर आप ये फिल्म देखने जाने वाले हैं तो पहले रिव्यू जान लीजिए.
पापा राव बियाला
sharman joshi, shriya saran, prakash raj
Music School Review: जब इस फिल्म का ट्रेलर देखा था तो लगा था कि फिल्म में कुछ ऐसा होगा जो इंस्पायर करेगा. कुछ ऐसा होगा जिसे देखने के बाद पैरेंट्स अपने बच्चों को पढ़ाई लिखाई के अलावा डांस म्यूजिक ड्रामा जैसी चीजों में भी शामिल होने के लिए प्रेरित करेंगे लेकिन इस फिल्म को देखने के बाद लगा कि बस ट्रेलर से ही प्रेरित हो जाना चाहिए था क्योंकि फिल्म देखने के बाद तो आपका सिर घूम जाता है.
कहानी
ये कहानी है ड्रामा टीचर शरमन जोशी और डांस टीचर श्रिया सरन की. जिस स्कूल में ये पढ़ाते हैं वहां इनकी क्लास में बच्चे नहीं आते, क्योंकि बच्चे मैन सब्जेक्ट्स पर ध्यान देना चाहते हैं और एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटिज उन्हें और उनके पैरेंट्स को वक्त की बर्बादी लगती है. ऐसे में ये दोनों अपनी सोसाइटी में ही अपना एक म्यूजिक स्कूल खोल लेते हैं और सोसाइटी से बड़ी मुश्किल से कुछ बच्चे इकट्ठा करते हैं. इन्हें the sound of music नाम का प्ले करना है लेकिन कुछ बच्चों के पैेरेंट्स नहीं चाहते कि बच्चे अपनी पढ़ाई छोड़कर प्ले में वक्त बर्बाद करें. क्यों ये लोग प्ले कर पाते हैं और क्या पैरेंट्स की समझ में आता है कि पढ़ाई के अलावा बाकी चीजें भी जरूरी हैं. इस कहानी को फिल्म में दिखाने का दावा ट्रेलर में किया गया था जो पूरा नहीं होता.
कैसी है फिल्म
ये फिल्म काफी खराब है. मुद्दा अच्छा तो लगा था कि मुद्दे को ठीक से दिखाया जाएगा, लेकिन फिल्म भटक जाती है .फिल्म में इस तरह के पावरफुल सीन हैं ही नहीं जहां पैरेंट्स को किसी तरीके से समझाया जा रहा हो, बल्कि फिल्म तो ट्रैक से भटक जाती है और टीनेज रोमांस पर चली जाती है. जिस मुद्दे से शुरू हुई थी वो मुद्दा ही गायब हो जाता है. शरमन की एक बेटी है और उनकी पत्नी इस दुनिया से जा चुकी हैं. श्रिया से उनका रोमांस अटपटे तरीके से दिखाया गया है. श्रिया के एक्स के तौर पर सिंगर शान की एंट्री होती है. उन्हें देखकर अच्छा लगता है लेकिन फिर श्रिया और शरमन का एक हो जाना हजम नहीं होता. कुल मिलाकर ये फिल्म जिस मुद्दे पर बनाई गई वो मुद्दा ही फिल्म से गायब लगता है. बीच-बीच में गाने आते हैं. कुछ जिंगल्स आते हैं जो पहले से बोर हो रहे दर्शक को और बोर करते हैं और आप आप सिर पकड़ लेते हैं कि ये फिल्म क्यों ही देखी.
एक्टिंग
फिल्म से आप कनेक्ट नहीं कर पाते और इसलिए किसी की एक्टिंग से भी आप कनेक्ट नहीं करते...शरमन बेचारे से लगते हैं...श्रिया टीचर के रोल में फिट नहीं लगती. कोई बच्चा भी खास इम्प्रेस नहीं करता. पुलिस कमिश्नर के रोल में प्रकाश राज हैं. उन्होंने ये फिल्म क्यों ही की. समझ से परे है.
डायरेक्शन
पापा राव बियाला ने ये फिल्म डायरेक्ट की है. उन्होंने इससे पहले एक डॉक्यूमेंट्री बनाई है जिसे नेशनल अवॉर्ड भी मिला...उन्हें ये समझना चाहिए था कि इस मुद्दे को एंटरटेनिंग तरीके से दर्शकों के सामने पेश करना होगा. तभी वो कामयाब हो पाएंगे और वो पूरी तरह से फेल हुए हैं
म्यूजिक
illaiyaraja ने फिल्म का म्यूजिक दिया है और बड़ी हैरानी की बात है कि म्यूजिक स्कूल नाम की इस फिल्म में कोई एक भी ऐसा गाना नहीं है जो अच्छा लगे या जिस आप गुनगुनाएं.