Chhatriwali Movie Review: सेक्स ऐजुकेशन की अनोखी दास्तां है 'छत्तरीवाली', यहां पढ़ें फिल्म का रिव्यू
Chhatriwali Review: एक्ट्रेस रकुल प्रीत सिंह की छत्तरीवाली OTT प्लेटफॉर्म जी5 पर रिलीज हो गई है. ऐसे में हम आपको इस शानदार फिल्म का रिव्यू बताने जा रहे हैं कि क्या आपको ये फिल्म देखनी चाहिए या नहीं.
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Tejas Vijay Deoskar
रकुल प्रीत सिंह, सुमित व्यास, सतीश कौशिक, राजेश तैलांग
Chhatriwali Review: कंडोम को प्रमोट करने के लिए सरकार क्या कुछ नहीं करती...Safe Sex को प्रमोट करने के लिए कई तरह के कैंपेन चलाए जाते हैं. लेकिन अभी भी सेक्स और कंडोम पर बात करना कई जगह एक टैबू ही माना जाता है. ये फिल्म इस मुद्दे को बड़े जबरदस्त और एंटरटेनिंग तरीके से उठाती है और फिल्म देखने के बाद यही कहा जा सकता है कि सबको रकुल मैडम की ये Safe Sex वाली क्लास जरूर अटेंड करनी चाहिए.
कहानी- ये कहानी है सान्या यानी रकुल प्रीत सिंह की जो केमिस्ट्री की ट्यूशन पढ़ाती है और उसे नौकरी की तलाश है. बड़ी कोशिश के बाद उसे कंडोम टेस्टर की नौकरी मिलती है. कंडोम टेस्टर यानी कंडोम बनाने वाली फैक्ट्री में क्वालिटी कंट्रोल हैड. पहले वो इस नौकरी के लिए मना कर देती है लेकिन फिर मजबूरी में मान जाती है. लेकिन किसी को अपनी इस नौकरी के बारे में नहीं बताती. वजह वही- निषेध. फिर क्या होता है...क्या शादी के बाद सान्या अपने पति ऋषि कालरा यानी Sumeet Vyas को सच बताती है. कैसे वो इस पाबंदी से लड़ती है. कैसे वो इसे एक मुहिम बना लेती है. कैसे वो स्कूल में इस टॉपिक पर बात करने के लिए कैंपेन चलाती है. इसके लिए आपको आपको ओटीटी प्लेटफॉर्म पर ये फिल्म जरूर देखनी चाहिए.
एक्टिंग- रकुल प्रीत सिंह ने Sanya के किरदार में जबरदस्त काम किया है. रकुल इस फिल्म की हीरो हैं. इस किरदार को रकुल ने जिस आसानी के साथ निभाया है उसके लिए उनकी तारीफ बनती है. बिना चीप हुए भी बोल्ड सब्जेक्ट और बोल्ड कैरेक्टर को कैसे निभाया जा सकता है, ये रकुल को देखकर समझ आता है. एक्टर सुमित व्यास ने रकुल के पति के किरदार में अच्छा काम किया है. सुमित कहानी के हिसाब से इस किरदार में बिल्कुल फिट है. दूसरी ओर राजेश तैलांग ने रकुल के जेठ के किरदार में अच्छा काम किया है. इसके अलावा कंडोम प्लांट के मालिक के किरदार में हैं सतीश कौशिक का काम भी शानदार है.
मैसेज- ये एक ऐसी फिल्म है जो जरूरी है, जो बिना घटिया डायलॉग्स के भी सेक्स और कंडोम की बात करती है. जो बताती है कि बच्चों को स्कूल में सेक्स एजुकेशन देना जरूरी है. ये फिल्म बताती है की कंडोम क्यों जरूरी हैं. इस फिल्म को जरूर देखना चाहिए और बच्चों को भी दिखाना चाहिए क्योंकि ऐसी फिल्में उनके लिए बहुत जरूरी होती हैं.
डायरेक्टर तेजस द्वेसेकर का डायरेक्शन काफी अच्छा है. इस मुद्दे पर इससे बेहतर फिल्म शायद अब तक नहीं बनी. एक जरूरी मुद्दे को जिम्मेदारी और मनोरंजन के साथ दिखाने के लिए उनकी तारीफ की जानी चाहिए. निर्माता रॉनी स्क्रूवाला की भी तारीफ की जानी चाहिए कि उन्होंने ऐसी फिल्म में पैसा लगाया जो बहुत जरूर मैसेज देती है.
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