एक्सप्लोरर
Advertisement
Cirkus Review: बोरिंग है रोहित शेट्टी की 'सर्कस', इससे अच्छा मेले का सर्कस देख लीजिए
Cirkus Review: रोहित शेट्टी और रणवीर सिंह की जोड़ी की फिल्म 'सर्कस' सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है. लेकिन फिल्म दर्शकों की कसौटी पर खरी नहीं उतरी है. 'सर्कस' काफी बोरिंग टाइम फिल्म है.
सर्कस
कॉमेडी-ड्रामा
Director
रोहित शेट्टी
Starring
रणवीर सिंह, वरुण शर्मा, पूजा हेगड़े, जैकलीन फर्नांडीस, संजय मिश्रा, सिद्धार्थ जाधव, जॉनी लीवर, सुलभा आर्या, टीकू तल्सानिया, ब्रजेश हिरजी, मुकेश तिवारी
Cirkus Review: रोहित शेट्टी मसाला एंटरटेनर फिल्मों के लिए जाने जाते हैं.गोलमाल सीरीज के लिए जाने जाते हैं. गाड़ियां उड़ाने के लिए जाने जाते हैं.ऐसी फिल्मों के लिए जाने जाते हैं जो अच्छा टाइम पास तो करती हैं अच्छा एंटरटेनमेंट भी करती हैं.लेकिन सर्कस रोहित शेट्टी की सबसे कमजोर फिल्म है.इसमें ना मसाला है, ना एंटरटेनमेंट, ना ये फिल्म टाइम पास करती है और ना ही इसमें गाड़ियां उड़ती हैं और ये एक फर्जी गोलमाल साबित होता है
कहानी
ये कहानी है ऱॉय और रॉय की. ये दोनों जुड़वां हैं और साथ ही जॉय और जॉय की, ये दोनों भी जुड़वां हैं. इन चारों बच्चों को कोई अनाथ आश्रम में छोड़ जाता है और अनाथ आश्रम के केयर टेकर और डॉक्टर मुरली शर्मा इन बच्चों को अलग अलग दो परिवारों को गोद दे देते हैं. यानि एक जॉय और रॉय एक फैमिली के पास और एक जॉय और रॉय एक फैमिली के पास. इसके बाद जब ये बच्चे बड़े होते हैं तो होता है कन्फ्यूजन और कॉमेडी ऑफ एरर. आगे क्या होता है ये आपको फिल्म देखकर पता चलेगा अगर आप ये रिव्यू पढ़ने का बाद भी ये फिल्म देखने की हिम्मत करेंगे?
इस फिल्म में एक रॉय यानि रणवीर सिंह को बिजली से करंट नहीं लगता है और दूसरे को जोर से लगता है और दर्शकों को भी लगता है कि इतनी घटिया फिल्म. फिल्म की राइटिंग बहुत खराब है. डायलॉग्स में बिल्कुल दम नहीं है. एक या दो सीन ही ऐसे होंगे जहां आप हल्का सा मुस्कुराते हैं, हंसना तो छोड़िए ये फिल्म देखकर लगता ही नहीं कि ये रोहित शेट्टी की फिल्म है. एंड तक आते आते ये समझ नहीं आता कि रोहित शेट्टी ने ये फिल्म बनाई क्यों? औऱ क्या बनाने के बाद खुद नहीं देखी? देखी होती तो शायद कुछ सुधार कर देते हैं.
एक्टिंग
रणवीर सिंह कमाल के एक्टर हैं. उन्होंने एक से बढ़कर एक किरदार निभाए हैं लेकिन यहां उनकी एक्टिंग में दम नहीं दिखता. वो बुझे हुए दिखते हैं.लगता नहीं कि ये वो रणवीर हैं जो एक अपीयरेंस से आपको एंटरटेन कर देते हैं.वरुण शर्मा ने फुकरे में कमाल का काम किया है लेकिन यहां वो बिल्कुल बकवास एक्टिंग करते दिखे. उन्हें देखकर एक बार भी हंसी नहीं आती. पूजा हेगड़े का काम ठीक है लेकिन उनके पास भी करने को कुछ खास था नहीं. जैकलीन ने वही किया है जो हमेशा करती हैं और क्या करती हैं ये भी बताने की जरूरत नहीं. उनकी एक्टिंग में कोई दम नहीं दिखता. संजय मिश्रा अपनी कॉमिक टाइमिंग से हंसाने में कामयाब जरूर होते हैं. सिद्धार्थ जाधव ने अच्छा काम किया है. इसके अलावा फिल्म में जॉनी लीवर, सुलभा आर्या, टीकू तल्सानिया, ब्रजेश हिरजी, मुकेश तिवारी जैसे खूब सारे कलाकार हैं लेकिन कोई अपनी छाप नहीं छोड़ पाता.किसी का ठीक तरीके से इस्तेमाल नहीं हुआ है.
रणवीर सिंह कमाल के एक्टर हैं. उन्होंने एक से बढ़कर एक किरदार निभाए हैं लेकिन यहां उनकी एक्टिंग में दम नहीं दिखता. वो बुझे हुए दिखते हैं.लगता नहीं कि ये वो रणवीर हैं जो एक अपीयरेंस से आपको एंटरटेन कर देते हैं.वरुण शर्मा ने फुकरे में कमाल का काम किया है लेकिन यहां वो बिल्कुल बकवास एक्टिंग करते दिखे. उन्हें देखकर एक बार भी हंसी नहीं आती. पूजा हेगड़े का काम ठीक है लेकिन उनके पास भी करने को कुछ खास था नहीं. जैकलीन ने वही किया है जो हमेशा करती हैं और क्या करती हैं ये भी बताने की जरूरत नहीं. उनकी एक्टिंग में कोई दम नहीं दिखता. संजय मिश्रा अपनी कॉमिक टाइमिंग से हंसाने में कामयाब जरूर होते हैं. सिद्धार्थ जाधव ने अच्छा काम किया है. इसके अलावा फिल्म में जॉनी लीवर, सुलभा आर्या, टीकू तल्सानिया, ब्रजेश हिरजी, मुकेश तिवारी जैसे खूब सारे कलाकार हैं लेकिन कोई अपनी छाप नहीं छोड़ पाता.किसी का ठीक तरीके से इस्तेमाल नहीं हुआ है.
डायरेक्शन
रोहित शेट्टी के डायरेक्शन में इस बार दम नहीं दिखा. कहानी 60 और 70 के दशक की है लेकिन वैसा कुछ महसूस नहीं होता. बेंगलुरू और ऊटी को ठीक से कहीं नहीं दिखाया गया है. सेट नकली लगते हैं. कलाकारों की इतनी सारी भीड़ क्यों इकट्ठी की गई समझ से परे है. इसे देखकर लगता नहीं कि रोहित शेट्टी ने इसे खुद डायरेक्ट किया है. फिल्म के म्यूजिक में खास दम नहीं है. करंट लगा गाने को छोड़कर कोई याद नहीं रहता है.
रोहित शेट्टी के डायरेक्शन में इस बार दम नहीं दिखा. कहानी 60 और 70 के दशक की है लेकिन वैसा कुछ महसूस नहीं होता. बेंगलुरू और ऊटी को ठीक से कहीं नहीं दिखाया गया है. सेट नकली लगते हैं. कलाकारों की इतनी सारी भीड़ क्यों इकट्ठी की गई समझ से परे है. इसे देखकर लगता नहीं कि रोहित शेट्टी ने इसे खुद डायरेक्ट किया है. फिल्म के म्यूजिक में खास दम नहीं है. करंट लगा गाने को छोड़कर कोई याद नहीं रहता है.
हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें ABP News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ लाइव पर पढ़ें बॉलीवुड, लाइफस्टाइल, मूवी रिव्यू और खेल जगत, से जुड़ी ख़बरें Khelo khul ke, sab bhool ke - only on Games Live
और देखें
Advertisement
ट्रेंडिंग न्यूज
Advertisement
Advertisement
टॉप हेडलाइंस
इंडिया
इंडिया
बॉलीवुड
क्रिकेट