Sarfira Review: जब किसी फिल्म को देखते हुए आंखों में आंसू आ जाए तो इसका मतलब वो फिल्म आपके दिल की छू रही है और अगर बार बार आंसू आएं तो इसका मतलब बार बार वो आपके दिल को छू रही है. ये फिल्म देखते हुए जब मैं इमोशनल हुआ तो मैंने आसपास देखा, बहुत सारे लोगों के हाथ में रुमाल दिखा. वैसे भी फिल्म को रिलीज से पहले बड़े कॉन्फिडेंस से दिखाया जा रहा था तो समझ आ गया था कि फिल्म अच्छी है. लेकिन जब देखा तो लगा कि अच्छी नहीं, शानदार है. अक्षय कुमार टॉप फॉर्म में हैं, ये सरफिरी फिल्म आपको हिला डालती है. एक कॉमन मैन की पावर दिखाती है और आपको काफी मोटिवेट करती है.


कहानी
ये कहानी है आम आदमी के हवा में उड़ने के सपने की. आम आदमी के लिए हवाई जहाज का सफर मुमकिन करने की. ये फिल्म साउथ की फिल्म सोरारई पोटरू का रीमेक है. कहानी है एक सरफिरे इंसान की जिन्होंने ये सपना देखा था कि आम आदमी ट्रेन के किराए में हवाई जहाज में सफर कर सके. उसे 1 रुपए में फ्लाइट की टिकट मिल सके.  ये सिप्लिफाई डैकेन के फाउंडर जीआर गोपीनाथ की जिंदगी से इंस्पायर्ड है. ओरिजनल कोविड के टाइम आई थी लेकिन ये कहानी थिएटर में देखी जानी चाहिए कि कैसे हवाई जहाज का सफर हमेशा के लिए बदल गया और आम आदमी के सपनों को पंख लग गए.


कैसी है फिल्म
ये एक शानदार फिल्म है, शुरुआत से ही फिल्म आपको बांध लेती है. एक के बाद एक ट्विस्ट एंड टर्न आते हैं. जैसे ही आपको लगता है कि अब सब ठीक हो गया, वैसे ही एक नया ट्विस्ट आता है. अक्षय के उनके परिवार के साथ वाले सीन बहुत इमोशनल हैं. ये फिल्म आपको लगातार चौंकाती है, रुलाती है और एंटरटेन करती है. फिल्म में 1 भी ऐसा मौका नहीं आता जब आप फोन देखें या बाहर चले जाएं. ये फिल्म आम आदमी की ताकत को दिखाती है और अगर आपको जिंदगी में मोटीवेशन चाहिए तो ये फिल्म देती है. ये एक क्लीन फिल्म है जिसे पूरे परिवार के साथ देखा जा सकता है.


एक्टिंग
बहुत टाइम के बाद अक्षय कुमार ने ऐसा किरदार निभाया है जो दिल पे लगा है. अक्षय इस फिल्म में आपको रुलाते हैं, आपको भरोसा दिलाते हैं कि कुछ नामुमकिन नहीं. उनके एक्सप्रेशन हर जगह कमाल के हैं, चाहे हार न मानने की जिद हो या फ्लाइट की टिकट के पैसे न होने पर अपने बीमार पिता के पास न पहुंच पाने की बेचारगी. अक्षय में इस किरदार को शिद्दत से निभाया है, उनकी मेहनत दिखती है. राधिका मदान का करियर इस फिल्म के बाद बदल जाएगा. उनकी एक्टिंग बहुत शानदार है. अक्षय जैसे सुपरस्टार के सामने उनका कॉन्फिडेंस कमाल है. अक्षय और उनका शादी के लिए प्रपोज करने वाला सीन हो या जब वो अक्षय को बिजनेस प्रपोजल देती हैं. जिस कनविक्शन से उन्होंने ये किरदार निभाया है वो चौंका देती हैं. परेश रावल का काम अच्छा है, उन्हें और स्पेस मिलना चाहिए था. अक्षय की मां के रोल में सीमा बिस्वास ने जान डाल दी है. बाकी सारे किरदारों का काम कमाल है और सूर्या का कैमियो भी दिल जीत लेता है.


डायरेक्शन
सुधा कोंगरा ने फिल्म को डायरेक्ट किया है. सुधा ने ही ओरिजनल फिल्म बनाई थे. उन्होंने फिल्म को किसी सेट पर शूट नहीं किया, रियल लोकेशन पर शूट किया. फिल्म पर उनकी पकड़ कमाल है, रीमेक को उन्होंने एक अलग सांचे में ढाला है और शानदार तरीके से बनाया है.


म्यूजिक
जीवी प्रकाश कुमार, तनिष्क बागची और सुहित अभंयकर का म्यूजिक दिल को छूता है. मनोज मुंतशिर ने अच्छे गाने लिखे हैं, बैकग्राउंड स्कोर भी अच्छा है जिसे जीवी प्रकाश कुमार ने ही दिया है.


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