Satya Prem Ki Katha Review: कार्तिक कियारा की ये फिल्म है एंटरटेनिंग, 'लड़की की ना का मतलब ना होता है' देती है ये मैसेज
Satyaprem Ki Katha Review: कार्तिक आर्यन और कियारा आडवाणी की फिल्म सत्यप्रेम की कथा देखने का प्लान बना रहे हैं तो पहले जान लें कैसी है फिल्म.
समीर विध्वंस
कार्तिक आर्यन, कियारा आडवाणी, सुप्रिया पाठक, गजराज राव, राजपाल यादव
Satyaprem Ki Katha Review: If a girl says no...it means no...अगर एक लड़की ना कह दे तो उसका मतलब होता है ना. ये फिल्म इस मैसेज के अच्छे तरीके से देती है और यही इस फिल्म की सबसे बड़ी खासियत है..ये फिल्म बताती है कि रेप किसी लड़की के छोटे कपड़े पहनने से नहीं होता बल्कि किसी की घटिया सोच से होता है.
कहानी
ये कहानी है सत्तू यानि सत्य प्रेम की जिसका किरदार कार्तिक आर्यन ने निभाया है. जो लॉ में फेल हो चुका है और उसके घरवाले उसकी शादी करवाना चाहते हैं. कथा यानि कियारा आडवाणी एक अमीर परिवार से हैं. उसका बॉयफ्रेंड उसे धोखा दे देता है. सत्यप्रेम को कियारा से प्यार हो जाता है और कथा की मर्जी के बिना जैसे तैसे दोनों की शादी करवा दी जाती है. लेकिन फिर खुलता है एक ऐसा राज जो इनकी जिंदगियों को हिला डालता है. आगे क्या होता है, कैसे कथा सत्यप्रेम की होती है. ये आपको थिएटर जाकर देखना होगा.
एक्टिंग
कार्तिक का काम काफी अच्छा है. यहां उन्होंने गुजराती बोली को शानदार तरीके से पकड़ा है. वो देखने में भी कमाल के लगे हैं और इस किरदार के साथ उन्होंने पूरी तरह से न्याय किया है. कियारा ने कमाल का काम किया है. उनकी स्क्रीन प्रेजेंस जबरदस्त है. कथा के रोल में वो बिल्कुल फिट बैठती हैं गुजराती बोली भी शानदार तरीके से बोली है. कार्तिक के मम्मी पापा के रोल में गजराज राव औऱ सुप्रिया पाठक ने भी अच्छी एक्टिंग की है. राजपाल यादव ने छोटे से किरदार में अच्छा काम किया है.
कैसी है फिल्म
ये एक हल्की फुल्की रोमांटिक फिल्म है जो एक बड़ा मैसेज दे जाती है. ट्रेलर देखकर लगा नहीं था कि फिल्म में ये मैसेज होगा लेकिन फिल्म आपको हैरान करती है. कहानी का अंदाजा आप नहीं लगा पाते. कहानी कई मोड़ लेती है. जहां आपको लगता है कि अब ये होगा वहां कुछ और हो जाता है. कार्तिक और कियारा के फैंस को उन्हें देखकर बहुत मजा आएगा और मुझे लगता है कि ये फिल्म फैमिली के साथ देखी जानी चाहिए क्योंकि इसका मैसेज हर परिवार तक पहुंचना चाहिए.
डायरेक्शन
समीर विध्वंस का डायरेक्शन ठीक है. वो थोड़ा और बेहतर कर सकते थे. जो मुद्दा उन्होंने उठाया उसे थोड़ा और हार्ड हिटिंग तरीके से कहा जा सकता था.
म्यूजिक
हितेश सोनिक का म्यूजिक ठीक है. रील्स में गाने भले पॉपुलर हों लेकिन फिल्म के बीच वो आपको कोई ऐसा फील गुड नहीं देते और आप गुनगुनाते हुए बाहर नहीं आते.