Shaitaan Review: शैतान का ट्रेलर आया तो लगा बवाल फिल्म होगी. माधवन क्या करने वाले हैं...अजय कैसे अपने परिवार को बचाएंगे... ये भले 2023 में आई गुजराती फिल्म वश का रीमेक है लेकिन ये फिल्म हिंदी दर्शकों में शायद ज्यादा ने नहीं देखी होगी और यही वजह है कि इस फिल्म को देखने का एक्साइटमेंट ट्रेलर के बाद से ही बना हुआ है. फिल्म का फर्स्ट हाफ है भी जबरदस्त, एक दम आपको सीट से बांधकर रखता है. माधवन हिला डालते हैं लेकिन फिर एंड तक आते आते मामला थोड़ा गड़बड़ हो जाता है.
कहानी
अजय देवगन अपनी पत्नी, बेटी और बेटे के साथ अपने फार्म हाउस पर छुट्टियां मनाने जा रहे हैं. रास्ते में एक ढाबे पर खाना खाने रुकते हैं. वहां माधवन उनकी बेटी को कुछ खिला देता है और अपने वश में कर लेता है. इसके बाद माधवन उनके फार्म हाउस पहुंच जाता है और फिर जो होता है वो आपको हिला डालता है. माधवन उनकी बेटी को अपने साथ ले जाना चाहता है लेकिन मां बाप की मर्जी से और मां बाप कैसे अपनी बेटी दान में दे दें. माधवन परिवार को खूब टॉर्चर करता है एंड में कैसे अजय अपने परिवार को बचाते हैं. अब हिंदी फिल्म है, हीरो को तो जीतना है तो बचाएंगी ही. यही कहानी है.
कैसी है फिल्म
फिल्म शुरू होती है और जल्द मुद्दे पर आ जाती है. माधवन की एंट्री होती ही आपको लगने लगता है कि कुछ गड़बड़ होने वाली है और जैसे ही वो सब शुरू होता है. आप हैरान रह जाते हैं. सीट से उठ नहीं पाते. जब तक माधवन अजय के परिवार को टॉर्चर करते हैं. वो एक एक सीन आपको हिला डालता है. फर्स्ट हाफ बहुत जबरदस्त है. सेकेंड हाफ में जब तक माधवन उनके घर रहते हैं फिल्म ट्रैक पर रहती है लेकिन फिर जब फिल्म क्लाइमैक्स की तरह बढ़ती है तो ऐसा लगता है कि जैसे कोई डिश अच्छे से बन रही थी लेकिन फिर उसमें गलत मसाले डालकर उसे खराब कर दिया गया. कुछ ऐसे सीन आते हैं जो बचकाने लगते हैं. लगता है इतने बड़े शैतान के साथ ऐसा कैसे हो सकता है. फिल्म का क्लाइमैक्स हल्का लगता है और एंड तक आते आते आपको एक शानदार फिल्म एक वन टाइम वॉच लगने लगती है. फिल्म में काला जादू और वशीकरण की बात कही गई है और बार बार ये डिस्क्लेमर भी डाला गया है कि फिल्म इसे प्रमोट नहीं करती लेकिन फिल्म बनी ही इस मुद्दे पर है तो अब ये आप खुद तय कर लीजिए कि काला जादू होता है ये नहीं.
एक्टिंग
आर माधवन इस फिल्म की जान हैं. वो जिस तरह से अजय के परिवार को टॉर्चर करते हैं. आप देख नहीं पाते. रहना है तेरे दिल में का मैडी जो हमारे दिलों में एक सॉफ्ट कॉर्नर बनाए हुए है उसे देखकर गुस्सा आता है. उसकी हरकतें आपको परेशान करती हैं और यही माधवन के किरदार की कामयाबी है. उन्होंने नेगेटिव रोल को बड़ी शिद्दत से निभाया है. अजय देवगन का काम हमेशा की तरह अच्छा है. वो यहां भी आंखों से एक्टिंग करते हैं और अपने किरदार में फिट हैं. अजय की पत्नी के किरदार में ज्योतिका अच्छी लगती हैं. अजय की बेटी का किरदार जानकी बोडीवाला ने निभाया है. इस फिल्म के ओरिजनल वर्जन वश में भी उन्होंने ये किरदार निभाया था और वो खूब जमी हैं. माधवन और वो ही इस फिल्म के मेन किरदार कहे जा सकते हैं. अजय के बेटे के किरदार में अंगद राज क्यूट लगते हैं और उन्हें देखकर मजा आता है.
डायरेक्शन
विकास बहल का डायरेक्शन अच्छा है लेकिन कृष्णदेव याग्निक अगर सेकेंड हाफ में स्क्रीनप्ले को और अच्छे से लिखते तो ये एक शानदार फिल्म बनती. विकास ने माधवन का इस्तेमाल जिस तरह से किया है वो काबिल-ए-तारीफ है. अच्छे एक्टर का बेहतर इस्तेमाल अच्छा डायरेक्टर ही कर सकता है और ये विकास ने दिखा दिया. एक ही घर में ये 80 फीसदी फिल्म चलती है लेकिन आपको हिलने नहीं देती. इसका क्रेडिट डायरेक्टर को ही जाना चाहिए लेकिन बाकी की 20 फीसदी आपकी उम्मीदें तोड़ती है और ये जिम्मेदारी भी डायरेक्टर की ही होनी चाहिए.
कितनी डरावनी है
ऐसी फिल्मों को लेकर सवाल यही होता है कि कितना डराती है तो जवाब ही के हां डर तो लगेगा. मेरे साथ बैठे मेरे साथी वरुण को हॉरर फिल्में देखने में डर लगता है और इस फिल्म के दौरान भी उन्हें डर लगा और उन्होंने कहा कि कुछ और बात करते हैं. डर लग रहा है तो कमजोर दिल वाले सोच समझकर जाएं.
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