Singham Again Review: अगर आपको सिंघम अगेन का 5 मिनट का ट्रेलर अच्छा लगा था तो आप उसको 35 गुना कर दीजिए और सिंघम अगेन बन जाएगी. रोहित शेट्टी गाड़ियां ही उड़ाते हैं, कोई कोरोना की वैक्सीन पर तो फिल्म बनाएंगे नहीं, तो यहां भी गाड़ियां उड़ती हैं लेकिन जब एक गाड़ी प्लेन के ऊपर से उड़ती है तो आपको लगता है कि फिजिक्स और ग्रैविटी की आत्मा कितनी तड़पी होगी और न्यूटन चाचा कितने दुखी हुए होंगे. ये फिल्म आपको तब अच्छी लगेगी जब दिमाग को घर पर रखकर सिर्फ और सिर्फ सितारों को पर्दे पर देखने के लिए जाएंगे वर्ना ये आपके टाइम की बर्बादी ही होगी.


कहानी
ट्रेलर में ही कहानी बता दी गई थी, सिंघम की पत्नी करीना कपूर का किडनैप हो जाता है. जैसे रामायण में रावण सीता माता को उठा ले गया था ठीक वैसी है, ऐसा फिल्म में दिखाया गया है. रामायण के रेफरेंस लिए गए हैं और श्रीराम ने तो आपको पता ही है क्या किया था. वही सिंघम करते हैं, अर्जुन कपूर की लंका से अपनी पत्नी को बचाते हैं और इसमें उनका साथ देते हैं वो सारे सितारे जो आपको रोहित शेट्टी की फिल्मों में दिख चुके हैं. कहानी पहले से ही ट्रेलर में दिखा दी गई थी तो इसमें कोई स्पॉयलर नहीं है.


कैसी है फिल्म
इस फिल्म को आप सिंघम अगेन का ढाई घंटे का ट्रेलर कह सकते हैं. ओपनिंग सीन बड़ा एवरेज है, अजय देवगन की एंट्री उसी घिसे पिटे स्टाइल में होती है जैसी अब तक 14324234234 हीरोज की हो चुकी है. इससे बढ़िया एंट्री तो फूल और कांटे में हुई थी उनकी और इससे बढ़िया एंट्री तो फिल्म में अर्जुन कपूर की होती है. फिर फिल्म आगे बढ़ती है और आप सोचते हैं कि why again rohit shetty, पहले वाली सिंघम देसी थी, इसलिए दिल को छू गई थी. यहां बेकार के मसाले डाले गए हैं, जबरदस्ती सितारे ढूंसे हुए लगते हैं. कुछ तो बस ट्रेलर जितने ही हैं, रामायण से फिल्म की कहानी को जोड़ा गया है जिसकी कोई जरूरत नहीं थी. हर चीज में राम नाम का सहारा क्यों लेना, अब ये कहेंगे कि इसी बहाने रामायण की कुछ बातें पता चल जाएंगी तो ये जस्टिफाई नहीं होगा. अगर किसी को रामायण समझनी है तो और भी तरीके हैं वो रोहित शेट्टी की फिल्म क्यों देखेगा. यहां एक्शन सीन भी ठीक ठाक है, कुछ सीन काफी फनी लगते हैं. कुछ डायलॉग काफी क्रिंज लगते हैं, कुल मिलाकर अगर सितारों का स्टाइल और स्वैग देखना है तो आप देख सकते हैं. रणवीर सिंह हंसाते हैं, उनकी कॉमिक टाइमिंग अच्छी है, सलमान खान का एंड में केमियो भी असरदार नहीं लगता है और ऐसा क्यों ये आपको फिल्म देखकर पता चलेगा और इसके लिए क्रेडिट रोल के वक्त थिएटर से चले मता जाइएगा. वो बात और है कि आप क्रेडिट रोल तक थिएटर में रुकेंगे या नहीं.


एक्टिंग
अजय देवगन ठीक लगे हैं, उन्हें सिंघम के तौर पर हम पहले भी देख चुके हैं. दीपिका पादुकोण ट्रेलर जैसी ही लगती हैं, उनका रोल भी बस ट्रेलर से थोड़ा सा ज्यादा है. टाइगर श्रॉफ ने ये फिल्म शायद इसलिए कर ली कि इसमें इतने सारे सितारे हैं, वर्ना उनके लिए इसमें कुछ है नही. रणवीर सिंह जरूर हंसाते हैं और वही इस फिल्म को सहने की ताकत देते हैं. अर्जुन कपूर गब्बर जैसे लगते हैं, ऐसा खुद रणवीर सिंह ने बोला है लेकिन सिर्फ लगे गब्बर जैसे हैं, एक्टिंग वैसी नहीं है. खौफ पैदा करने की कोशिश उन्होंने अच्छी की है लेकिन उतना खौफ पैदा हो नहीं पाया. अक्षय कुमार सूर्यवंशी के किरदार हैं और उनकी एक्टिंग हम सूर्यवंशी में देख चुके हैं. यहां भी वैसी ही है, करीना कपूर भी कुछ खास इम्प्रेस नहीं कर पाई.


डायरेक्शन
इस बार रोहित शेट्टी का डायरेक्शन एवरेज रहा. उनकी फिल्मों में कई सीटीमार सीन होते हैं, लोग तालियां बजाते हैं, यहां ऐसा नहीं हुआ. ऐसा लगा कि बड़ी आसानी से विलेन मारा गया, कोई बड़ा ट्विस्ट नहीं आया, इतने सारे सितारों को लेने की बजाय स्क्रिप्ट और स्क्रीनप्ले पर काम करना चाहिए था.


कुल मिलाकर ये एक एवरेज फिल्म है जिसमें कुछ नया नहीं है, बस सितारों को पर्दे पर मार धाड़ करनते देखने का शौक हो तो देख लीजिए.


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