Double XL Review: हुमा कुरैशी-सोनाक्षी सिन्हा की फिल्म देती है जरूरी मैसेज, हीरोइनों के वजन की तरह कहानी में नहीं है वजन
Double XL Review: सोनाक्षी सिन्हा और हुमा कुरैशी की फिल्म डबल एक्सएल आज सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है. ये फिल्म एक दमदार मैसेज देती है.
सतराम रमानी
सोनाक्षी सिन्हा, हुम कुरैशी, जहीर इकबाल
Double XL Review In Hindi: ऐ मोटी...साइज देखा है अपना...इस तरह से ताने अक्सर लड़कियों को सुनने को मिल जाते हैं...वजन बढ़ गया तो समझो कोई क्राइम हो गया उनसे...बॉडी शेमिंग की वजह से क्या कुछ झेलना पड़ता है...उन लोगों को क्या महसूस होता है ...और क्या वजन ज्यादा है तो क्या आप कुछ बड़ा नहीं कर सकते...इस बहुत अहम मुद्दे को ये फिल्म उठाती है.
कहानी
ये कहानी है हुमा कुरैशी और सोनाक्षी सिन्हा की जिनका वजन ज्यादा है या फिर सीधे सीधे बोलें तो जो मोटी हैं. हुमा को स्पोर्ट्स प्रेजेंटर बनना है तो सोनाक्षी को फैशन डिजाइनर लेकिन दोनों की सबसे बड़ी दिक्कत है उनका वजन. अब मोटी स्पोर्ट्स प्रेजेंटर कैसे हो सकती है और बढ़े हुए वजन के साथ सोनाक्षी को फैशन डिजाइनर बनने में भी दिक्कत आ रही है. ऐसे में दोनों अपना दुखड़ा रो रही होती हैं और दोनों की मुलाकात हो जाती है और दोनों एक दूसरे का साथ देती हैं अपने सपनों को सच करने में. फिर क्या वो सपने सच होते हैं. मोटी लड़कियों को किस तरह से बॉडी शेम किया जाता है. यही इस फिल्म में दिखाया गया है.
एक्टिंग
हुमा कुरैशी और सोनाक्षी सिन्हा इस फिल्म की जान हैं और दोनों ने शानदार काम किया है. दोनों ही अपना वजन 15 से 20 किलो बढ़ाया और वो दिखता है. हुमा कुरैशी तो इस कैरेक्टर में इस तरह से फिट हुई हैं कि आप भूल जाते हैं कि ये अपनी अदाओं से स्क्रीन पर आग लगाने वाली हुमा कुरैशी हैं. सोनाक्षी सिन्हा ने भी बढ़े हुए वजन को स्वैग के साथ कैरी किया है. कई सीन्स में दोनों जब अपने मोटापे की वजह से परेशान होती हैं या रोती हैं तो बहुत से लोग जो इस चीज से परेशान हैं वो इनसे रिलेट कर पाएंगे. कुल मिलाकर दोनों ने इन किरदारों में कमाल किया है. जहीर इकबाल ने भी अच्छा काम किया है. जिस तरह का उनका किरदार है वो उनपर सूट किया है. साउथ के एक्टर महत राघवेंद्र की ये पहली हिंदी फिल्म है और वो काफी क्यूट लगे हैं. उनकी एक्टिंग भी अच्छी है.
इस फिल्म की दिक्कत सिर्फ कहानी का वजह है. हीरोइनों ने तो वजन बढा लिया लेकिन कहानी में थोड़ा सा वजन और होता तो फिल्म जो मैसेज देना चाहती थी वो अच्छे से देती. फिल्म अपने मुद्दे से भटक जाती है और किसी और ही एंगल पर चली जाती है. बॉडी शेमिंग वाला एंगल आप जितना उम्मीद करते हैं उतना नहीं दिखता. फिल्म थोड़ी छोटी भी हो सकती है तो और ज्यादा एंटरटेनिंग लगती.
लेकिन इस फिल्म की सबसे बड़ी खासियत है कि ये फिल्म एक जरूरी मुद्दे को उठाती है. इन दिनों हर किसी को परफेक्ट फिगर चाहिए. सोशल मीडिया के दौर में तो ये कीड़ा सबको और ज्यादा काटा हुआ है. इस फिल्म को देखने के बाद ये कीड़ा थोड़ा शांत होगा और उन लोगों को अपने ऊपर कॉन्फिडेंस आएगा जिन्हें लगता है कि उनका बढ़ा हुआ वजन उनकी कामयाबी के आड़े आ रहा है.
इस फिल्म को 1 स्टार एक्स्ट्रा सिर्फ इसके टॉपिक की वजह से दिया जा सकता है.
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