Stree 2 Movie Review: सरकटे का आतंक खत्म करना सबके वश में नहीं, कितनों की जान पर बन आई
Stree 2 Movie Review: 6 साल का इंतजार करवाने के बाद स्त्री लौट ही आई है और इस बार वो अपने साथ इतने सारे सरप्राइजिंग एलीमेंट लेकर आई है कि आप बस हैरानी और खुशी में ही पूरी फिल्म देख डालेंगे.
Amar Kaushik
Rajkummar Rao, Shraddha Kapoor, Pankaj Tripathi, Abhishek Banerjee, Aparshakti Khurana
Stree 2 Movie Review: एवेंजर्स जैसी लेकिन देसी फिल्म देखनी है या फिर हॉरर-कॉमेडी का अच्छा डोज चाहिए? दोनों सवालों का जवाब है 'स्त्री 2' देख लीजिए. अगर आपने फिल्म का पहला पार्ट (स्त्री) देखा है, तो जाहिर है कि आपको इस फिल्म का इंतजार जरूर रहा होगा. ये फिल्म उन उम्मीदों पर खरी उतरती भी है. तो अगर आप इस स्वतंत्रता दिवस फिल्म देखने का मूड बना चुके हैं, तो ये रिव्यू पढ़ लीजिए. फिल्म का मजा दोगुना हो जाएगा.
कहानी: फिल्म की कहानी वहीं से शुरू होती है जहां से पुरानी फिल्म खत्म हुई थी. चंदेरी नाम के गांव वालों को 'स्त्री' से छुटकारा तो मिल चुका था, लेकिन गांव वालों को ये नहीं पता था कि उनके सामने उससे बड़ी समस्या भी आने वाली है. इस बार स्त्री के न रहने का फायदा उठाकर सरकटा नाम का एक पिशाच गांव में तबाही मचाने आ चुका है.
पिछली बार की ही तरह इस बार भी इस तबाही को रोकने का जिम्मा बिकी (राजकुमार राव) के कंधों पर आ गया है. जिसमें उसकी मदद जना (अभिषेक बनर्जी), बिट्टू (अपारशक्ति खुराना) और रुद्र (पंकज त्रिपाठी) करते हैं. उनकी ताकत बनने के लिए श्रद्धा कपूर के कैरेक्टर की भी एंट्री होती है. इंसान और पिशाच-चुड़ैल-भूत के बीच इस महायुद्ध में क्या होता है, ये जानने के लिए आपको फिल्म देखनी चाहिए.
कैसी है फिल्म?:
लगभग ढाई घंटे की फिल्म का इंटरवल कब आ जाता है? ये पता ही नहीं चलता. फिल्म सरपट दौड़ती हुई आगे बढ़ती है. और ये किसी भी फिल्म का सबसे पॉजिटिव पार्ट होता है कि उसे देखते समय आपको ये एहसास ही न हो कि कब टाइम निकल गया. वरना अगर फिल्म कहीं भी लंबी लगी तो वो बोझिल होने लगती है. फिल्म में ये कमी है ही नहीं.
इंटरवल के बाद मेरा पर्सनल एक्सपीरियंस ऐसा था कि मैं कुछ देर बाद इस बात से डरने लगा था कि अब थोड़ी ही देर में फिल्म खत्म हो जाएगी. ऐसा इसलिए क्योंकि इतने दिनों बाद अगर आपको हॉल में कुछ अच्छा देखने को मिल रहा है, तो आप चाहेंगे कि उसका मजा जितना ज्यादा लिया जा सके उतना अच्छा.
एक्टिंग: अगर ये कहा जाए कि राजकुमार राव ने बेहतरीन काम किया है तो ये अधूरा लगेगा. अगर हम ये कहें कि पंकज त्रिपाठी, अपारशक्ति खुराना और अभिषेक बनर्जी ने भी शानदार एक्टिंग की है, तो ये बात भी जस्टिफाइड नहीं होगी. किसी भी फिल्म को बेहतरीन बनाने के लिए सारे जरूरी एलीमेंट्स में से एक एक्टिंग वाला एलीमेंट भी है और इस फिल्म में वो इतना गजब का है कि आप किसी एक की तारीफ कर ही नहीं सकते.
अगर यूं कहें कि इन चारों ने मिलकर सिर्फ और सिर्फ 'गजब' किया है, तो ये बात पूरी तरह से फिट बैठती है. हर एक सीन में जब भी ये चारों एक साथ होते हैं या इनमें से कोई भी सोलो दिखता है, एक्टिंग कर नहीं रहे होते. दरअसल एक्टिंग जी रहे होते हैं. एक ही फिल्म में कई एक्टर्स की एक साथ इतनी गजब की कॉमिक टाइमिंग बहुत कम देखने को मिलती है.
श्रद्धा कपूर पहले पार्ट की तरह खूबसूरत और बेहतरीन लगी हैं. इसके अलावा, छोटे-छोटे रोल्स में दिखे बाकी के एक्टर्स वो जैसे पंचायत वाले बनराकस की बीवी का रोल निभा चुकी सुनीता राजवार हों या राजकुमार राव के पापा के रोल में दिखे अतुल श्रीवास्तव हों, सबने दिखाया है कि थिएटर वाला एक्टर होना क्या होता है.
डायरेक्शन: डायरेक्शन की कमान अमर कौशिक के ही हाथ में है. उन्हें जैसे वरदान मिला हो इस तरह की हॉरर कॉमेडी में कुछ बेहतरीन रच देने का. उन्होंने फिर से बेहतरीन ही रचा है. इसके पहले उन्होंने 'भेड़िया' और 'स्त्री' जैसी कमाल की फिल्में बनाई हैं, जिन्होंने हॉरर कॉमेडी को इंडिया में नया आयाम दे दिया है.
पूरी फिल्म में उन्होंने इस बात का ख्याल रखा है कि दर्शक नाराज नहीं होने चाहिए. कहानी को कुछ ऐसे पेश किया है कि डराने वाले सीन से लेकर रुलाने वाले सीन तक, हर जगह हंसने के लिए कोई न कोई मौका दर्शकों को मिल ही जाता है.
'स्त्री 2' की खास बातें:
फिल्म की सबसे खास बात ये है कि फिल्म पूरे ढाई घंटे हंसाती है. यानी जिस जीच का वादा किया गया था वो मेकर्स ने पूरा किया.
- ये फिल्म 'लगे रहो मुन्नाभाई' और 'गैंग्स ऑफ वासेपुर 2' वाली कैटेगरी की फिल्म बन चुकी है. कहने का मतलब ये कि जब फिल्म का सीक्वल फिल्म के पहले पार्ट जैसा ही दमदार और शानदार हो. यानी यहां फिल्म चलाने के लिए सिर्फ फ्रेंचाइजी के नाम का इस्तेमाल नहीं किया गया, बल्कि उसकी इज्जत भी रखी गई है.
- हमने शुरुआत में ही लिखा था कि हॉलीवुड की एवेंजर्स जैसी लेकिन देसी फिल्म का मजा लेना हो तो ये फिल्म देख लीजिए. दरअसल ये फिल्म एवेंजर्स सीरीज की तरह ही मैडॉक फिल्म्स के हॉरर यूनिवर्स के अलग-अलग हीरोज को भी फिल्म में इंट्रोड्यूस कराती है और इस कोशिश में सफल साबित होती है.
- सफल ऐसे कि सबको उनके हिस्से का स्क्रीन प्रेजेंस मिला है. यही बात फिल्म के 4 बाकी किरदारों के साथ भी लागू होती है. ये कहना पूरी तरह से गलत हो जाएगा कि ये फिल्म सिर्फ राजकुमार राव की है. फिल्म में उतना ही अच्छा काम और उतना ही स्क्रीन प्रेजेंस पंकज त्रिपाठी, अपारशक्ति और अभिषेक बनर्जी का भी है.
- फिल्म में कई सरप्राइजिंग एलीमेंट्स हैं, जैसे भेड़िया (वरुण धवन) की एंट्री. इसके अलावा, फिल्म में सबसे ज्यादा सरप्राइजिंग है अक्षय कुमार की एंट्री.
- ये फिल्म अक्षय कुमार के फैंस के लि बड़ा तोहफा लेकर आई है, क्योंकि फिल्म में ये इंडिकेशन भी दिया गया है कि आने वाले दिनों में इस यूनिवर्स का वो अहम हिस्सा होने वाले हैं.
- सबसे आखिर लेकिन सबसे खूबसूरत बात कि फिल्म में सिर्फ एक पोस्ट क्रेडिट सीन नहीं, बल्कि 3-3 पोस्ट क्रेडिट सीन हैं. और हर सीन की अपनी एक कहानी है, जहां डायरेक्टर ने बड़ी ही काबिलियत के साथ आने वाले दिनों में बाकी के कैरेक्टर्स को लेकर भी 'छुपे हुए खुलासे' कर दिए हैं. फिल्म में 'मुंज्या' से रिलेटेड एक सीन भी डाला गया है, लेकिन उसे समझने के लिए आपको पोस्ट क्रेडिट सीन जरूर देखने होंगे.
- फिल्म को सिर्फ 4 स्टार ही क्यों दे रहे हैं, उसकी वजह है कि फिल्म में कुछ और भी काम किए जा सकते थे. जैसे फिल्म के वीएफएक्स और स्पेशल इफेक्ट वाले सीन और सजीव किए जा सकते थे. सरकटा भूत कई जगह एनीमेटेड लगता है. भेड़िया भी कई जगह इसी कमी का शिकार होता दिखता है.
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