Shabaash Mithu Review: महिला क्रिकेट टीम बस से जा रही है, उन्हें टॉयलेट जाना है, रास्ता लंबा है, ऐसे में वो रास्ते में ही सड़क किनारे खेतों में टायलेट के लिए चली जाती हैं और सामने हाइवे पर लगे होर्डिंग पर पुरुष क्रिकेट टीम का विज्ञापन दिखाई देता है और आपको देश में महिला क्रिकेट का हाल समझ में आता है. ऐसा ही एक सीन आता है जब हारी हुई पुरुष क्रिकेट टीम के साथ फोटो खींचने के लिए लोग महिला क्रिकेट टीम की कप्तान को ही बोल देते हैं क्योंकि उन्हें पता ही नहीं होता कि ये महिला क्रिकेट टीम की कप्तान हैं.


कहानी
शाबाश मिट्ठू कहा है भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान रही मिताली राज की. कैसे वो डांसर से क्रिकेटर बनीं, उनके सामने क्या क्या चुनौतियां आई, परिवार समाज क्रिकेट बोर्ड सबका क्या रवैया रहा.कैसे महिला क्रिकेट टीम को सुविधाओं की कमी झेलनी पड़ी.



डायरेक्टर श्रीजीत मुखर्जी  ने कहा को बड़े सिंपल अंदाज में कहा है.ये फिल्म क्रिकेट को ग्लैमराइज नहीं करती बल्कि महिला क्रिकेट की हकीकत को दिखाती है. मिताली की कहानी के साथ साथ किस तरह से महिला क्रिकेट आगे बढ़ा. ये कहानी बड़े सधे हुए तरीके से दिखाई गई है. तापसी पन्नू ने मिताली के किरदार को जिया है. उन्होंने काफी मेहनत की है ये साफ दिखता है. तापसी यहां कोई ग्लैमरस डीवा नहीं लगी हैं और उन्हें लगना भी नहीं है और यही उनकी खासियत है कि वो किरदार के हिसाब से खुद को ढाल लेती हैं. यहां आपको सिर्फ चौके छक्के लगाती तापसी नहीं दिखेंगी. मिताली के किरदार में उनके कई रूप दिखेंगे जो आपको सोचने पर भी मजबूर करेंगे कि इंडियन क्रिकेट टीम की कप्तान के साथ ऐसा हुआ था. ये तापसी की बेहतरीन परफॉरर्मेंस में से एक मानी जाएगी. कोच के किरदार में विजय राज ने कमाल का काम किया है. वो अपनी मौजूदगी बड़ी मजबूती से दर्ज करवाते हैं और खूब जमे भी हैं. तापसी के बचपन का किरदार बिजेंदर काला का काम अच्छा है. तापसी औऱ उनकी बचपन की दोस्त का किरदार निभाने वाले बच्चों ने भी शानदार काम किया है और शुरुआत से ही वो आपको फिल्म से जोड़ देते हैं.



इस फिल्म की एक कमी ये कही जा सकती है कि ये थोड़ी स्लो है लेकिन श्रीजीत मुखर्जी का कहानी कहने का अंदाज ही यही है. उनके सिनेमा को पसंद करने वालों को ये फिल्म अच्छी लगेगी. इसमें वैसा तड़का नहीं है जो आम बॉलीवुड फिल्मों में होता है. ये फिल्म कई सवाल उठाती है. महिला क्रिकेट के साथ हुई बेरुखी के सवालों को ये फिल्म काफी मजबूत तरीके से उठाती है और वो सीन आपको काफी हैरान भी करते हैं. मिताली की कहानी के साथ साथ जिस तरह से महिला क्रिकेट के हाल को दिखाया गया है वो कमाल है. एक बॉल पर दो शॉट मारे गए हैं औऱ दोनों बाउंड्री पार कर गए हैं.


तो अगर अच्छा सधा हुआ सिनेमा देखने को शौकीन हैं. और तापसी के फैन हैं तो ये फिल्म आपको जरूर देखनी चाहिए.


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