The Fame Game SE 1 Review: डॉ. बशीर बद्र का प्रसिद्ध शेर है, ‘शोहरत की बुलंदी भी पल भर का तमाशा है, जिस डाल पे बैठे हो वो टूट भी सकती है.’ करन जौहर कैंप से आई वेब सीरीज द फेम गेम इसी शोहरत के तमाशे की कहानी है. ऐसी शोहरत जो क्षणभंगुर है. उसे बनाए रखने के लिए कैसे-कैसे खेल रचे जाते हैं, वह आप इसमें देख सकते हैं. यहां बात है हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की. द फेम गेम का नाम पहले फाइंडिंग अनामिका था, लेकिन मेकर्स को लगा कि इससे दर्शकों के सामने कहानी के सिरे खुल जाते हैं. यह सीरीज घोषणा के साथ ही इसलिए चर्चा में थी कि इससे माधुरी दीक्षित मनोरंजन के नए प्लेटफॉर्म ओटीटी पर पहला कदम रख रही हैं.


नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई 'द फेम गेम' की सबसे बड़ी समस्या यही है कि माधुरी दीक्षित सबसे कम और कमजोर नजर आती हैं. उनकी कहानी रूटीन ट्रेक पर है. जिसमें विविधता नहीं दिखती. वह सीरीज के केंद्र में भले हैं लेकिन कहानी के हाई पॉइंट उनसे नहीं हैं. माधुरी दीक्षित यहां ऐसी बॉलीवुड स्टार का रोल कर रही हैं, जो इंडस्ट्री में शिखर पर है मगर बढ़ती उम्र के कारण उसका करियर ढलान पर है.




कहानी से हट कर जरा हकीकत पर नजर डाल लें. बॉलीवुड में हीरोइनें करिअर के उतार की मुश्किलों का सामना तब करती हैं, जब उम्र के पड़ाव पर 40 का आंकड़ा पार करके आगे बढ़ती हैं, लेकिन माधुरी असल जीवन में ही 54 की हो चुकी हैं. अतः वह अनामिका के रोल में अनफिट साबित होती हैं. शादी के बाद अमेरिका जाने और वहां से बॉलीवुड में वापसी किए भी उन्हें डेढ़ दशक बीत चुका हैं. कमबैक के बाद उनकी लगभग सभी फिल्में फ्लॉप रहीं. वेब सीरीज में भी माधुरी अपने किरदार में नहीं जमतीं. उनके पति का रोल निभाने वाले संजय कपूर 56 के हैं, लेकिन उनके प्रेमी के किरदार में उतरे मानव कौल उनसे काफी छोटे यानी 45 साल के हैं. इस तरह द फेम गेम की कास्टिंग में अच्छी खासी गड़बड़ी है.


जहां तक कहानी की बात है तो वह पहले एपिसोड के बाद एक ही जगह पर गोल-गोल घूमती है. शुरुआती एपिसोड में अनामिका (माधुरी दीक्षित) अचानक गायब हो जाती है. न घरवालों को खबर है और न उसके साथ फिल्म बना रहे निर्माता-निर्देशक-एक्टर को. घर के सीसीटीवी कैमरे भी ऑफ थे. मीडिया शोर मचा रहा है. अनामिका कहां गई. क्या अपहरण हो गया या क्या कोई हादसा हो गया. हत्या तो नहीं हो गई. तमाम सवाल आठ एपिसोड की सीरीज को धीरे-धीरे आगे बढ़ाते हैं. बात कभी फ्लैशबैक में तो कभी वर्तमान में चलती है.




पुलिस मामले को सुलझाना चाहती है. हर किरदार से सवाल होते हैं. मगर सुराग नहीं मिलता. इस बीच अनामिका के युवा बच्चों, बेटे अविनाश (लक्षवीर सिंह सरन) और बेटी अम्मू (मुस्कान जाफरी) की निजी जिंदगी सामने आती है. बच्चों, पति और मां (सुहासिनी मुले) के साथ अनामिका के रिश्तों की जटिलताऐं उभरती हैं. संजय कपूर-मानव कौल-माधुरी दीक्षित का रिलेशनशिप त्रिकोण वेब सीरीज को रोचक बनाने की कोशिश करता है. संजय यहां फिल्म प्रोड्यूसर बने हैं, जिसके बैंक खाते खाली हैं. घर गिरवी है. वह मानव और माधुरी को लेकर नई फिल्म प्रोड्यूस कर रहा है. दोनों 20 साल बाद साथ काम कर रहे हैं. किसी जमाने में दोनों के बीच प्यार था, मगर फिर राहें जुदा हो गईं. क्या नई फिल्म उनकी जिंदगी में नया मोड़ लाएगी. अनामिका की तलाश के साथ-साथ दर्शक इन सवालों के जवाब का भी इंतजार करता है.


एक बिल्कुल फिल्मी ट्रेक अनामिका के अनाथ फैन का भी है, जिसके पागलपन की हदों पर हंसी आती है. जिस तरह से उसे कहानी में लेखकों ने पिरोया है, वह नकली और हास्यास्पद हो जाता है. वेब सीरीज पर करन जौहर की नई कंपनी का ठप्पा लगा है और इसलिए आपको आश्चर्य नहीं होता कि कहानी के मुख्य ट्रेक में गे और लेस्बियन किरदारों की भी कहानियां पिरोई गई हैं. समलैंगिक संबंध अब करन जौहर की कंपनी से आने वाले हर कंटेंट में जैसे अनिवार्य रूप से डाले जाने लगे हैं. भले ही कथानक में वह जरूरी हों या न हों.




द फेम गेम बॉलीवुड की पृष्ठभूमि में ऐसी कोई नई बात नहीं बताती, जो दर्शकों को नहीं पता. फिल्मी दुनिया में स्त्री-पुरुषों के रिश्ते कैसे होते हैं, सितारों का पारिवारिक जीवन कैसा होता है, कैसे दांव-पेंच चले जाते हैं, दर्शकों को कैसे साधा जाता है ताकि नेपोटिज्म चलता रहे. इतना जरूर है कि पहले सीजन में कहानी एक सिरे से शुरू होकर दूसरे पर खत्म होती, लेकिन यह ऐसी सीरीज नहीं है, जिसके दूसरे सीजन का दर्शक बेसब्री से इंतजार करें.