Tikdam Review: साल की सबसे प्यारी फिल्म, अमित सियाल के करियर को नई डायरेक्शन देगी ये फिल्म
Tikdam Review: अमित सियाल की फिल्म तिकड़म ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज हो गई है. इस फिल्म को देखने का प्लान बना रहे हैं तो पहले पढ़ लें रिव्यू.
विवेक अन्चालिया
अमित सियाल, अरिष्ट जैन, आरोही सौद और दिव्यांश दिव्येदी
ओटीटी प्लेटफॉर्म
Tikdam Review: अगर हम खराब सिनेमा को क्रिटिसाइज करते हैं तो अच्छे सिनेमा की तारीफ करने का दम भी रखना चाहिए. अगर खराब एक्टर्स की उनकी खराब एक्टिंग के लिए आलोचना करते हैं तो अच्छे एक्टर्स की खुलकर तारीफ भी करनी चाहिए. जियो सिनेमा पर एक फिल्म आई है तिकड़म, ना कोई ज्यादा प्रमोशन, ना कोई हो हल्ला, लेकिन फिल्म देखने के बाद लगा कि ऐसी फिल्मों का हल्ला क्यों नहीं. अच्छे सिनेमा की बात क्यों नहीं, इस फिल्म की टीम अब इस फिल्म को प्रमोट कर रही है और करना भी चाहिए क्योंकि अच्छा सिनेमा लोगों तक पहुंचना ही चाहिए. फिर चाहे इसके लिए कितनी भी तिकड़म लगानी पड़े.
कहानी
ये कहानी है एक छोटे से हिल स्टेशन सुखताल की. यहां प्रकाश यानि अमित सियाल अपने बच्चों और माता पिता के साथ रहते हैं. एक छोटे से होटल में काम करते हैं लेकिन सुखताल में टूरिस्ट कम होने की वजह से वो होटल बंद हो जाता है लेकिन एक पिता को अपने बच्चों के सपने को तो पूरा करना है ना. उन्हें पिकनिक पर भेजना है, ऐसे में प्रकाश भी सुखताल के बाकी लोगों की तरह अपने गांव से बाहर शहर जाकर नौकरी करने का फैसला करता है औऱ उसके बच्चे फैसला करते हैं पापा को गांव में रखने का और इसके लिए ये छोटे छोटे बच्चे पर्यावरण बचाने निकलते हैं. ताकि सुखताल में बर्फ गिरे और टूरिस्ट आएं जिससे यहीं नौकरियां पैदा हों और उनके पापा उन्हें छोड़कर ना जाएं. क्या वो ऐसा कर पाते हैं, इसके लिए आप फौरन ये फिल्म देख डालिए.
कैसी है फिल्म
ये एक बहुत प्यारी फिल्म है जो आपको कई बार रुलाएगी, कई बार आपको आपके बचपन में ले जाएगी. कई बार आपके सामने यादों का ऐसा पिटारा खोल देगी कि आप उसमें खो जाएंगे. आपका मन करेगा कि काश बचपन लौट आता. आपको लगेगा कि मैंने अपने पापा से उस वक्त कुछ ज्यादा डिमांड कर दी थी. ये फिल्म बहुत सिंपल है और यही इसकी खासियत है, कई लाउड सीन नहीं, कोई हौ हल्ला नहीं, अपनी गति से फिल्म चलती है. आप इस फिल्म के साथ चलते हैं, ऐसा नहीं है कि बच्चे इसमें पर्यावरण को ही बदल देते हैं. लॉजिक के साथ बातों को समझाया गया है, ये फिल्म परिवार की अहमियत बताती है, ये फिल्म बताती है कि कोई भी तिकड़म लगाइए लेकिन परिवार से दूर मत जाइए. ये फिल्म आपको बहुत कुछ फील करा जाती है जो लिखकर नहीं बताया जा सकता, इस फिल्म को देखकर उसे महसूस कीजिए.
एक्टिंग
अमित सियाल को अब तक हमने टफ और इंटेंस रोल में ही देखा है. वो ये फिल्म कर सकते थे और प्रकाश के किरदार को इतनी खूबसूरती से निभा सकते थे ये शायद अमित सियाल को खुद भी नहीं पता होगा. लेकिन ये उनके करियर का अब तक का सबसे बेहतरीन किरदार है जो उनकी इमेज को तोड़ गया और यही तो एक एक्टर को चाहिए. वो एक पिता के इमोशन्स को जिस तरह से पेश करते हैं, आपको अपने पापा हर हाल में याद आएंगे. अमित सियाल की डायलॉग डिलीवरी और एक्सप्रेशन्स आपको अंदर तक छू जाएंगे. आपको उनके किरदार से मोहब्बत हो जाएगी, आपको लगेगा कि हम इसके लिए कुछ कर दें. इसे नौकरी दिलवा दें, जूते दिलवा दें, इसके बच्चों की पिकनिक की फीस भर दें, अरे कुछ तो कर दें. उम्मीद है ये फिल्म और ये किरदार अमित के लिए नए दरवाजे खोलेगा. बाकी के हर एक्टर ने कमाल का काम किया है. अरिष्ट जैन, आरोही सौद और दिव्यांश दिव्येदी, ये तीन बच्चे इस फिल्म में एक नई जान डाल देते हैं और तीनों का काम शानदार है. तीनों को देखकर लगा ही नहीं कि ये अभी सीख रहे हैं. ऐसा लगा जैसे बड़े मंझे हुए एक्टर हैं. इनके अलावा भी बाकी के सारे कलाकार कमाल के हैं.
डायरेक्शन
विवेक अन्चालिया ने फिल्म को डायरेक्ट किया है. विवेक ने ही पंकज निहलानी के साथ मिलकर स्क्रीनप्ले लिखा है और इसकी कहानी लिखी है. अनिमेष वर्मा ने औऱ ये तीनों लोग इस फिल्म के तीन हीरो हैं. लिखाई अगर दमदार नहीं होगी तो अच्छा एक्टर भी कुछ नहीं कर पाएगा और य़े फिल्म राइटिंग औऱ डायरेक्शन के डिपार्टमेंट में अव्वल है. विवेक ने इसे डायरेक्ट भी बड़े खूबसूरत तरीके से किया है. कहीं चीजों को जबरदस्ती हीरोइक या ओवर द टॉप दिखाने की कोशिश नहीं की गई. इस कहानी की खासियत इसकी सादापन है और उसे कायम रखा गया है.
कुल मिलाकर आज जहां हजार तरह का कंटेंट आ रही है उसमें ये फिल्म ताजा हवा के झोंके जैसी है, तो थोड़ी ताजी हवा ले लीजिए.
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