Ulajh Review: फिल्म का नाम उलझ है लेकिन फिल्म उलझा नहीं पाती, सीधी सीधी है, सुलझी हुई है. अपने नाम की इज्जत नहीं रख पाती. आप फिल्म देखते हुए उलझते नहीं हैं और एक सुलझे हुए इंसान की तरह ये समझ जाते हैं कि ये फिल्म बिल्कुल उलझी हुई नहीं है.


कहानी
जाह्नवी कपूर यानि सुहाना भाटिया को इंडियन डिप्लोमेसी में एक बड़ी पोस्ट मिल जाती है. परिवार में कई बड़े डिप्लोमेट हैं तो लोग बोलते हैं नेपोटिज्म हुआ है. मतलब इतना सच, खैर इसके बाद उनका एमएमएस बन जाता है और फिर शुरु होता है पाकिस्तान के एजेंट का ब्लैकमेलिंग का खेल और फिर देश को बचाने की वही कहानी को 4737473733 से भी ज्यादा बार हम देख सुन चुके हैं.


कैसी है फिल्म 
ये समझने में मुझे कुछ वक्त लगा कि ये फिल्म क्या है, ये एक MMS लीक है, ये एक स्पाई थ्रिलर है या फिर क्या है. स्लो शुरुआत के बाद फिल्म में MMS वाला ट्विस्ट आता है और फिर आप इंतजार ही करते रह जाते हैं कि कब आप उलझेंगे. फिल्म बोर करती है और झेली नहीं जाती. वही पाकिस्तान और हिंदुस्तान की दोस्ती दुश्मनी, मतलब कब तक ये अत्याचार सहेंगे हम. इतना अत्याचार तो पाकिस्तान पर उनको इकोनॉमी ने नहीं किया जितना ऐसी कहानियां कर देती हैं.  एंड में क्या होगा ये सबको पता है, अब जाह्नवी के लिए फिल्म बनी है तो वो जीतेगी ही और जीत जाती है और दर्शक एक बार फिर हार जाता है.


एक्टिंग
जाह्नवी ने अच्छी कोशिश की है, लेकिन उनका किरदार खराब तरीके से लिखा गया है. मेकर्स इन्हें दिखाना क्या चाहते हैं, डिप्लोमेट है तो कुछ भी कैसे कर सकती हैं. जाह्नवी ने हर तरह के शेड को निभाने की अच्छी कोशिश की है, ऐसी कोशिश करती रहेंगी तो वो जरूर एक दिन कमाल की एक्ट्रेस बनेंगी. गुलशन देवैया फिल्म की जान हैं, ये शख्स पर्दे पर मासूमियत के बाद जो खौफ लाता है वो काबिले तारीफ है. फिल्म में हर ट्विस्ट गुलशन लाते हैं और बड़े शानदार अंदाज में इसके बाद गुलशन के पास विलेन के किरदार के काफी ऑफर आएंगे. और इंडस्ट्री को भी एक नया नायक मिला है जो खलनायक का किरदार बड़े कमाल तरीके से निभा सकता है. रोशन मैथ्यू का काम शानदार है. आदिल हुसैन तो हैं ही कमाल के एक्टर. राजेश तैलंग ने भी एक बार फिर कमाल का काम किया है, उनका किरदार जिस तरह शेड्स बदलता है वो बताता है कि राजेश तैलंग की कद के अभिनेता है. सब कलाकार शानदार हैं. 


डायरेक्शन
सुधांशु सरिया ने फिल्म डायरेक्ट की है और उनका काम अच्छा नहीं है. वो इतने सारे एक्टर्स को ठीक से इस्तेमाल नहीं कर पाए. उन्होंने ही परवेज शेख के साथ ये फिल्म लिखी है, उन्हें फिल्म का नाम उलझ रखने से पहले ये समझना चाहिए था कि वो किसे उलझा रहे हैं. क्या वो दर्शकों को उलझा पाएंगे, दर्शक आज बहुत समझदार है, वो खुद फैसला करता है कि कोई फिल्म अच्छी है या नहीं और देखनी चाहिए या नहीं.


कुल मिलाकर ये फिल्म एवरेज है, आपके पास एक्स्ट्रा टाइम हो तो देख लीजिए.


ये भी पढ़ें: Auron Mein Kahan Dum Tha Review: ऐसी फिल्म बनाने का दम वाकई औरों में नहीं है, अजय-तब्बू भी नहीं बचा पाए ये कमजोर कहानी