Vedaa Review: जॉन अब्राहम की इस फिल्म की जान हैं शरवरी, अच्छे फर्स्ट हाफ के बाद कहां रह गई कमी
Vedaa Review: जॉन अब्राहम और शरवरी वाघ की 15 अगस्त को रिलीज होने जा रही फिल्म 'वेदा' का रिव्यू आ गया है. आइए जानते हैं कि फिल्म कैसी है और इसे कितनी रेटिंग मिली है.
Nikkhil Advani
John Abraham, Sharvari Wagh, Tamanna Bhatia, Kshitij Chauhan, Abhishek Banerjee, Ashish Vidhyarthi
Vedaa Review: अच्छी शुरुआत के बाद कई बार क्रिकेट के गेम में खिलाड़ी जल्दी आउट हो जाता है. काफी उम्मीदें जगाने के बाद भी कोई चीज निराश कर जाती है. कुछ ऐसा ही हुआ वेदा के साथ. अच्छा ट्रेलर, अच्छा कॉन्सेप्ट, अच्छा फर्स्ट हाफ लेकिन फिर भी कहीं रह गई कमी. पूरा रिव्यू पढ़िए और तय कीजिए कि आपको ये फिल्म देखनी है या नहीं.
कहानी- ये कहानी है ऊंच नीच की, जात पात की, जो कई जगह सालों से चला रहा है. राजस्थान के बाड़मेर की ये कहानी है जहां 150 गांवों का प्रधान वहां का कानून तय करता है. वहां एक नीची जात के लड़के को ऊंची जात की लड़की से प्यार हो जाता है और फिर शुरू होता है एक खूनी खेल. वेदा नीची जाति की लड़की है, बॉक्सर बनना चाहती है, आर्मी से निकाले गए अभिमन्यू यानि जॉन उसकी मदद करते हैं लेकिन फिर वेदा के भाई की मोहब्बत उसके परिवार पर भारी पड़ जाती है. और फिर क्या होता है, ये आप थिएटर ने चले जाइएगा अगर पूरा रिव्यू पढ़ने के बाद आपको ठीक लगे तो.
कैसी है फिल्म- ये फिल्म शरवरी की फिल्म है. वही सेंट्रल कैरेक्टर में हैं. फिल्म की शुरुआत अच्छी होती है. जात पात के लेकर भेदभाव के कुछ ऐसे सीन आते हैं जो आपको चौंकाते हैं. आपको लगता है कि सिर्फ एक एक्शन फिल्म नहीं है. इसमें और भी कुछ है, फर्स्ट हाफ काफी अच्छा लगता है, उम्मीद जगाता है, लेकिन फिर सेकेेंड हाफ में वही होता है जो हम कई हजार फिल्मों में देख चुके हैं. ऊंची जाति के लोगों से जॉन बस शरवरी को बचाते हैं, बचाते हैं और बचाते हैं, और थिएटर में बैठे हम पछताते हैं, पछताते हैं और पछताते हैं. फिल्म में एक्शन का डोज थोड़ा कम करके इमोशन और बढ़ाया जाता है. कहानी पर थोड़ा और फोकस किया जाता तो ये और बेहतर फिल्म बन सकती थी.
एक्टिंग- शरवरी फिल्म की जान हैं. उन्होंने कमाल का काम किया है. चाहे बोली पकड़ना हो या फिर उनकी बॉडी लैंग्वेज हो, वो शानदार लगी हैं. वो एक के बाद एक कमाल का काम कर रही हैं. सेकेंड हाफ में जो वो बाल कटवाती हैं तो उन्हें देखने के लिए ही आप सेकेंड हाफ देखते हैं. उनका काम बताता है कि आने वाले वक्त में वो हिंदी सिनेमा पर राज करेंगी. जॉन अब्राहम का काम अच्छा है, वो किरदार में सूट किए हैं. वो कम बोलते हैं और इस बार को जस्टिफाई भी किया गया है. एक्शन में जॉन वैसे भी कमाल करते हैं, अभिषेक बनर्जी का काम शानदार है, विलेन के किरादर में अभिषेक ने जान डाल दी है. वो वैसे भी कमाल के एक्टर हैं. स्क्रीन पर आते हैं तो बवाल काट देते हैं. आशीष विद्यार्थी ने एक बार फिर शानदार एक्टिंग की है. क्षितिज चौहान का काम भी अच्छा है. अभिषेक के छोटे भाई के रोल में उन्होंने इम्प्रेस किया है. तमन्ना भाटिया का कैमियो भी अच्छा है. कुुमुद मिश्रा छोटे से रोल में भी याद रह जाते हैं.
डायरेक्शन- निखिल आडवाणी का डायरेक्शन ठीक है. फर्स्ट हाफ में उन्हें पूरे नंबर और सेकेंड हाफ में आधे नंबर. अच्छी शुरुआत को वो भुना नहीं पाए. फर्स्ट हाफ में फिल्म एक शानदार फिल्म होने की जो उम्मीद जगाती है वो सेकेंड हाफ शुरू होते ही टूट जाती है. सेकेंड हाफ पर और अच्छा काम होता तो ये एक बेहतरीन फिल्म बनती है.
कुल मिलाकर ये फिल्म देखी जा सकती है. शरवरी और इस फिल्म के सब्जेक्ट के लिए इस फिल्म को एक्स्ट्रा नंबर मिलने चाहिए.
रेटिंग- 2.5 स्टार्स.
यह भी पढ़ें: Khel Khel Mein Review: फॉर्म में लौट आए अक्षय कुमार, मजा आएगा मोबाइल की दुनिया का ये सच देखकर