Vidyut Jammwal khuda haafiz chapter 2: जब किसी आदमी को इतना मजबूर कर दिया जाए कि उसे अंजाम की परवाह ना रहे... ऐसे ही मामूली लोग आगे चलकर बाहूबली बनते हैं - ये डायलॉग फिल्म खुदा हाफिद 2 का है. इसी डायलॉग से इस फिल्म का ट्रेलर शुरू होता है और ये डायलॉग इस फिल्म को पूरी तरह से बयान करता है कि एक मामूली आदमी कैसे बाहुबली बनता है. कहानी से पहले ये बताना चाहूंगा कि पिछले काफी दिनों से किसी फिल्म ने मुझे इमोशनली इतना नहीं हिलाया जितना इस फिल्म ने हिलाया.


कहानी
इस फिल्म की कहानी बहुत सिंपल है. उतनी ही है जितनी ट्रेलर में दिखाई गई है. एक बेटी के साथ जब रेप होता है तो उसका बाप कैसे गुनहगारों से बदला लेता है. एक मामूली से आदमी कैसे बाहुबली बन जाता है. कहानी कोई महान नहीं है लेकिन इस कहानी को जिस तरह का ट्रीटमेंट दिया गया है वो कमाल है. वो आपको फिल्म से जोड़ देता है. कहानी तो केजीएफ 2 और पुष्पा की भी ऐसी ही थी. कैसे एक मामूली सा इंसान गैंगस्टर बन जाता है लेकिन ट्रीटमेंट ने फिल्म में जान डाल दी थी और ऐसा ही खुदा हाफिज 2 के साथ हुआ है.



इस फिल्म में एक सीन आता है जब एक छोटी सी बच्ची के मां बाप की मौत हो जाती है और वो उनकी तस्वीर के आगे अगरबत्ती जलाने की कोशिश करती है लेकिन माचिस नहीं जला पाती. ये सीन बिना किसी डायलॉग को आपको अंदर तक हिला देता है और इसी तरह के कई सीन हैं इस फिल्म में जो आपको झकझोर देते हैं.


फिल्म का फर्स्ट हाफ काफी इमोशनल है और हिला डालने वाला है. दूसरे हाफ में एक्शन ज्यादा है. मुझे फर्स्ट हाफ बहुत मजबूत लगा.आपकी आंखें नम हो जाती हैं. आपको गुस्सा आता है. एक सीन में जब विद्युत एक पुलिसवाले को घर में घुसकर पीटते हैं और उससे पहले जो कुछ होता है उसके बाद आप थिएटर की सीट पर बैठकर कहते हैं कि ऐसे भ्रष्ट पुलिसवाले को और मारो.


एक्टिंग
विद्युत जामवाल ने इस फिल्म में कमाल का काम किया है .एक पिता के इमोशन को विद्युत ने जिस तरह से दिखाया है आप उनसे कनेक्ट करते हैं. उनकी आंखों में जो intensity दिखती है वो आपके दिल तक पहुंचती है. पहले हाफ में वो आपको इमोशनल कर देते हैं तो दूसरे हाफ में जबरदस्त एक्शन दिखाते हैं. जिसे देखकर आपको लगता है ये है असली एक्शन स्टार. हमारे इंटरव्यू में विद्युत ने कहा था कि वो एक सीन को शूट करते हुए बेहोश हो गए थे और यकीन मानिए जब फिल्म में आपको वो सीन देखते हैं तो आप भी हिल जाते हैं. ये फिल्म विद्युत के करियर के एक नई दिशा दे सकती है और फिल्म देखकर आपको लगता है उन्हें बड़े बैनर की और फिल्में मिलनी चाहिए. शिवालिका ओबरॉय का काम अच्छा है. एक मां के इमोशन को वो अच्छे से निभा पाई हैं, लगी भी खूबसूरत हैं. विद्युत और शिवालिका की बच्ची का किरदार निभाने वाली रिद्धी शर्मा की एक्टिंग गजब है. वो आपको रुला डालती हैं. राशिद कसाई के रोल में dibyendu bhattacharya जबरदस्त लगे हैं. ठाकुर जी के रोल में शीबा चड्ढा ने शानदार काम किया है. कुल मिलाकर इस फिल्म के किरदार फिल्म की जान बन गए हैं.


म्यूजिक
फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर और गाने कमाल के हैं.आपको खुद से कनेक्ट कर लेते हैं. ऐसा नहीं होगा कि गाना आए और आप फोन चेक करने लगें या बाहर फोन पर बात करने चले जाएं.'लोहबान के धुएं सा फैला है चारों सू...तू लापता है फिर भी हर ओर तू ही तू' और 'अहसास की जो जुबान बन गए ..दिल में मेरे मेहमान बन गए..आपकी तारीफ में क्या कहें...आप हमारी जान बन गए' ..ये गाने फिल्म में कमाल के लगते हैं..कहानी को आगे बढ़ाते हैं.


कुल मिलकर ये एक इमोशनल एक्शन फिल्म है और एक हैवी फिल्म है. जो आपको हिलाएगी और रुलाएगी.


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