Liger Review: इस फिल्म को बायकॉट करने की जरूरत ही नहीं, विजय देवरकोंडा का चार्म भी नहीं कर पाया मैजिक
Liger Review: विजय देवरकोंडा और अनन्या पांडे की फिल्म 'लाइगर' देखने का प्लान कर रहे हैं तो पहले जान लीजिए कैसी है ये फिल्म.
पुरी जगन्नाथ
विजय देवरकोंडा, अनन्या पांडे, राम्या कृष्णन, रोनित रॉय, माइक टायसन
Liger Review In Hindi: इन दिनों बॉलीवुड फिल्मों के बॉयकॉट की बातें जोर शोर से हो रही हैं और सिर्फ यही हो रही हैं फिल्में ना चलने के पीछे बॉयकॉट बड़ी वजह बताई जा रही है लेकिन जब फिल्म को लेकर बॉयकॉट का ट्रेंड चल रहा हो और फिल्म ही ऐसी हो कि बॉयकॉट की जरूरत ही ना पड़े तो क्या कहेंगे, लाइगर ऐसी ही फिल्म है. लाइगर एक पैन इंडिया फिल्म है जिसमें विजय देवरकोंडा (Vijay Deverakonda) और अनन्या पांडे (Ananya Panday) लीड रोल में नजर आए हैं.
कहानी
लाइगर कहानी है एक चायवाले की. उसकी मां चाहती है कि वो फाइटर बने. उसका कहना है कि वो क्रॉसब्रीड है. लॉयर और टाइगर का मिक्स...और ये फिल्म एक क्रॉसब्रीड है बोरियत और ओवर एक्टिंग की. शुरुआत ठीकठाक होती है लेकिन फिर धीरे धीरे आपको ओवरएक्टिंग का ऐसा डोज मिलता है कि आपका सिर घूम जाता है. कहानी काफी कमजोर है और आप कहानी से जुड़ ही नहीं पाते.आपको समझ नहीं आता कि ये हो क्या रहा है और हो क्या रहा है.
एक्टिंग
फिल्म में अगर एक अच्छी चीज है तो वो हैं विजय देवराकोंडा. विजय का ये बॉलीवुड लॉन्च है. काश विजय को इसस बेहतर लॉन्च मिला होता. विजय ने अच्छी एक्टिंग की है. एक हकलाने वाले लड़के के रोल में विजय जमे हैं लेकिन इस खराब कहानी को वो अपने कंधों पर नहीं ढो सके. राम्या कृष्णन ने वही किया है जो उन्होंने बाहुबली में किया था. चीखकर बोलना और बड़ी बड़ी आंखें दिखाना. राम्या ने यही किया है और ये काफी खराब लगता है. अनन्या पांडे को इस फिल्म में क्यों लिया गया. इस सवाल का जवाब खुद अनन्या भी शायद फिल्म देखने के बाद ढूंढेंगी. लेकिन हम सबको पता है अनन्या का किरदार काफी इरिटेटिंग है और उन्होंने जमकर ओवरएक्टिंग की है. फिल्म में चंकी पांडे भी हैं. चंकी पांडे ने अनन्या को ओवर एक्टिंग के मामले में जबरदस्त टक्कर दी है. रोनित रॉय फिल्म में विजय के अलावा दूसरे ऐसे एक्टर हैं जो जमे हैं. फिल्म में माइक टायसन भी हैं और वो ठीकठाक ही हैं. कुल मिलाकर इस फिल्म में एक्टर्स ने भी निराश ही किया है.
म्यूजिक
फिल्म में गाने जबरदस्ती ठूसे हुए लगते हैं. अनन्या पांडे के ऊपर गाने क्यों फिल्माए गए और फिल्माए गए तो फिल्म में क्यों डाले गए. ये समझ से परे हैं. टाइटल सॉन्ग और वाट लगा देंगे को छोड़कर कोई ऐसा गाना नहीं जो ठीक लगे.
डायरेक्शन
पुरी जग्ननाथ ने पूरी तरह से निराश किया है. विजय देवराकोंडा जैसे सुपरस्टार को वेस्ट कर दिया गया. कहानी पर थोड़ी और मेहनत करनी चाहिए थी.