Your Honor Season 2 Review: कुछ वेबसीरीज खामोशी से आगे बढ़ती हैं. हल्ला-गुल्ला नहीं करतीं. सोनी लिव की थ्रिलर योर ऑनर कुछ इसी तरह की है और इसका दूसरा सीजन आज रिलीज हुआ है. हालांकि समस्या सिर्फ इतनी है कि सीजन के 10 एपिसोड में से पांच ही अभी आए हैं. बाकी अगले सप्ताह यानी 26 नवंबर को रिलीज होंगे. अगर आप पूरा सीजन साथ देखना चाहें तो इंतजार करें और बीच में ब्रेक चलेगा, तो इन्हें अभी देख सकते हैं. सेशंस कोर्ट के जज भसीन खोसला (जिमी शेरगिल) की जिंदगी नए सीजन में और जटिल हो गई है. बेटा अबीर (पुलकित मकोल) जेल में है और जज ने खुद अपनी पत्नी के रेपिस्ट को गोली मार दी है. पुलिस भले जज का जुर्म नहीं जानती मगर अपराधियों के एक गैंग को इसकी खबर हो गई है. वह अब जज को ब्लैकमेल कर रहा है. जज की अदालत के फैसले अपने हक में करा रहा है. जज भसीन खोसला इस मुख्य कहानी में और भी किरदार समानांतर अपनी कहानियों के साथ हैं.


पिछले सीजन के वरुण बडोला और यशपाल शर्मा जैसे किरदारों की मृत्यु/हत्या के साथ विदाई हुई तो दूसरे सीजन में गुलशन ग्रोवर और माही गिल आ गए हैं. दोनों कहानी में नए ट्विस्ट के साथ जुड़ते हैं. काले धंधे का साम्राज्य चलाने वाले एक क्लब मालिक गुरजोत बने गुलशन के साथ माही उनकी कुटिल पार्टनर के रूप हैं, जिसका अतीत अभी सामने आना बाकी है. वहीं जज खोसला को लगातार संदेह की नजर से देख रही पुलिस अफसर किरण सेखों (मीता वशिष्ठ) वापस लुधियाना सिटी फोर्स में लौट आई है. लुधियाना की इस कहानी में मुडकी और पंडित गैंग की रस्साकशी अभी जारी है. मुडकी लाभ की स्थिति में है क्योंकि उसने गुलशन से बिजनेस में हाथ मिला रखा है. यहां एक और नई एंट्री जीशान कादरी की है. पंडित गैंग के लीडर यशपाल शर्मा के मारे जाने के बाद उसका छोटा भाई जगदा (जीशान कादरी) न केवल बड़े की जगह लेता है, बल्कि सीआरपीएफ के सिपाही काशी (वरुण बडोला) की विधवा इंदु (रिचा पलोड) से जबरन शादी भी कर लेता है. क्यों? क्योंकि वह उसे किसी जमाने से प्यार करता रहा है. यह ट्विस्ट कुछ अजीब लगता है लेकिन इस ट्रैक का अंजाम रोचक होने का अनुमान है.




योर ऑनर सीजन टू के पहले पांच एपिसोड में निर्णायक फैसले से पहले की बिसात बिछ चुकी है. यहां गैंगवार, नया माफिया, जमीन-जाति के झगड़े, अदालत के दांव-पेंच और जज भसीन की किस्मत का फैसला होने से पहले का थ्रिल आप महसूस कर सकते हैं. औसतन आधे-आधे घंटे के इन एपिसोड में कहानी रफ्तार से दौड़ती है और अपनी मिट्टी की गंध लिए रोमांच बना रहता है. रोचक बात यह है कि यह सीरीज इसी टाइटल से बने इजराइली टीवी शो का भारतीय रूपांतरण है, लेकिन इसे खूबसूरती से देसी अंदाज में ढाला गया है. हर किरदार यहां अपनी जिंदगी जीते हुए किसी दूसरे से बंधा है. सबकी किस्मत के रास्ते दूसरों की जिंदगी की गलियों से गुजर रहे हैं. जहां ज्यादातर अंधेरा है. हर जान पर किसी दुश्मन की तलवार लटकी है. इन तमाम बातों के बीच जज भसीन खोसला की हाई कोर्ट का जज बनने की महत्वाकांक्षा अपनी जगह यहां बरकरार है. वह अपनी तरफ से पूरा जोर भी लगाए हैं. उनके इस संघर्ष के बीच क्या अबीर दुश्मनों से बच पाएगा, क्या जज माफिया का खिलौना बने रहेंगे, जज द्वारा पत्नी के रेपिस्ट की हत्या का पुलिस पता लगा लेगी या वह खुद समर्पण करेंगे जैसे सवालों से लेकर इंदु (ऋचा पलोड) और यशप्रीत (माही गिल) जैसी महिलाओं की उलझी हुई जिंदगियों की कहानी से भी पर्दा उठना बाकी है.






इसमें संदेह नहीं कि फिल्म यहां (2005) से अपनी मजबूत पहचान बनाने वाले जिमी शेरगिल भावनात्मक और जटिल भूमिकाओं को खूबसूरती से निभाते हैं. अभिनेताओं की भीड़ में वह अपनी पहचान यहां भी बनाए रखते हैं. गुलशन ग्रोवर और माही गिल ने अपना काम बेहतरीन ढंग से किया है, जबकि मीता वशिष्ठ अपने तेवरों की वजह से सबसे अलग नजर आती हैं. ई.निवास का निर्देशन कसा हुआ है और योर ऑनर के राइटरों की टीम ने बांधे रखने वाली पटकथा लिखी है. कहानी की रफ्तार कहीं धीमी नहीं पड़ती और समय के साथ इसमें एकरसता को ब्रेक करने वाले ट्विस्ट आते रहते हैं. अगर आप पहला सीजन देख चुके हैं तो दूसरे को देखने का मोह नहीं छोड़ सकेंगे.