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Zwigato Review: कपिल शर्मा की शानदार एक्टिंग के बावजूद असर नहीं छोड़ पाती हैं ज्विगाटो, पढ़ें रिव्यू
Zwigato Review: नंदिता दास की फिल्म 'ज्विगाटो' सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है. फिल्म में कपिल और शहाना गोस्वामी ने शानदार काम किया है हालांकि फिल्म उम्मीद के मुताबिक असर नहीं छोड़ पाई है.
ज्विगाटो
फैमिली ड्रामा
Director
नंदिता दास
Starring
कपिल शर्मा, शहाना गोस्वामी
Zwigato Review: कपिल शर्मा कमाल एर कॉमेडियन हैं इसमें कोई शक नही है.नंदिता दास अच्छी एक्टर हैं.अच्छी डायरेक्टर हैं. इसमें भी कोई शक नहीं.ये दोनों जब साथ आए तो लगा कुछ कमाल होगा.लेकिन क्या कमाल हो पाया? तो इसका जवाब है नहीं. Zwigato वैसा कमाल नहीं दिखा पाई जिसकी उम्मीद थी.
कहानी
जैसा कि नाम और प्रोमो से ही पता चल गया था कि फिल्म डिलीवरी बॉयज के बारे में हैं.कपिल शर्मा एक डिलीवरी बॉय हैं.कोरोना में उनकी नौकरी चली जाती हैं और उन्हें फूड डिलीवरी बॉय का काम करना पड़ता है.घर में बीवी है.दो बच्चे हैं एक बीमार मां है.उनके सामने क्या दिक्कतें आती हैं.किस नजर से कस्टमर उनको देखते हैं.एक 5 स्टार रेटिंग के लिए क्या कुछ करना पड़ता है.यही इस फिल्म की कहानी है.
जैसा कि नाम और प्रोमो से ही पता चल गया था कि फिल्म डिलीवरी बॉयज के बारे में हैं.कपिल शर्मा एक डिलीवरी बॉय हैं.कोरोना में उनकी नौकरी चली जाती हैं और उन्हें फूड डिलीवरी बॉय का काम करना पड़ता है.घर में बीवी है.दो बच्चे हैं एक बीमार मां है.उनके सामने क्या दिक्कतें आती हैं.किस नजर से कस्टमर उनको देखते हैं.एक 5 स्टार रेटिंग के लिए क्या कुछ करना पड़ता है.यही इस फिल्म की कहानी है.
एक्टिंग
कपिल शर्मा ने कमाल की एक्टिंग की है.उन्होंने डिलीवरी बॉय के किरदार को जैसे जिया है.उनके एक्स्शप्रेशन,बॉडी लेग्वेंज सब जबरदस्त हैं.आपको वो एक डिलीवरी बॉय ही लगते हैं.शहाना गोस्वामी ने भी जबरदस्त काम किया है औऱ कहीं कहीं तो वो कपिल पर भी भारी पड़ी हैं.
कपिल शर्मा ने कमाल की एक्टिंग की है.उन्होंने डिलीवरी बॉय के किरदार को जैसे जिया है.उनके एक्स्शप्रेशन,बॉडी लेग्वेंज सब जबरदस्त हैं.आपको वो एक डिलीवरी बॉय ही लगते हैं.शहाना गोस्वामी ने भी जबरदस्त काम किया है औऱ कहीं कहीं तो वो कपिल पर भी भारी पड़ी हैं.
कैसी है फिल्म
कपिल और शहाना की कमाल की एक्टिंग के बावजूद ये फिल्म कमजोर लगती है.कहीं से भी कुछ भी शुरू हो जाता है और आपको समझ नहीं आता.फिल्म वो इमोशन जेनरेट नहीं करती जिसकी आप उम्मीद करते हैं.कोई ऐसा सीन नहीं है जो आप पर गहरा असर छोड़े.कुछ एक सीन आते हैं जिनमें आप डिलीवरी बॉयज की तकलीफ महसूस करते हैं लेकिन वो सीन भी कुछ खास असर नहीं छोड़ते. फिल्म की दिक्कत फिल्म का स्क्रीनप्ले है.जो कभी भी कहीं से कहीं पहुंच जाता है और कहां पहुंच जाता है समझ नही आता.जैसे कई बार डिलीवरी बॉय रास्ता भटक जाते हैं और गोल गोल घूमते रहते हैं वैसे ही ये फिल्म भी घूमती रहती है.कहां, कैसे आप समझते रह जाते हैं.ये फिल्म कहीं-कहीं आपको एक डॉक्यूमेंट्री का फील देती है और आप बोर होते हैं.
कपिल और शहाना की कमाल की एक्टिंग के बावजूद ये फिल्म कमजोर लगती है.कहीं से भी कुछ भी शुरू हो जाता है और आपको समझ नहीं आता.फिल्म वो इमोशन जेनरेट नहीं करती जिसकी आप उम्मीद करते हैं.कोई ऐसा सीन नहीं है जो आप पर गहरा असर छोड़े.कुछ एक सीन आते हैं जिनमें आप डिलीवरी बॉयज की तकलीफ महसूस करते हैं लेकिन वो सीन भी कुछ खास असर नहीं छोड़ते. फिल्म की दिक्कत फिल्म का स्क्रीनप्ले है.जो कभी भी कहीं से कहीं पहुंच जाता है और कहां पहुंच जाता है समझ नही आता.जैसे कई बार डिलीवरी बॉय रास्ता भटक जाते हैं और गोल गोल घूमते रहते हैं वैसे ही ये फिल्म भी घूमती रहती है.कहां, कैसे आप समझते रह जाते हैं.ये फिल्म कहीं-कहीं आपको एक डॉक्यूमेंट्री का फील देती है और आप बोर होते हैं.
डायरेक्शन
नंदिता दास इस बार डायरेक्शन में चूक गईं है.ऐसे सब्जेक्ट से भी वो कनेक्ट नहीं कर पाईं.उन्हें फिल्म का स्क्रीनप्ले और बेहतर करना चाहिए था.अच्छी एक्टिंग के बावजूद ये फिल्म आपको बोर करती है.
नंदिता दास इस बार डायरेक्शन में चूक गईं है.ऐसे सब्जेक्ट से भी वो कनेक्ट नहीं कर पाईं.उन्हें फिल्म का स्क्रीनप्ले और बेहतर करना चाहिए था.अच्छी एक्टिंग के बावजूद ये फिल्म आपको बोर करती है.
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राजेश शांडिल्यसंपादक, विश्व संवाद केन्द्र हरियाणा
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