Janhit Mein Jaari Review: एंटरटेनमेंट के साथ Condoms के इस्तेमाल का जरूरी मैसेज देती फिल्म, छा गए नुसरत-अनुद
Janhit Mein Jaari Review: नुसरत भरूचा और अनुद सिंह की फिल्म जनहित में जारी एक जरुरी मैसेज लेकर आई है. जानिए कैसी है फिल्म.
जय बसंतू सिंह
नुसरत भरूचा, अनुद सिंह, पारितोष त्रिपाठी, विजय राज
Janhit Mein Jaari Review In Hindi: क्या आप कंडोम का इस्तेमाल करते हैं? क्या कंडोम खरीदते हुए आप झिझकते हैं? क्या अपने घर के पास वाली दुकान से आप कंडोम नहीं खरीद पाते. क्या ये सारे सवाल सुनकर आपको लग रहा है कि ये हम क्या पूछ रहे हैं. अगर हां तो आपको जरूर देखनी चाहिए जनहित में जारी. अगर कोई फिल्म शुक्रवार को रिलीज होनी हो और मीडिया को सोमवार को दिखा दी जाए और रिव्यू देने पर भी रोक ना हो तो लगता है कि मेकर्स को फिल्म में काफी यकीन है. ऐसा ही जनहित में जारी (Janhit Mein Jaari) के साथ हुआ.
कहानी
ये कहानी है मध्य प्रदेश के एक छोटे से शहर की मनोकामना त्रिपाठी यानि नुसरत भरूचा (Nushrratt Bharuccha) की. नुसरत के मम्मी पापा उसकी शादी करना चाहते हैं और शर्त ये होती है कि अगर नौकरी मिल गई तो शादी नहीं होगी. नुसरत को नौकरी मिलती है कंडोम बनाने वाली कंपनी में. इसके बाद क्या होता है जब नुसरत के घरवालों को ये पता चलता है. उसके ससुराल वालों को ये पता चलता है. कैसे नुसरत लोगों में जागरुकता पैदा करती हैं. यही कहानी है जनहित में जारी की. इस कहानी को बिना ज्यादा ज्ञान दिए काफी एंटरटेनिंग तरीके से दिखाया गया है. कहानी को ट्रेलर में ही दिखा दिया गया था लेकिन फिल्म में इसे काफी दमदार तरीके से पेश किया गया है.
एक्टिंग
ऐसा कोई एक्टर नहीं जिसने अपने किरदार को जिया ना हो. नुसरत भरूचा ने अपने किरदार को शानदार ढंग से निभाया है.अनुद सिंह खूब जमे हैं लगता है आगे और कमाल करेंगे. नुसरत के दोस्त के किरदार में पारितोष त्रिपाठी ने लाजवाब काम किया है. वो खूब हंसाते हैं. नुसरत के बॉस के किरदार में बिजेंद्र काला ने कमाल की एक्टिंग की है. नुसरत के ससुर के किरदार में विजय राज की एक्टिंग जबरदस्त है. हर किरदार कमाल का है.
स्क्रीनप्ले और डायरेक्शन
इस फिल्म की जान है इसका स्क्रीप्ले डायरेक्शन और डायलॉग. फिल्म को ड्रीम गर्ल बनाने वाले राज शांडिल्य ने लिखा है और कमाल का लिखा है. वन लाइनर कमाल के हैं और कुछ सीक्वेंस आपको खूब हंसाते हैं. जय बसंतू सिंह ने अच्छा डायरेक्शन किया है. सेकेंड हाफ के शुरुआत में हल्का सा महसूस होता है कि फिल्म स्लो हो गई लेकिन जैसे ही आपको ये अहसास होता है फिल्म वापस ट्रैक पर लौट आती है और सीट से हटने का मौका नहीं देती है.
क्यों देखें
ये एक जरूरी फिल्म है. जो एक जरूरी संदेश देती है. सरकार जनसंख्य कंट्रोल करने के प्रोग्राम पर करोड़ों खर्च करती है लेकिन कई लोग तब भी नहीं समझते तो ऐसे लोगों को ये फिल्म जरूर दिखाइए.
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