Divorce Ke Liye Kuch Bhi Karega Review: 'डिवोर्स के लिए कुछ भी करेगा' दिलाती है 90s के कॉमेडी शोज की याद, लेकिन रह जाती है कुछ कमी
Divorce Ke Liye Kuch Bhi Karega Review: 'डिवोर्स के लिए कुछ भी करेगा' नाम सुनकर अगर आपको ऐसा लग रहा है कि कुछ सीरियस है, तो रुकिए क्योंकि ये कॉमेडी ड्रामा सीरीज है. यहां जानिए देखने लायक है या नहीं?
अंकुश भट्ट
ऋषभ चड्ढा, अबिगेल पांडे
Zee 5
Divorce Ke Liye Kuch Bhi Karega Review: 'डिवोर्स के लिए कुछ भी करेगा', ये नाम सुनकर अगर आपको ऐसा लगता है कि जी5 पर आज से स्ट्रीम हो रही ये सीरीज किसी सीरियस मुद्दे पर बनी है, तो रुकिए जरा क्योंकि ऐसा नहीं है. असल में ये एक हल्की-फुल्की कॉमेडी सीरीज है. तो अगर आप इस वीकेंड कुछ हल्का-फुल्का गुदगुदाने वाला देखना चाहते हैं, तो ये सीरीज आपके लिए पहली पसंद हो सकती है.
'डिवोर्स के लिए कुछ भी करेगा' की कहानी
कहानी एक एक न्यूज चैनल के अंदर हो रही खींचातानी के बीच एक एक्सीडेंटल मैरिज की है. चैनल में पहले से ही सीनियर पोस्ट में काम कर रही निक्की कोठारी (अबिगेल पांडे) और नए-नए आए इंटर्न आशू (रिषभ चड्ढा) के बीच होड़ है प्राइम टाइम एंकर बनने की. इस होड़ में दोनों ऑफिस में अपने-अपने अंदाज में खुद को साबित करने में लगे हैं. इनके बीच चल रहे झगड़े के बीच पूरा ऑफिस एंटरटेनमेंट ढूंढ रहा है.
इस झगड़े और होड़ की जंग में खुद को साबित करते-करते दोनों एक-दूसरे के खिलाफ जाते-जाते एक रिपोर्ट करने के चक्कर में बड़ी मुश्किल में फंस जाते हैं. दोनों की एक्सीडेंटल मैरिज हो जाती है, जिसका उन्हें खुद नहीं पता. खुद की शादी के बारे में खुद को ही न पता हो, ऐसा तो हो नहीं सकता. लेकिन यहां ऐसा हुआ है. अब ऐसा क्यों हुआ है पूरी कहानी का सार है ये. ये जानने के लिए आपको सीरीज देखनी पड़ेगी.
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कैसी है 'डिवोर्स के लिए कुछ भी करेगा'?
सीरीज टीवी चैनल पर आने वाले 90s के कॉमेडी सीरियल्स की याद दिलाती है. कहानी को ऐसे बुना गया है कि कंपटीशन, झगड़ों और गलाकाट प्रतियोगित के दौर में भी हंसी के मौके बनते रहते हैं. सीरीज देखते समय आपको एहसास होगा कि एक छोटा सा सेट लगाकर कम बजट में दर्शकों को रिझाने की कोशिश की गई है.
ये कोशिश काम भी आती है क्योंकि ऐसे शो देखते समय दर्शकों को भी ये पता होता है कि भागदौड़ की जिंदगी के बीच-बीच हल्की-फुल्की हंसी के लिए बहुत ज्यादा गहराई में जाने की जरूरत नहीं है. 'भाभी जी घर पर हैं' और 'लापतागंज' जैसे शोज भी इसी तरह पसंद किए भी गए हैं.
कहानी में तेजी है छोटे-छोटे से एपीसोड्स में भी छोटी-छोटी घटनाएं हैं, जो बहुत तेजी से होकर निकल जाती हैं. हालांकि, अगर आप बहुत गंभीर कुछ देखना चाहते हैं तो ये आपको बोर भी कर सकती है.
डायरेक्शन
माया का मोह और स्मार्टफोन जैसी सीरीज बना चुके अंकुश भट्ट ने इसे डायरेक्ट किया है. उन्होंने पूरे शो का ट्रीटमेंट बिल्कुल हल्का-फुल्का रखा है जिसे आप परिवार के साथ भी देख सकते हैं.
हालांकि, कुछ जगहों पर उनकी कम रिसर्च दिखती है. जैसे न्यूज चैनल बिल्कुल भी न्यूज चैनल नहीं लगता. हालांकि, इस बात का कोई खास फर्क दर्शकों को नहीं पड़ने वाला क्योंकि न्यूज चैनल के अंदर का माहौल उनमें से कुछ ही लोगों को पता होगा.
इसके अलावा, एक बात और है जो खलती है. वो ये है कि कोई इंटर्न कैसे एक सीनियर पोस्ट वाले से कंपटीशन की रेस में आ जाता है. और कैसे उसकी सीनियर उससे कंपटीशन मान भी लेती है. ये सब कुछ बचकाना लगता है.
एक्टिंग
ऋषभ चड्ढा को पहचान तभी मिल गई थी जब वो अजय देवगन की हिट फिल्म दृश्यम में दिखे थे. इस सीरीज में उन्होंने जैसा करने के लिए कहा गया वैसा ही किया है. हालांकि, कॉमेडी करते समय वो मेहनत करते हुए दिखते हैं. जिससे उनका असर कुछ खास नहीं रह पाता. लेकिन अबिगेल पांडे अपना रोल सही से निभा गई हैं. वो फ्लॉलेस दिखी हैं.
कुल मिलाकर अगर आप कुछ बहुत ही हल्का-फुल्का देखना चाहते हैं, तो ये सीरीज आपके लिए है. लेकिन अगर कुछ खास ढूंढ रहे हैं तो सीरीज बेअसर साबित हो सकती है.