The Matrix Resurrections Review: दुनिया भर में चर्चित हॉलीवुड की मैट्रिक्स फिल्मों की सीरीज की नई कड़ी मैट्रिक्स  रिसरेक्शंस  (पुनर्जीवन) को लेकर सबसे पहले यह साफ समझ लें कि अगर आपने इसके पहले तीन पार्ट नहीं देखे, तो इस मत देखिए क्योंकि कुछ समझ नहीं आएगा. लेकिन आपने पिछली फिल्में देखी हैं तो भी जान लीजिए कि उनसे तुलना करेंगे तो निराशा हाथ लगेगी. मैट्रिक्स  रिसरेक्शंस  चौथी कड़ी है लेकिन बीती कड़ियों के मुकाबले कम जानदार हैं. नियो यानी कियानू रीव्स और टिफिनी/ट्रिनीटी यानी कैरी-एन्नी मॉस में एक तो आपको पुरानी एनर्जी नहीं मिलेगी, दूसरे वह कैमेस्ट्री भी यहां नहीं है जो ऐक्शन में इन्हें दुनिया की अपराजेय जोड़ी बनाती था. द मैट्रिक्स रिवॉल्यूशन (2003) के अंत में यही आभास दिया गया था कि दोनों मैट्रिक्स में मारे जा चुके हैं लेकिन नई कहानी में दुनिया साठ साल आगे निकल आई है और मैट्रिक्स अपडेट हो चुका है. दोनों किरदार अब रियल वर्ल्ड में सामान्य जिंदगियां जी रहे हैं.


नियो एक वर्ल्ड फेमस गेम डेवलपर थॉमस ए. एंडरसन बन गया है, जो मैट्रिक्स के अपने एडवेंचर के अनुभवों पर गेम बनाता है. मगर उसे पता नहीं कि जो वह बना रहा है, वह सब उसके साथ कभी हो चुका है. ट्रिनिटी की अपनी दुनिया है, जिसमें पति और एक संतान भी है. सब कुछ ठीक चल रहा है. लेकिन अतीत दोनों का पीछा नहीं छोड़ता और कैफे में एक मुलाकात के बाद दोनों को लगता कि उनके बीच जरूर कोई कनेक्शन है. यहीं मॉर्फियस (याह्या अब्दुल-मीतान-टू) की एंट्री होती है. नए हालात नियो और टिफिनी को मैट्रिक्स वर्ल्ड में ले जाते हैं. यहां नियो को अब ट्रिनिटी की तलाश है और वह इस दुनिया से उसे आजाद कराना चाहता है. जैसे मॉर्फियस ने उसे पिछली बार आजाद कराया था. इसी मैट्रिक्स में नियो का फिर स्मिथ (जोनाथन ग्रॉफ) से सामना होता है.




यह संसार एक सपना है, जो कुछ दिख रहा है वह माया है, मन के बंधनों से आजाद होना ही सच्ची स्वतंत्रता है जैसी फिलॉसफी और गोलियों का हवा में रोक देने और उड़-उड़ कर दुश्मन को धराशायी करने जैसे ऐक्शन इस मैट्रिक्स में कम हैं. ऐक्शन में खास नयापन भी नहीं है. मैट्रिक्स फिल्में अपने एक्शन दृश्यों के लिए चर्चा में रही हैं और पूरी दुनिया में इसके सीक्वेंस कॉपी किए गए हैं. पर इस बार एक्शन में वैसी कोई बात नहीं मिलती. करीब ढाई घंटे की कहानी के केंद्र में इस बार प्यार है. साथ ही कहानी में बार-बार पुराने संदर्भ आते हैं और उन्हें पिछली फिल्मों के दृश्यों की छोटी-छोटी झलकियों के साथ पेश किया गया है. फिल्म देखते हुए यह भी लगता है कि क्या इस नए मैट्रिक्स की जरूरत सचमुच थी. हां, रफ्तार जरूर फिल्म में है और इसका श्रेय मैट्रिक्स की राइटर-डायरेक्टर लाना वाचोवस्की को जाता है. फिल्म की एडिटिंग तेज और बैकग्राफंड म्यूजिक दिलचस्प है.




भारतीय दर्शकों के लिए मैट्रिक्स रिसरक्शंस में दिलचस्पी की खास वजह प्रियंका चोपड़ा हैं. प्रियंका यहां सती नाम के प्रोग्राम के रूप में हैं, जिसे मैट्रिक्स रिवॉल्यूशंस में क्रिएट किया गया था. रिसरेक्शंस  के शुरुआती हिस्से में प्रियंका चंद सेकेंड के लिए दिखती हैं तो लगता है कि क्या उन्हें सिर्फ इतने से रोल में लिया गया लेकिन आखिरी हिस्सा में उनका रोल अहम है. वह कहानी का महत्वपूर्ण हिस्सा बन जाती हैं. प्रियंका यहां आकर्षक दिख रही हैं. कियानू रीव्स और नायोबी बनी जाडा स्मिथ के साथ उनके सीन हैं. इसी तरह एक और भारतीय ऐक्टर पूरब कोहली गेम डेवलप करने वाली टीम के हिस्से में यहां शुरुआती मिनटों में नजर आते हैं.


इसमें संदेह नहीं कि मैट्रिक्स रिसरेक्शंस की कहानी और स्क्रीनप्ले जटिल हैं. कहानी भी लंबी है. पिछली फिल्मों को जानने के बावजूद आपको इसे ध्यान से देखना होगा क्योंकि पलक झपकते कड़ी टूट सकती है. यह जरूर है कि ऐसी कहानी आपको हिंदी में देखने नहीं मिलेगी और इसके ट्विट-टर्न बहुत रोमांचक हैं. इसे अत्याधुनिक ढंग से शूट किया गया है और भारतीय फिल्मों में यहां जैसे दृश्य आपको नहीं दिखने वाले. अतः एक अनुभव के लिए भी आप मैट्रिक्स की इस दुनिया से रू-ब-रू हो सकते हैं.




कियानू रीव्स में पुरानी कड़ियों वाली चमक नहीं दिखती लेकिन ऐसा शायद इसलिए है कि उनका किरदार ही इस बार कुछ ऐसा लिखा गया है. जबकि कैरी एनी-मॉस जल्द ही पिछले सिरों को पकड़ लेती हैं. मॉर्फियस के किरदार में यहां याह्या अब्दुल-मीतान-टू ने अपनी पूरी क्षमता के साथ परफॉर्म किया लेकिन पिछली तीन फिल्मों में यह रोल निभाने वाले लॉरेंस फिशबर्न लगातार याद आते हैं. जोनाथन ग्रॉफ और जैसिका हैनविक ने अपनी भूमिकाएं खूबसूरती से निभाई हैं. इस फिल्म को आप बहुत उम्मीदों के साथ देखेंगे को निराश होंगे लेकिन मैट्रिक्स सीरीज की पुरानी यादों को फिर से ताजा करना चाहते हैं तो जरूर यहां मजा आएगा.