नई दिल्ली: आईबी कर्मचारी अंकित शर्मा मामले पर आम आदमी पार्टी और बीजेपी आमने सामने हैं. दिल्ली सरकार ने परिजनों को एक करोड़ सहायता राशि और एक नौकरी देने का वादा किया है. आप ने आरोप लगाया कि अंकित शर्मा की हत्या पर बीजेपी ने केवल सांप्रदायिक राजनीति की, लेकिन परिवार की मदद के नाम पर पीछे हट गई.


अंकित शर्मा मामले पर बीजेपी और आप आमने-सामने 


आप नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली के उत्तर-पूर्वी इलाके में पिछले साल दंगे हुए थे. दंगों में आईबी अधिकारी अंकित शर्मा की हत्या का मामला सामने आया था. बीजेपी ने मुद्दे पर बहुत ज्यादा राजनीति की और अंकित शर्मा के परिवार से बड़े-बड़े वादे किए. घटना को अब करीब एक साल हो गया है, ऐसे में आम आदमी पार्टी भाजपा से पूछना चाहती है कि बीजेपी ने अंकित शर्मा के परिवार के लिए क्या किया.


बीजेपी से सवाल पूछते हुए उन्होंने कहा कि उस वक्त कहा गया था कि अंकित शर्मा के परिवार के सदस्य को नौकरी दी जाएगी, क्या किसी को नौकरी दी गई है? हालांकि, आईबी विभाग सीधा केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन आता है. अभी तक कितने करोड़ रुपए की सहायता राशि दी गई है? इसका जवाब केंद्र सरकार और बीजेपी दिल्ली की जनता को दे. उन्होंने बीजेपी पर मामले को सांप्रदायिक रंग देकर नफरत भड़काने का आरोप लगाया.


परिवार की मदद के नाम पर पीछे हट गई बीजेपी- आप


अंकित शर्मा का परिवार दर्जनों बार बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं, सांसदों और केंद्रीय मंत्रियों से मिला, लेकिन केंद्र सरकार की तरफ से कोई नौकरी नहीं दी गई. आखिर में दिल्ली सरकार ने अंकित शर्मा के भाई को नौकरी देने की पेशकश की है. सौरभ भारद्वाज ने बताया कि दिल्ली में अधिकारी की शहादत पर सरकार की नीति के तहत परिवार को एक करोड़ रुपए की सम्मान राशि दी जाती है. उसी नीति पर चलते हुए दिल्ली सरकार ने अंकित शर्मा के परिवार को एक करोड़ रुपए की सम्मान राशि दी है. उन्होंने कहा कि कई दंगा पीड़ित ऐसे भी थे जिनके घर, दुकान आग के हवाले कर दिए गए.


दिल्ली सरकार ने करीब 2,221 दंगा पीड़ितों की मदद की है. करीब 26 करोड़ रुपए दंगा पीड़ितों में बांटे गए हैं. उन्होंने किसी भी सरकार की तरफ से सबसे ज्यादा और जल्दी सहायता राशि देने का दावा किया. उनका कहना है कि 1984 के दंगा पीड़ितों को आज तक मुआवजा नहीं मिला है. लोगों को मिली सहायता राशि का जिक्र करते हुए सौरभ भारद्वाज ने कहा कि बीजेपी को नाम के अंदर धर्म ढूंढने का बहुत शौक है. अरविंद केजरीवाल की सरकार में अक्टूबर 2018 में मेजर अमित सागर समेत 14 फौज के लोग 1 करोड़ रुपए की सम्मान राशि पानेवाले हैं.


कॉन्स्टेबल विनोद को सबसे पहले एक करोड़ रुपए की सम्मान राशि दी गई थी. कॉन्स्टेबल विनोद ने शराब माफिया से लड़ते हुए अपनी जान गंवा दी थी. उनके परिवार को दिसंबर 2013 में सहायता राशि दी गई. परिवहन विभाग के कांस्टेबल दिनेश कुमार के परिवार को दिसंबर 2018 में 1 करोड़ रुपए की राशि दी गई. सीवर की सफाई करते हुए कुछ मजदूर मर गए थे. उनके परिवार को अगस्त 2017 में 10-10 लाख रुपए की सहायता राशि दी गई. सौरभ भारद्वाज ने बताया कि मार्च 2021 में सिविक अस्पताल के लैब टेक्नीशियन की कोरोना से मौत हो गई, उनके परिवार को एक करोड़ रुपए दिए गए.


फरवरी 2020 में हेड कांस्टेबल रतन लाल के परिवार को 1 करोड़ रुपए दिया गया. पीरागढ़ी में आग बुझाने के दौरान फायर बिग्रेड के अमित कुमार बालियान शहीद हो गए, उनके परिवार को एक करोड़ रुपया दिया गया. बीएसएफ के जवान नरेंद्र सिंह शहीद हुए, उनके परिवार को एक करोड़ रुपए दिया गया. अंकित सक्सेना और ध्रुव त्यागी दिल्ली के अंदर मारे गए थे, उस समय बीजेपी ने बहुत शोर मचाया था, लेकिन एक रुपए की मदद नहीं की. इसके अलावा एएसआई धर्मवीर सिंह, कॉन्स्टेबल अमरपाल, एएसआई विजय सिंह, एएसआई जितेंद्र, एएसआई महावीर सिंह, कॉन्स्टेबल गुलजारी लाल, कांस्टेबल राजपाल कसाना और एसआई खजान सिंह की शहादत पर परिजनों को दिल्ली सरकार 1 करोड़ रुपए दे रही है.


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