नई दिल्ली: लोकसभा में कांग्रेस दल के नेता अधीर रंजन चौधरी को पश्चिम बंगाल कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया है. यह पद 30 जुलाई को सोमेंद्र नाथ मिश्रा के निधन के बाद से खाली था. गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में अगले साल मई से पहले विधानसभा चुनाव होने हैं. हालांकि अब सवाल यह खड़ा हो गया है कि क्या कांग्रेस लोकसभा में अपना नेता बदलेगी?


पश्चिम बंगाल की बहरामपुर सीट से लगातार पांच बार के सांसद सांसद अधीर रंजन चौधरी को जुझारू छवि का नेता माना जाता है. हालांकि मौजूदा लोकसभा में कांग्रेस दल का नेता बनाए जाने के बाद उनके कुछ बयान से पार्टी की किरकिरी भी हुई.


2016 के बीते बंगाल विधानसभा चुनाव के वक्त भी अधीर रंजन की प्रदेश कांग्रेस का नेतृत्व कर रहे थे. तब कांग्रेस ने वामदलों के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा था और 44 सीटें जीत कर मुख्य विपक्षी पार्टी बनी.


2014 से 18 तक बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष रहे अधीर की जगह वरिष्ठ नेता सोमेंद्र नाथ मिश्रा ने ली थी जिनका डेढ़ महीने पहले निधन हो गया. अब एक बार फिर कांग्रेस आलाकमान ने 64 साल के अधीर के हाथों में प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंप दी है।


हालांकि इस बाद अधीर रंजन के सामने काफी कठिन चुनौती है. बीते कुछ सालों में बंगाल की राजनीति में बीजेपी ने जबरदस्त पकड़ बनाई है. माना जा रहा है कि अगला विधानसभा चुनाव तृणमूल बनाम बीजेपी के बीच लड़ा जाएगा. ऐसे में कांग्रेस और सीपीएम को बड़ा नुकसान होगा जिसकी सूरत 2019 के लोकसभा चुनाव में दिख चुकी है.


बंगाल में कांग्रेस को ममता बनर्जी के सामने एक बड़े चेहरे की जरूरत है. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और वामदल एक बार फिर गठबंधन कर सकते हैं. दोनों ही कसौटी पर अधीर रंजन फिट बैठते हैं. बंगाल में अधीर ना सिर्फ बड़ा नाम हैं बल्कि उनका झुकाव भी लेफ्ट विचारधारा की तरफ रहा है.


अधीर रंजन के सामने तृणमूल विरोधी वोट को बीजेपी की झोली में जाने से रोकने की बेहद कठिन चुनौती है.