पाकिस्तान में अमेरिका के राजदूत डोनाल्ड ब्लोम ने एक कश्मीर को लेकर ऐसा बयान दिया है जिससे इस देश की दोगली नीति फिर उजागर हो गई है. 4 अक्टूबर को डोनाल्ड ब्लोम ने एक ट्वीट कर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को 'आजाद कश्मीर' बताया है. डोनाल्ड ब्लोम पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की राजधानी मुजफ़्फराबाद के दौरे पर थे.


अमेरिका की ओर से आए इस बयान पर अभी भारत की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.  रूस को लेकर भारत के दबाव में न आने पर अमेरिका का ये नया पैंतरा हो सकता है.   


अमेरिका दूतावास के ट्वीट में क्या है?
अमेरिका दूतावास ने जो ट्वीट किया है उसमें कहा गया है, "राजदूत ब्लोम ने पूर्व अमेरिकी छात्रों के संगठन कार्यक्रम में पाकिस्तान-अमेरिका के सदस्यों का मुजफ्फराबाद की बैठक में स्वागत किया. आजाद जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान-अमेरिका नेटवर्क के 950 सदस्य हैं, हमें इस एल्युमनाई के  जुनून पर गर्व है. ये अमेरिका-पाकिस्तान के संबंध को मजबूत करने में अहम योगदान दे रहे हैं." इस दौरान राजदूत ब्लोम ने पाकिस्तान-अमेरिका के रिश्तों के 75 साल पूरे का भी जिक्र किया. 






द्विपक्षीय वार्ता का पक्षधर अमेरिका
अमेरिका ने कश्मीर को लेकर अभी तक दोनों देशों में से किसी एक का पक्ष नहीं लिया है.  लेकिन अब अमेरिका के इस रवैए से उसकी दोगली नीति सामने आई है. अमेरिका की कूटनीति में दो देशों के बीच संबंध कभी मायने नहीं रहे हैं, उससे ज्यादा वो अपने हित देखता रहा है. दक्षिण एशिया में जहां चीन पर दबाव बनाए रखने के लिए उसे भारत की जरूरत है तो अफगानिस्तान पर नजर रखने के लिए उसे पाकिस्तान का भी साथ चाहिए.


पाकिस्तान में अमेरिका दूतावास की तरफ से यह ट्वीट ऐसे समय में किया गया है जब पाक सेना प्रमुख जनरल कमर बाजवा अमेरिका के दौरे पर हैं. हालांकि भारत इन सभी घटनाओं पर बारीकी से नजर बनाए हुए है.    


बदहाल पाकिस्तान को चाहिए अमेरिका से पैसा
आर्थिक तौर पर बदहाल पाकिस्तान अमेरिका के साथ रिश्तों को सुधारना चाहता है, क्योंकि पूर्ववर्ती इमरान खान सरकार से अमेरिका के रिश्ते अच्छे नहीं थे. वहीं, पाकिस्तान आर्थिक तंगी से भी गुजर रहा है और अमेरिका से आर्थिक मदद की दरकार है. ऐसे में वह अमेरिका का पिछलग्गू बना रहना चाहता है. हालांकि वर्ल्ड ट्रेड टॉवर पर हमले के बाद से अमेरिका का रुख पाकिस्तान को लेकर बदल गया था और वह इस देश से संबंधों को लेकर फूंक-फूंककर कदम रख रहा है.


हाल ही में अमेरिका ने पाकिस्तान के सबसे ताकतवर लड़ाकू विमान एफ-16 को अपग्रेड करने के लिए मोटी रकम की डील की है. एफ-16 के बेड़े में शामिल ज्यादातर विमान पुराने और खराब होते जा रहे हैं, जिन्हें ठीक करने के लिए पाकिस्तान ने अमेरिका से मदद मांगी थी. जिसके बाद दोनों देशों के बीच करीब 450 मिलियन डॉलर की डील साइन हुई है.   


अमेरिका, भारत और पाकिस्तान को लेकर दोहरी नीति लेकर चल रहा है, यानी कि अमेरिका, भारत के सामने भारत वाली और पाकिस्तान के सामने पाकिस्तान वाली बात करता है. इसको इस तरह से भी कह सकते हैं कि अमेरिका दो नाव पर सवार होना चाहता है और वो ऐसा कर भी रहा है. हालांकि, भारत के विरोध के बाद अमेरिका ने पाकिस्तान को 450 मिलियन डॉलर पर रोक लगा दी है, क्योंकि अमेरिका नहीं चाहता कि भारत उससे नाराज होकर रूस के नजदीक चला जाए.     


भारत ने कहा, बेवकूफ मत बनाइए 
450 मिलियन डॉलर की डील पर अमेरिका का कहना था कि वह किसी भी देश से हथियारों की डील करता है तो उसे रखरखाव के लिए खर्चा देता है. लेकिन इसपर भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कड़ा विरोध जताते हुए कहा कि "बेवकूफ मत बनाइए, भारत जनता है कि पाकिस्तान को जो मदद की जा रही है, उसको वह कहां और किसके खिलाफ इस्तेमाल कर रहा है."


इस डील को लेकर भारतीय विदेश मंत्रालय की तरफ से अमेरिकी अधिकारियों के सामने नाराजगी जताई गई थी. तब अमेरिका की तरफ से कहा गया था कि विमानों को सिर्फ ठीक किया जा रहा है, उनमें कोई भी नए हथियार या फिर टेक्नोलॉजी को नहीं जोड़ा जा रहा.


कई विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका ने पाकिस्तान के साथ ये सौदा इसलिए किया क्योंकि भारत के रूस के साथ संबंध अच्छे हैं. रूस-यूक्रेन जंग को लेकर भारत का रुख न्यूट्रल रहा है. जिसे लेकर अमेरिका कई बार नाराजगी जता चुका है. हालांकि अब अमेरिका ने ऐसी तमाम खबरों को गलत बताया है. 


अमेरिका का पाकिस्तान प्रेम भारत को नागवार गुजरी है और यह अमेरिका की तरफ से भारत की संप्रभुता का उल्लघंन भी माना जा रहा है. वहीं, भारत अधिकारिक तौर पर पूरे विश्व पटल के सामने कई बार कह चुका है कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है, जिसपर पाकिस्तान ने जबरदस्ती कब्जा किया हुआ है. 


संयुक्त राष्ट्र में एस जयशंकर की दो टूक
पिछले दिनों संयुक्त राष्ट्र महासभा में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर जोर दिया. उन्होंने भारत को संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता की पुरानी मांग को उठाया, जिसका रूस के विदेश मंत्री ने भारत को सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनाने की अपील की. 


इस दौरान विदेश मंत्री ने भारत की कूटनीति को लेकर भी संकेत दिए थे. उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध पर कहा, "जैसा कि यूक्रेन संघर्ष जारी है हमसे अक्सर पूछा जाता है कि हम किस ओर हैं? तो हर बार हमारा सीधा और ईमानदार जवाब होता है कि भारत शांति चाहता है और वो हमेशा वहां रहेगा. हम उसके साथ हैं जो बातचीत औक कूटनीति के जरिए ही इस हल को मिकालने की बात करता है."   


रअसल. अमेरिका चाहता है कि भारत विश्व पटल पर युद्ध को लेकर रूस की निंदा करे, लेकिन भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में दिए गए भाषण में ऐसा नहीं किया. अमेरिका चाहता है कि भारत उसका साथ दे. जानकार मान रहे हैं कि अमेरिका द्वारा कश्मीर को आजाद कश्मीर बोलकर भारत पर दबाव बनाने का भी काम किया जा रहा है.   


US से नजदीकी, पाकिस्तान को कितना फायदा?
पूरी दुनिया को मालूम है कि चीन पाकिस्तान का हिमायती है, इसलिए चीन समय-समय पर पाकिस्तान को बड़ी आर्थिक सहायता देता रहता है. इसके बदले में चीन पाकिस्तान का भारत और अमेरिका के खिलाफ इस्तेमाल करता है. यानी कि पाकिस्तान, अमेरिका के जितने करीब जाएगा चीन उससे उनती ही दूरी बनाता जाएगा. क्योंकि चीन, अमेरिका को चुनौती देता है और उसको अपना दुश्मन मानता है.     


इसके साथ ही पाकिस्तान आर्थिक तंगी से गुजर रहा है, जिसका अमेरिका खेवनहार बन सकता है. पाकिस्तान उससे बड़ी आर्थिक सहायता चाहता है इसलिए अमेरिका से रिश्ते मजबूत कर रहे है. वहीं अमेरिका पाकिस्तान की तारीफ और आजाद कशमीर को पाकिस्तान का बताकर उसको अपने पाले में करके चीन को संदेश देना चाहता है. लेकिन इन सबसे बावजूद अमेरिकी राजदूत डोनाल्ड ब्लोम का बयान भारत को चिंता में डालने वाला बयान है.