नई दिल्ली: बांग्लादेश में मछलियों पर संकट के बादल मंडला रहे हैं. बांग्लादेश में करीब 15 लाख लोग मछली के रोजगार से जुड़े हैं. उन मछुआरों की आजीविका पर धावा बड़े जहाज बोल देते हैं. जिससे मछलियों का मिलना काफी कम हो गया है.
विशेषज्ञों ने बंगाल की खाड़ी में मछलियों पर रिपोर्ट के हवाले से चेताया है कि कुछ प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर हैं. रिपोर्ट तैयार करनेवाले सैय्यदुररहमान ने बताया, "अगर मछली पकड़ना कम नहीं किया गया तो हम आने वाली नस्लों के लिए संसाधन खो सकते हैं." सरकार की तरफ से जारी रिपोर्ट के मुताबिक टाइगर प्रान्स औऱ इंडियन सालमन मछली पूरी तरह खत्म हो चुकी हैं. चटगांव बंदरगाह पर मछुआरों का कहना है कि मछली पकड़ने के लिए पहले उन्हें दो घंटे मशक्कत करनी पड़ती थी मगर अब 20 घंटे लग जाते हैं. पहले मछली की कई सारी प्रजातियां मिल जाती थीं मगर आज कल उनका मिलना मुश्किल हो गया है. मछुआरे इसका आरोप बड़े जहाजों पर लगाते हैं. एक बड़ा जहाज 400 टन से ज्यादा मछलियां पकड़ने की क्षमता रखता है. ये साधारण मछुआरों के सबसे बड़े जहाज से 20 गुना बड़े होते हैं. मछली पकड़ने वाले जहाजों ने मछुआरों के रोजगार और भोजन का अहम हिस्सा हिल्सा मछली को निशाना बनाना शुरू कर दिया है.
हिल्सा मछली बांग्लादेश की राष्ट्रीय मछली है. पिछले कई सालों से सरकार ने इसके शिकार पर अक्बटूर के महीने में 22 दिनों की पाबंदी लगा रखी है. सैय्यद रहमान के मुताबिक सरकार की पाबंदियों के कारण हिल्सा मछली में वृद्धि हुई है मगर मछुआरों को इसका फायदा नहीं मिल रहा है. उनका कहना है कि सरकार के फैसले का फायदा जहाज ऑपरेटरों को हो रहा है. हिल्सा के बढ़ने से जहाज ऑपरेटर आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर अहम अड्डों को निशाना बनाते हैं. सुपर ट्रेलर अपने आकार और इंजन के पावर की वजह से हिल्सा को जल्दी पकड़ने की क्षमता रखते हैं. गौरतलब है कि अंतरराष्ट्रीय संस्था ओसेन माइंड और इंटरनेशनल जस्टिस मिशन ने सैटेलाइट से ली गई तस्वीर के जरिए सी विंड और सी व्यू जहाजों के चटगांव के बंदरगाह पर मौजूदगी की पुष्टि की है. हालांकि अब बांग्लादेश सरकार एक कानून बनाने जा रही है जिससे मत्स्य विभाग को पुराने लाइसेंस कैंसिल करने की शक्ति मिल जाएगी.