विधायकों को चुनाव आते ही याद आए 'मुखिया जी', सभी दलों ने कहा-पंचायत प्रतिनिधियों का वेतन भत्ता बढ़ाए सरकार
बीजेपी के एमएलसी सचिदानंद सिंह ने यहां तक मांग की कि उनके साथ अन्याय हो रहा है. राय ने कहा कि यह मांग नही है. ये बहुत बड़ा विसंगति है.
पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2020 की नैया पार लगाने में पंचायत के मुखिया, वार्ड पार्षद, पंचायत समिति सदस्य की ज़रूरत आन पड़ी तो सभी दल के सुर मिल गए. आरजेडी ने इनकी वेतन और भत्ता बढाने की मांग बिहार विधान परिषद में रखा तो बाकी दलों ने भी इस मांग का समर्थन कर दिया.
आरजेडी के विधान पार्षद सुबोध राय ने कहा, "पंचायत प्रतिनिधियों को जो मानदेय मिलता है वो कम है. आप सांसद का वेतन वृद्धि करते हैं. आप पंचायती राज की बात करते हैं. हमलोगों का वेतन वृद्धि होता है, विधायकों का भी होता है, मंत्री के पीए को यात्रा भत्ता बिहार से बाहर जाने पर मिलता है लेकिन जो बापू का सपना है पंचायती राज का उसका क्या. आज सात साल हो गए पंचायत प्रतिनिधियों का एक रुपया भी वेतन वृद्धि नही किया गया. उनका वेतन वृद्धि करना चाहिए. उनको भी यात्रा भत्ता मिलनी चाहिए.''
बीजेपी के एमएलसी सचिदानंद सिंह ने यहां तक मांग की कि उनके साथ अन्याय हो रहा है. राय ने कहा कि यह मांग नही है. ये बहुत बड़ा विसंगति है. जैसे संसद में सांसद चुन के जाते हैं तो उनको वेतन भत्ते समेत सभी सुविधाएं मिलती है. विधानमंडल के सभी नियमित सदस्यों को वेतन व पेंशन भी मिलता है. फिर पंचायती राज के जो सदन हैं उनके प्रतिनिधि के साथ हम अन्याय क्यों करते आ रहे हैं. केंद्र सरकार व राज्य सरकार दोनो को इस बात पर विचार करना चाहिए . आज के दिन में इनका काम बढ़ गया है. आज के दिन एक वार्ड के पास फुर्सत नहीं है वो सारे दिन समाज का ही काम करते रहें.अब उसको 500 रुपये का मानदेय देना बड़ा ही गलत है.''
बीजेपी को अपना वादा पूरा करना चाहिए
उन्होंने आगे कहा,'' जब 2015 में बीजेपी अलग से चुनाव लड़ रही थी जिसमे मैं भी उम्मीदवार था, हमलोगों ने एक संकल्प पत्र जारी किया था और उसमे ये सारे प्रस्ताव शामिल थे. रेगुलर वेतनमान,पेंशन साइकिल आदि बहुत सारी चीजें थी. लेकिन हमलोग ने ये वादा करके उनसे वोट लिया था और आज हम सदन में बैठे हुए हैं, हमे लाखो रुपये मिल जाते हैं पर उन बेचारों को कुछ नहीं. हम चाहेंगे कि आप इसपर डिबेट कराएं.''
औरंगाबाद से एमएलसी राजन कुमार सिंह ने भी पंचायती व्यवस्था में दोहरी नीति पर सवाल खड़े कर दिए. राजन सिंह ने कहा पंचायत प्रतिनिधियों को मात्र 500 रुपये वेतन के रूप में मिलता है. एक उपमुखिया को 1250 रुपये मिलता है और मुखिया को 2500 रुपये मिलता है एक प्रमुख को 10 हजार रुपए मिलता है और उपप्रमुख को 5 हजार रुपये मिलता है. हम चाहते हैं इनका वेतन वृद्धि हो और पेंशन मिलना चाहिए. जिस तरह से सांसद विधायक को मिलता है उसी तरह से पंचायत प्रतिनिधियों को भी वेतन मिलनी चाहिए.