बिहार विधानसभा चुनाव: बिहार में अक्टूबर-नवम्बर में विधानसभा चुनाव होना है. मुख्य मुक़ाबला एनडीए गठबंधन और महागठबंधन के बीच होना है. एनडीए की ओर से तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का फिर से सीएम उम्मीदवार बनना लगभग तय हो चुका है, लेकिन महागठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री उम्मीदवार के नाम पर सहमति नहीं बन पाई है. माना ये जा रहा था कि सबसे बड़ी सहयोगी पार्टी होने के कारण आरजेडी नेता तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनाने पर सहमति बन जाएगी. लेकिन महागठबंधन की बाक़ी पार्टियां फ़िलहाल इसपर अंतिम फ़ैसला लेने की जल्दबाज़ी में नही दिखाई पड़ती.


नीतीश के सामने तेजस्वी को खड़ा करना जोखिम भरा


सूत्रों के मुताबिक़ राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के नेता उपेंद्र कुशवाहा, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और विकासशील इंसान पार्टी के नेता मुकेश साहनी तेजस्वी यादव को सीएम उम्मीदवार बनाए जाने के पक्ष में नहीं हैं. उनका मानना है कि तेजस्वी को उम्मीदवार बनाते ही मुक़ाबला सीधा तेजस्वी यादव और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच हो जाएगा और इसका सीधा फ़ायदा एनडीए को ही मिलेगा. महागठबंधन के एक प्रमुख नेता के मुताबिक़, "बिहार में अभी भी लोग तेजस्वी यादव को नीतीश कुमार के विकल्प के तौर पर नहीं देखते हैं और ऐसे में नीतीश कुमार को TINA (There Is No Alternative) फैक्टर का बड़ा लाभ मिल जाएगा.''


शरद को चुनाव की कमान देने का सुझाव


लिहाज़ा महागठबंधन के नेता कोई बीच का रास्ता निकालना चाहते हैं. इसी कड़ी में कुछ दिनों पहले उपेंद्र कुशवाहा, जीतन राम मांझी और मुकेश साहनी ने वरिष्ठ नेता शरद यादव से मुलाक़ात की थी. सूत्रों के मुताबिक़ मुलाक़ात में इन नेताओं ने शरद यादव को एक फार्मूला सुझाया था. सुझाव ये था कि शरद यादव चुनाव में महागठबंधन की कमान संभाले और मुख्यमंत्री पद का फ़ैसला चुनाव के बाद कर लिया जाएगा. लेकिन सूत्रों के मुताबिक़ शरद यादव इसके लिए तैयार नहीं हुए. वैसे दिल्ली में इन नेताओं ने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर से दो राउंड की बातचीत की थी जिसमें आरजेडी से अलग होकर कांग्रेस के साथ मिलकर एक नया मोर्चा बनाने का फॉर्मूला दिया गया था.


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