पटना: बिहार सरकार ने फैसला लिया है कि अब ग्यारह शहरों से आने वाले अप्रवासी श्रमिकों को ही क्वॉरन्टीन सेंटर में रखा जाएगा. बाकी राज्य के शहरों से आए प्रवासियों को घर में ही 14 दिन क्वॉरन्टीन में रहना होगा. बिहार सरकार के आपदा विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत से बात की एबीपी न्यूज़ बिहार संपादक प्रकाश कुमार ने...


ट्रेन की संख्या बढ़ने से बिहार में दबाव बढ़ा


प्रत्यय अमृत ने कहा कि शुरू में हमलोग का जो आकलन था और उसके हिसाब से हमने प्लानिंग की थी. नोडल ऑफिसर होने के कारण हम दोनों साधनों रोड और ट्रेन से आने वाले आंकड़ों को देख रहे थे. हमलोग ने एक निर्णय लिया था कि जो भी हमारे प्रवासी भाई आएंगे उनकी स्क्रीनिंग कराकर प्रखंड क्वॉरन्टीन सेंटर पर रखा जाएगा. जब नंबर बढ़ने लगे तो उन्हें पंचायत स्तर पर भी क्वॉरन्टीन सेंटर की व्यवस्था की गई. फिर जब पांच दिन पहले लगा कि अभी और नम्बर बढ़ रहा है तो हमलोग ने गांवों के क्वॉरन्टीन सेंटर में रखने का निर्णय लिया.इस बीच दो चीजें हुई है एक जो प्रवासी आ रहे हैं और जब उनका टेस्टिंग होने लगी तो रेंडम रिपोर्ट आने लगी. दूसरी तरफ नए एसओपी के तहत भारतीय रेल द्वारा ही पूरे आवागमन किया जा रहा है. जैसे आज 110 ट्रेन आएगी, जहां पहले एक दिन में 30 से 40 ट्रेन आती थी अब वो संख्या बढ़कर सौ से 110 पहुंच गई है.


ग्यारह शहर से आने वाले ही क़वेरेन्टीन सेंटर में रहेंगे


लगातार बढ़ती संख्या को देखते हुए अब ये निर्णय हुआ है कि सूरत, दिल्ली , नोएडा, मुम्बई, अहमदाबाद, गाजियाबाद, फरीदाबाद , बेंगलुरू, कटक , पुणे, कोलकाता से आए मजदूरों को ही क्वॉरन्टीन सेंटर भेजा जाएगा. बाकी शहरों से जो आएंगे उन्हें घर भेजा जाएगा लेकिन उनका रजिस्ट्रेशन जरूर होगा साथ ही उनकी स्क्रीनिंग भी की जाएगी. इनमें भी किसी में कोरोना के लक्षण दिखे तो उन्हें क्वॉरन्टीन में रखा जाएगा. वहीं अब एक कमरे में रहने वाले श्रमिकों की संख्या चार या छह से घटाकर दो या तीन कर दी जाएगी. ये हमारे लिए बहुत बड़ी चुनौती है.


इसके अलावा जो लोग आएंगे तो सभी को प्रखंड लेवल पर लाकर उनका पंजीकरण किया जाएगा और फिर उनकी स्क्रीनिंग कराने के बाद जो सभी असिम्पटमेटिक है उन सभी को उनके गांव और उनके घरों में क्वॉरन्टीन किया जाएगा. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के बाद यह निर्णय कल सभी जिलाधिकारी, एसपी मुख्य सचिव के साथ सभी सचिव की मौजूदगी में हुई बैठक में लिया गया. दूसरे कैटेगरी के लोग में अगर कोई सिम्पटमेटिक हो तो उनको क्वॉरन्टीन सेंटर भेजा जाएगा. बाकी सभी को होम क्वॉरन्टीन किया जाएगा. साथ ही स्वास्थ्य विभाग द्वारा डोर टू डोर सर्वे का काम किया जायेगा. जो लोग भी होम क्वॉरन्टीन होंगे उनके घरों के बाहर लाल पोस्टर चिपकाया जाएगा. इसके अलावा माइकिंग का काम भी हो रहा है, इसमे गांव के लोग काफी सजग हैं, हम इसे व्यापक पैमाने पर करेंगे. सभी को घरों पर रहने के निर्देश दिए गए हैं. साथ ही स्वास्थ्य विभाग के तरफ से सभी की जांच की जाएगी.


कुल 21 दिन होगा क्वॉरन्टीन


इन ग्यारह शहर से आने वाले लोग प्रखंड में 14 दिन कोरेन्टाइन रहेंगे और अगर वो जांच में विलक्षण पाये जाते हैं तो उन्हें घर भेजा जायेगा. विलक्षण के बावजूद घर में भी इन्हें 7 दिन क्वॉरन्टीन रहना होगा, वो सभी प्रवासी जो आ रहे जिनका रजिस्ट्रेशन हो रहा है उन सभी के अकाउंट में हम पैसा ट्रांसफर करेंगे.


जो रजिस्ट्रेशन नहीं कराएंगे उन्हें नहीं मिलेगा सरकारी लाभ


मुख्यमंत्री ने एक सप्ताह पहले ही ये स्पष्ट किया है कि किसी को पैदल आने की आवश्यकता नहीं. है हमलोग ने सारी छूट दे रखी है कोई भी आना चाहे हम सभी का स्वागत कर रहे हैं. और फिर भी जो लोग चोरी से आए हैं उनके लिए इंस्ट्रक्शन है. यहां दो बातें हैं कई मामलों में तो गांव के लोग खुद ही सूचित कर देते हैं, ये बहुत अच्छी बात है. उन्होंने कहा कि बिहार के तमाम ग्रामीण लोगों के तरफ से बहुत सहयोग मिला है. इसके लिए उनका बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहूंगा. गांव के लोग फोन से डीएम को या हमलोगों को भी बता देते हैं कि इतने लोग हमारे गांव आये हैं और कई परिजनों ने भी सूचना दिया है.


इन तमाम लोगों का भी पंजीकरण कराया जा रहा है जिसका दो फायदा है. पहला ये की हमारे जानकारी में उनको रहना चाहिए दूसरा है होम क्वॉरन्टीन. अगर 11 शहरों से लोग आते हैं तो हमारे लिए बहुत आवश्यक है कि हम उन्हें सारी सूचनाओं के साथ क्वॉरन्टीन सेंटर में रखे, उनपर नजर रखें. ये उनके हित में है, समाज हित में है, राज्य हित में है. इसमे तीसरी बात ये है इनका पंजीकरण इसलिए आवश्यक है ताकि वे राज्य सरकार द्वारा दी जाने वाली राशि से वंचित ना हो जाएं, हमलोग ने ऐसे लोगों के लिए अलग से विशेष रणनीति बनाई है और उसपर विशेष ध्यान दे रहे हैं.


अगले सप्ताह तक बीस लाख प्रवासी मजदूर आएंगे बिहार
अबतक जो आंकड़े हमारे पास उपलब्ध हैं, लगभग साढ़े आठ लाख लोग हमारे कैम्पस में है और जिस हिसाब से ट्रेन का मुवमेंट हो रहा है ये आंकड़ा और बढ़ेगा. जैसे आज 110 ट्रेन आ रही है और अभी करीब दो लाख लोग ट्रेन से आ रहे हैं. वही रोड से आने वाले लोग की कमी हुई है. दो दिनों से ट्रेन ज्यादा संख्या में चल रही है, फिर भी 5 से 8 हजार लोग रोड से आ रहे हैं. हमारा अनुमान है कि तीन से चार दिन में करीब 8 से 10 लाख लोग अभी और बिहार आएंगे. अगले सप्ताह तक लगभग 20 लाख लोग बिहार आएंगे. इसीलिए डेली समीक्षा होती है, फीड बैक लिया जाता है. मुख्यमंत्री खुद प्रतिदिन समीक्षा करते हैं. क्योंकि बिहार के अन्य लोगों को भी सुरक्षित रखना है. ये बहुत ही चुनौती भरा मॉडल है लेकिन राज्य हित में है. हमलोग पूरी तरह से अवगत हैं, मुख्यमंत्री भी इसपर विशेष जोर दे रहे हैं. जो हाई इन्फेक्टेड एरिया से आ रहे हैं उन्हें क्वॉरन्टीन रखना जरूरी है.


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