महाराष्ट्र के राज्यपाल को छत्रपति शिवाजी महाराज के आदर्शों को समझना चाहिए, उनकी तुलना किसी अन्य महान व्यक्ति से नहीं की जा सकती है. बीजेपी नेताओं से मेरा अनुरोध है कि कोश्यारी को बाहर भेजें
(संजय गायकवाड़, शिंदे गुट के विधायक, 21 नवंबर को एक बयान में)
महाराष्ट्र के समग्र विकास के लिए जरूरी है कि देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री बने. हम लोगों को इसके लिए जी जान से काम करना चाहिए.
(चंद्रशेखर बावनकुले, बीजेपी अध्यक्ष, 18 दिसंबर को एक बयान में)
महाराष्ट्र में शिंदे सरकार बनने के बाद बीजेपी और शिवसेना (बालासाहेबची) के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. पिछले एक महीने के भीतर दोनों पार्टियों की ओर से आए बयान भी इसकी गवाही दे रहा है. मार्च में उद्धव सरकार गिराने के बाद बीजेपी ने एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाया था.
शिंदे सरकार बनने के बाद माना जा रहा था कि महाराष्ट्र में बीजेपी ने बड़ी वापसी की है. बीजेपी की इस वापसी से विपक्ष कमजोर होगा, लेकिन 9 महीने में ही सारे कयास और अटकलबाजियां ध्वस्त होती दिख रही है. महाराष्ट्र में तेजी से बदल रही सियासत ने बीजेपी की टेंशन बढ़ा दी है.
कैसे बदल रही महाराष्ट्र की सियासत?
1. विपक्षी एका मजबूत हो रहा है- महाराष्ट्र में उद्धव सरकार गिरने के बाद माना जा रहा था कि विपक्ष पूरी तरह बिखर जाएगा, लेकिन सरकार गिरने के बाद गठबंधन और मजबूत हो गया है. 16 दिसंबर को आजाद मैदान में महाविकास अघाड़ी ने हल्ला बोल रैली का आयोजन किया था. इस रैली में शरद पवार, उद्धव ठाकरे और नाना पटोले भी शामिल हुए थे.
रैली में सभी नेताओं ने कर्नाटक-महाराष्ट्र के बीच सीमा विवाद और कोश्यारी को लेकर बीजेपी पर जमकर हमला बोला. राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो यह रैली महाविकास अघाड़ी का शक्ति प्रदर्शन था.
2. सावरकर पर विवाद, शिवसेना चुप- राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा जब महाराष्ट्र गई, तो शिवसेना के आदित्य ठाकरे इसमें शामिल हुए. यात्रा के बीच में राहुल ने सावरकर को लेकर विवादित बयान दिया. बीजेपी ने सावरकर पर दिए बयान को लेकर कांग्रेस पर अटैक किया. माना जा रहा था कि शिवसेना और कांग्रेस के बीच इससे दूरियां बढ़ेगी. मगर, शिवसेना ने विवाद पर चुप्पी साध ली.
3. अंधेरी उपचुनाव में बीजेपी का कैंडिडेट वापस लेना- उद्धव और शिंदे विवाद के बाद अंधेरी ईस्ट सीट पर उपचुनाव होना था. इस उपचुनाव में बीजेपी ने उद्धव गुट के सामने कैंडिडेट उतारा. मगर, राज ठाकरे की चिट्ठी के बाद बीजेपी को अपना उम्मीदवार वापस लेना पड़ा. महाराष्ट्र के सियासी गलियारों में इसकी काफी आलोचना हुई.
बीजेपी के लिए सियासी संकेत सही नहीं, क्यों?
- भारतीय समूह वेदांता और ताइवान की इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी फॉक्सकॉन 1.54 लाख करोड़ रुपये का निवेश पहले महाराष्ट्र में करने वाली थी, लेकिन सितंबर में यह प्रोजेक्ट गुजरात चला गया. प्रोजेक्ट के गुजरात में जाने के बाद MVA ने शिंदे सरकार की घेराबंदी कर दी. इस मुद्दे पर बीजेपी और शिंदे गुट ने चुप्पी साध ली. MVA इसके जरिए बीजेपी के खिलाफ लगातार माहौल बनाने में लगी है.
- शिंदे और फडणवीस के बीच IPS ट्रांसफर को लेकर विवाद सामने आ चुका है. शिंदे पुलिस मुख्यालय में तैनात एक अधिकारी को ठाणे में तैनात करना चाहते थे, जिस पर शिंदे राजी नहीं हुए. दोनों के बीच विवाद को दिल्ली हाईकमान ने सुलझाया. एक IAS अफसर के भी ट्रांसफर करने पर फडणवीस भड़क गए थे. हालांकि, स्थिति अभी कंट्रोल में है.
- महाराष्ट्र के गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी ने पिछले दिनों शिवाजी महाराज को लेकर एक विवादित टिप्पणी की. कोश्यारी के इस बयान को विपक्ष ने महाराष्ट्र का अपमान बताया. शिंदे गुट ने भी कोश्यारी के बयान को गलत बताया, जिसके बाद बीजेपी बैकफुट पर आ गई.
- कर्नाटक-महाराष्ट्र सीमा पर स्थित बेलगाम में 5 दिसंबर को अचानक हिंसा भड़क गई. कन्नड़ रक्षक वेदिका नामक संगठन के कार्यकर्ताओं ने महाराष्ट्र से आने वाली गाड़ियों में तोडफोड़ की. यह हिंसा कर्नाटक के सीएम के एक बयान के बाद भड़की थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि महाराष्ट्र के कुछ गावों को कर्नाटक में मिलाया जाएगा. कर्नाटक में बीजेपी की सरकार है.
आगे की राह और भी मुश्किल...
1. बृहन्मुंबई महानगरपालिका चुनाव- महाराष्ट्र की राजधानी में नगर निगम के चुनाव होने हैं. पिछले 25 साल से बीएमसी पर शिवसेना का कब्जा है. बीजेपी इस किले को भेदने के लिए विशेष तैयारी कर रही है. गृहमंत्री अमित शाह खुद सक्रिय हैं और मिशन 135 का लक्ष्य रखा है. दिल्ली नगर निगम में हार के बाद बीजेपी की नजर मुंबई पर ही है. हालांकि, यहां उद्धव ने मजबूत किलेबंदी कर दी है. शिंदे गुट भी खासे सक्रिय नहीं हैं.
2. लोकसभा चुनाव 2024- यूपी के बाद महाराष्ट्र में लोकसभा की सबसे अधिक सीटें हैं. 48 में से 23 सीटें अभी बीजेपी के पास है. सहयोगी शिंदे के समर्थन में 12 सांसद हैं. बीजेपी के सामने 2024 में सीटें बचाने की चुनौती होगी. राज्य की कई ऐसी सीटें हैं, जहां कांग्रेस-शिवसेना और एनसीपी गठबंधन बीजेपी के मुकाबले काफी मजबूत हैं.