लखनऊ, एबीपी गंगा। अयोध्या में राम मंदिर का वर्षों से सपना देखने वालों का ख्वाब आज पूरा हो रहा है. भाजपा राम मंदिर का श्रेय लेने और भूमि पूजन के आयोजन को भव्य बनाने के लिए पुरजोर कोशिश में लगी है. वहीं, इस मामले में विपक्ष के नेता भी ज्यादा विरोध या राजनीति तो नहीं कर रहे लेकिन चुपके से अपनी बात कहने का प्रयास जारी है. साथ ही ये नेता जनता को ये भी याद दिलाने में लगे हैं कि राम मंदिर में सिर्फ भाजपा का योगदान नहीं है.


इसी कड़ी में बसपा प्रमुख मायावती ने राम मंदिर के भूमि पूजन से ठीक पहले ट्वीट किए. इन ट्वीट्स में मायावती ने राम मंदिर का श्रेय सुप्रीम कोर्ट को दिए जाने की बात कही. मायावती ने ट्वीट करते हुए लिखा, 'जैसा कि सर्वविदित है कि अयोध्या विभिन्न धर्मों की पवित्र नगरी व स्थली है। लेकिन दुःख की बात यह है कि यह स्थल राम-मन्दिर व बाबरी-मस्जिद जमीन विवाद को लेकर काफी वर्षों तक विवादों में भी रहा है लेकिन इसका माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अन्त किया. साथ ही, इसकी आड़ में राजनीति कर रही पार्टियों पर भी काफी कुछ विराम लगाया. माननीय कोर्ट के फैसले के तहत ही आज यहां राम-मंदिर निर्माण की नींव रखी जा रही है, जिसका काफी कुछ श्रेय माननीय सुप्रीम कोर्ट को ही जाता है.''



एक अन्य ट्वीट में मायावती लिखती हैं, 'इस मामले में बी.एस.पी का शुरू से ही यह कहना रहा है कि इस प्रकरण को लेकर माननीय सुप्रीम कोर्ट, जो भी फैसला देगा, उसे हमारी पार्टी स्वीकार करेगी। जिसे अब सभी को भी स्वीकार कर लेना चाहिये। बी.एस.पी की यही सलाह है.'


इससे पहले मायावती ने दलित महामंडलेश्वर को भूमि पूजन में न बुलाए जाने पर भी नाराजगी जताई थी. उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा था कि भूमि पूजन में अगर बाकी साधु-संतों के साथ दलित महामंडलेश्वर को भी बुला लिया गया होता तो बेहतर होता। मायावती ने कहा कि ऐसा करने से देश में जातिविहीन समाज बनाने की संवैधानिक मंशा पर कुछ असर पड़ सकता था.


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