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क्या हैं CAA से जुड़े विवाद? 5 साल तक क्यों लागू नहीं हुआ कानून
Citizenship Amendment Act: नागरिकता संसोधन कानून 2019 में ही बन गया था. दोनों सदनों से इसे पारित भी कर दिया गया था, लेकिन अब तक यह कानून लागू नहीं हुआ. क्योंकि, इस पर लगातार विवाद हुए हैं.
Citizenship Amendment Act: नागरिकता संशोधन कानून जल्द ही देश में लागू हो सकता है. सूत्रों के अनुसार भारत सरकार आज रात इसका नोटिफिकेशन जारी करेगी. इसके बाद इस कानून को लागू कर दिया जाएगा. यह कानून शुरुआत से ही विवादों में रहा है. इसी वजह से दोनों सदनों की मंजूरी मिलने के बाद भी अब तक इसे लागू नहीं किया गया था. कानून बनने के बाद 5 साल तक इसे लागू क्यों नहीं किया गया? इससे जुड़े विवाद क्या हैं. आइए जानते हैं.
नागरिकता संशोधन कानून बनने से पहले ही विवादों में आ गया था. दोनों सदनों में इस कानून को लेकर जमकर बहस हुई थी. विपक्ष के नेता इस कानून के खिलाफ थे. हालांकि, बहुमत के आधार पर सरकार इसे दोनों सदनों से पास कराने में सफल रही.
CAA से जुड़े विवाद
- नागरिक संशोधन अधिनियम में भारत के पड़ोसी देश अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के उन लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है, जिन्हें धर्म के आधार पर परेशान किया गया हो. इस कानून के तहत हिंदू, सिख, जैन, ईसाई, बौद्ध और पारसी लोगों को भारतीय नागरिकता दी जा सकती है. इस कानून में मुसलमानों का जिक्र नहीं होने से विवाद होता रहा है. इस वजह से सरकार पर धार्मिक भेदभाव का आरोप भी लगा है.
- आलोचक इस कानून को एनआरसी से जोड़कर देख रहे हैं. इस आधार पर कहा जा रहा है कि एनआरसी के जरिए लोगों से भारतीय नागरिकता छीनी जाएगी और फिर सीएए के जरिए उन्हें फिर से नागरिकता दी जाएगी. इस प्रक्रिया में मुसलमानों को देश से बाहर कर दिया जाएगा.
- इस कानून के जरिए पड़ोसी देश के लोगों को भारत की नागरिकता दी जाएगी. ऐसे में देश की जनसंख्या और बढ़ेगी. इस कानून का विरोध करने वाले लोगों का कहना है कि इससे देश के संसाधनों पर दबाव बढ़ेगा.
- इस कानून पर धर्मनिरपेक्षता का उल्लंघन करने के आरोप लगाए गए हैं. भारतीय संविधान के अनुसार देश में किसी के साथ भी धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता. हालांकि, इस कानून में मुसलमानों को नागरिकात देने का प्रावधान नहीं है. इस वजह से धर्मनिरपेक्षता का उल्लंघन करने की बात कही जा रही है.
- सीएए को एनआसरी से जोड़ा जाता रहा है. आलोचकों का मानना है कि सीएए लागू करने के बाद सरकार एनआरसी लागू करेगी. इसके बाद ऐसी स्थिति बनेगी, जिसमें भारत की नागरिकता धर्म के आधार पर तय होगी. इस स्थिति में मुसलमानों के हाशिये पर जाने की आशंका है.
- आलोचकों को यह भी डर है कि एनआरसी आने के बाद कई लोग भारत से बाहर हो जाएंगे. इनमें से कुछ लोगों को सीएए की तहत नागरिकता दे दी जाएगी, लेकिन जिन लोगों को नागरिकता नहीं मिलेगी और जिनके पास यह भी सबूत नहीं होगा कि वह पहले किस में रहते थे. उनके पास रहने के लिए कोई देश नहीं होगा.
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