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राष्ट्रपति पुतिन से मंजूरी मिलने के बाद रूस में शुरू हो चुकी है कोरोना वैक्सीन लगाने की मुहिम, जानें किन्हें पहले दी जा रही
राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद रूस में कोरोना वैक्सीन लगाने का काम शुरू हो गया है.'स्पूतनिक वी' वैक्सीन बनाने वाले वैज्ञानिकों का दावा है कि ये वैक्सीन 95 प्रतिशत असरदार है.
![राष्ट्रपति पुतिन से मंजूरी मिलने के बाद रूस में शुरू हो चुकी है कोरोना वैक्सीन लगाने की मुहिम, जानें किन्हें पहले दी जा रही Campaign to start Corona vaccine started in Russia after approval from President Putin राष्ट्रपति पुतिन से मंजूरी मिलने के बाद रूस में शुरू हो चुकी है कोरोना वैक्सीन लगाने की मुहिम, जानें किन्हें पहले दी जा रही](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2020/09/16120958/corona-world.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
प्रतीकात्मक तस्वीर
कोरोना वायरस का संक्रमण दुनियाभर में फ़ैल रहा है. दुनिया के अधिकतर देशों के लोग कोरोना वैक्सीन का इंतज़ार कर रहे हैं. इसी बीच रूस में कोरोना वैक्सीन लगाने का काम शुरू हो गया है. शनिवार को रूस की राजधानी मॉस्को में इस मुहिम की शुरुआत हुई. जानकारी के लिए बता दें कि ये वैक्सीन सबसे पहले उन लोगों को दिया जा रहा है जिनके संक्रमित होने का खतरा ज्यादा है.
हाल ही में रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने बड़े स्तर पर वैक्सीन लगाने की मुहिम की शुरुआत करने का आदेश दिया था. रूस अपने ही देश में विकसित 'स्पूतनिक वी' नामक वैक्सीन का उपयोग कर रहा है, जिसे अगस्त के महीने में मंजूरी दे दी गई थी. शनिवार को शुरू हुई कोरोना वैक्सीन लगाने की मुहिम के लिए हजारों की संख्या में चिकित्सकों, शिक्षकों और अन्य लोगों ने हस्ताक्षर किए हैं. वहीं राष्ट्रपति से आदेश मिलने के बाद वैक्सीन देने के लिए दर्जनों केंद्र खोले गए हैं.
इस वैक्सीन पर सामूहिक परीक्षण अभी भी जारी
'स्पूतनिक वी' वैक्सीन बनाने वाले वैज्ञानिकों का दावा है कि ये वैक्सीन 95 प्रतिशत असरदार है. उनका कहना है कि इस वैक्सीन का कोई नेगेटिव इम्पैक्ट नहीं है. हालांकि इस वैक्सीन पर सामूहिक परीक्षण अभी भी जारी है. रूस का दावा है कि ये वैक्सीन दुनिया का पहला रजिस्टर्ड कोरोना वैक्सीन है जिसे सरकार ने अगस्त में ही मंजूरी दे दी थी.
अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों ने की थी आलोचना
इससे पहले राष्ट्रपति पुतिन ने कहा था कि उनकी बेटियों में से एक ने शुरुआती टीका लगवाया था. कई अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों ने रूस की आलोचना की थी. उनका कहना था कि पुतिन सरकार ने जल्दबाजी में ये निर्णय लिया है. बता दें कि उस समय कुछ ही लोगों पर इस वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल किया गया था.
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