Cancer Drug: मिल गई कैंसर की दवा! ड्रग ट्रायल में 6 महीने में ही पूरी तरह ठीक हो गए मरीज
Cancer Drug: एक ट्रायल के बाद ये दावा किया गया है कि 18 मरीज जिन्हें यह दवा दी गई, उनका रेक्टल कैंसर पूरी तरह ठीक हो गया.
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कैंसर (Cancer) को असाध्य रोग माना जाता है और इसकी सटीक दवा आज भी विज्ञान ढूंढ रहा है. लेकिन एक क्लीनिकल ट्रायल (Clinical Trial) के बाद दावा किया जा रहा है कि एक दवा इस बीमारी को ठीक कर सकती है. ट्रायल में जिन मरीजों पर प्रयोग किया गया, वो पूरी तरह ठीक हो गए.
इस क्लीनिकल ट्रायल में रेक्टल कैंसर (Rectal Cancer) से जूझ रहे 18 मरीजों को शामिल किया गया था. इन्हें 6 महीनों के लिए डोस्टरलिमैब (Dostarlimab) नामक एक दवा दी गई. 6 महीने के बाद ये ठीक हो गए थे.
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, डोस्टरलिमैब एक दवा है कि जो लैब में बनाए गए अणुओं से बनी है. ये दवा शरीर में सब्स्टीट्यूट एंटीबॉडीज की तरह काम करती है.
ट्रायल में रेक्टल कैंसर के सभी मरीजों को एक ही दवा दी गई थी. इस ट्रीटमेंट के 6 महीने बाद सभी मरीजों का कैंसर पूरी तरह गायब हो गया जिसे एंडोस्कोपी में भी डिटेक्ट नहीं किया जा सका.
ट्रायल के नतीजों से चिकित्सा जगत आश्चर्य में
रिपोर्ट के मुताबिक, क्लिनिकल ट्रायल में शामिल मरीज इससे पहले कैंसर के इलाज के लिए तकलीफदेह ट्रीटमेंट जैसे कीमोथेरेपी, रेडिएशन और सर्जरी से गुजर रहे थे.
18 मरीज इस ट्रायल में ये सोचकर शामिल हुए थे कि ये भी एक ट्रीटमेंट का स्टेज है. लेकिन जब उन्हें पता चला कि अब आगे उन्हें इलाज की कोई जरूरत नहीं है, तो इस बात से उन्हें हैरानी हुई. इस क्लिनिकल ट्रायल के नतीजों ने चिकित्सा जगत को आश्चर्य में डाल दिया है.
नहीं दिखे साइड इफेक्ट
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में कोलोरेक्टल कैंसर विशेषज्ञ डॉ. एलन पी. वेनुक ने कहा कि सभी मरीजों का पूरी तरह ठीक होना 'अभूतपूर्व' है. उन्होंने ये भी बताया कि किसी भी मरीज में ड्रग ट्रायल के दौरान साइड इफेक्ट नहीं देखे गए.
रिसर्च पेपर की को-ऑर्थर ने बताया कि जब रोगियों को पता चला कि उनका कैंसर पूरी तरह से ठीक हो चुका है, उन सभी की आंखों में खुशी के आंसू थे.
ट्रायल के दौरान मरीजों को छह महीने तक हर तीसरे हफ्ते दवा दी गई. सभी कैंसर के एकसमान स्टेज पर थे. बीमारी उनके रेक्टम में फैल गई थी, लेकिन इसने दूसरे अंगों को प्रभावित नहीं किया था.
दवा का रिव्यू करने वाले कैंसर शोधकर्ताओं ने बताया कि इस इलाज से उम्मीद जगी है, लेकिन इसके बड़े पैमाने पर ट्रायल की जरूरत है जिससे ये सुनिश्चित किया जा सके कि क्या ये दवा बाकी मरीजों पर भी असरदार है और क्या ये कैंसर को वाकई पूरी तरह ठीक कर सकती है?
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