चीन का समुद्री अनुसंधान पोत जियांग यांग होंग मालदीव पहुंच चुका है. मालदीव के विशेष आर्थिक क्षेत्र में लगभग एक महीने तक रहने के बाद यह पोत राजधानी माले पहुंचा है. यह जहाज अब कहां जाएगा, इस बारे में कोई जानकारी नहीं है, लेकिन ट्रैंकिंग साइटों के अनुसार फिलहाल यह जहाज थिलाफुशी के पास है. इस जहाज की ट्रैकिंग बंद कर दी गई थी और लगभग एक महीने तक यह गायब था. इसके बाद इस जहाज का अचानक सामने आना भारत के लिए चिंता बढ़ाने वाला है, क्योंकि यह जहाज फिलहाल हिंद महासागर क्षेत्र में है.


मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने पिछले महीने चीन का दौरा किया था. इसके एक दिन बाद 14 जनवरी को यह जहाज चीन से रवाना हुआ था और अब मालदीव में है. चीन और मालदीव की करीबी भी भारत के लिए चिंता बढ़ाने वाली है. 


22 जनवरी से गायब था
यह जहाज 22 जनवरी से ट्रैकिंग साइट पर नहीं दिख रहा था. गायब होने से पहले इसे इंडोनेशिया के पास जावा सागर में देखा गया था. इसके बाद मालदीव में इसकी लोकेशन मिली है. माना जा रहा है कि एक महीने तक यह जहाज मालदीव के ईईजेड पर था. यह 100 मीटर लंबा जहाज 2019 में चीन के स्टेट ओशनिक एडमिनिस्ट्रेशन का हिस्सा बना था. यह चीन का सबसे बड़ा जहाज है, जिसका वजह 4500 टन है.


मालदीव का दावा नहीं करेगा जासूसी
चीन 2019 से इस जहाज का उपयोग सर्वे के लिए कर रहा है. इसके जरिए पानी में नमक की मात्रा, जलीय जीव, समुद्र के नीचे खनिज, जीवन और पर्यावरण अध्ययन के लिए करता है. इस जहाज के डेटा प्लव्स पर्यावरण से जुड़ी अहम जानकारियां जुटाने में सक्षम हैं. इस जहाज पर सर्वे के नाम पर श्रीलंका और मालदीव के क्षेत्र में जासूसी के आरोप लगते रहे हैं, हालांकि, मालदीव के अनुसार यह जहाज सिर्फ रोटेशन और रिप्लेनिश के लिए आया है.


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