Communal Violence: कहने तो दिल्ली देश की राजधानी है, लेकिन यहां लॉ एंड आर्डर की स्थिति बहुत ही दयनीय है. यहां छोटी-छोटी बातों पर शुरु हुई लड़ाई सांप्रादायिक हिंसा का रूप लेने में देर नहीं लेती. 1984 के सिख दंगों के बाद दिल्ली में सबसे बड़ा सांप्रादायिक दंगा 2020 में हुआ था. 84 के सिख दंगों में 3 हजार से अधिक लोगों की जान गई थी. वहीं 2020 में कुल 53 लोगों की मौत हुई थी, जिसमें एक पुलिस कॉस्टेबल भी शामिल था.


अगर सिर्फ दस साल में दिल्ली के दंगों पर नजर डाली जाए तो यह आंकड़ा भी चौंकाने वाला ही है. यहां सैकड़ों की संख्या में दंगे हुए, जिनमें सांप्रादायिक दंगे भी शामिल हैं. इऩ दंगों की संख्या बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं. उनमें से कई बार पुलिस भी दंगे की धारा बढ़ा देती है.


किस वर्ष हुए दिल्ली में दंगे


वैसे तो 1984 के बाद भी हर दूसरे साल राजधानी दिल्ली में हिंसा की खबरें आती ही रहती थीं. जैसे 1990 के नवंबर में दिल्ली के खास सदर बाजार के पास ईदगाह पार्क में सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी थी. जिसमें 8 लोगों की मौत हो गई थी. इसके अलावा इस हिंसा में 32 लोग जख्मी भी हुए थे. 42 वाहन भी फूंक दिए गए. इसके बाद 1992 में भी दिल्ली के सीलमपुर इलाके में सांप्रदायिक हिंसा भयानक रूप ले लिया था. इसमें 20 लोगों की जान चली गई थी.


राजधानी दिल्ली में 2014 में त्रिलोकपुरी में हुए मामूली झगड़े ने आगे चलकर दंगे का रूप ले लिया था. हालांकि बड़ी हिंसा होने के बावजूद इसमें किसी व्यक्ति की जान नहीं गई लेकिन 70 से अधिक लोग जख्मी हुए थे. जिसमें से कई लोगों को गोली लगी थी.


दिल्ली के दंगों पर एक नजर


अगर सरसरी तौर पर निगाह डाली जाए तो 2015 में दिल्ली में कुल 130 दंगे हुए. इनमें से अधिकतर मामलों ने सांप्रदायिक रूप ले लिया था. इसके बाद 2016 में 79 हिंसक घटनाएं हुई थीं. इसमें भी कई सांप्रदायिक थीं. वर्ष 2017 में कुल 50 दंगे पुलिस की फाइल में रजिस्टर हुए.


2018 में इनकी संख्या में आई कमी 


2018 में दंगों की संख्या में कमी आई. इस साल 23 मामले दर्ज हुए. इनमें भी कुछ सांप्रदायिक थे. फिर 2019 में भी यह आंकड़ा बराबर यानी 23 ही रहा. साल 2020 में दंगों की संख्या में फिर से इजाफा हुआ. इस साल 689 घटनाएं हुईं. जबकि 2021 में यह आंकड़ा फिर कम होकर 68 पर आ गया. इसमें से सबसे भयानक दंगा 2020 का रहा.  


दिल्ली में 2020 में हुआ था सबसे बड़ा दंगा


अगर पिछले दस वर्षों के रिकॉर्ड पर नजर डाली जाए तो राजधानी में सबसे बड़ा दंगा 2020 में ही हुआ था. इसने दिल्ली के कई इलाकों को अपनी चपेट में ले लिया था. इस सांप्रदायिक हिंसा में दिल्ली तीन दिनों तक जलती रही.


1984 के बाद हुए दिल्ली के इस भीषण दंगे में 53 लोगों की जान चली गई थी. इसमें एक हेड कॉस्टेबल भी शामिल था. इसके अलावा 500 लोग जख्मी हुए. इतना ही नहीं करोड़ों रुपए की संपत्ति का भी नुकसान हुआ था. जिसमें सरकारी और व्यक्तगित दोनों संपत्तियां शामिल थीं. दंगाइयों ने घरों, दुकानों और वाहनों को आग के हवाले कर दिया था.


दिल्ली के ये क्षेत्र आये थे दंगे की चपेट में


देखा जाए तो अधिकर दिल्ली के उत्तरी-पूर्वी इलाके ही दंगों की चपेट आते रहे हैं. इस बार भी यही इलाके चपेट में आए थे. जिनमें जाफराबाद, ज्योति नगर, वेलकम, भजनपुरा, खसूरी खास, गोकलपुरी, करावल नगर, दयालपुर और न्यू उस्मानपुर इलाके ज्यादा प्रभावित हुए थे. पुलिस की सख्ती के बाद दंगे तो शांत हो गए, लेकिन क्षेत्र में तनाव लंबे समय तक बना रहा था. इन दंगों में पुलिस ने कुल 1,569 लोगों के खिलाफ चार्चशीट दाखिल की. इसमें हिंदू-मुस्लिम दोनों पक्षों की संख्या करीब-करीब समान ही थी.


जजों ने उठाए थे गंभीर सवाल


दिल्ली में हुए 2020 के दंगों को लेकर जजों ने अपनी रिपोर्ट में गंभीर सवाल भी उठाए थे. चार पूर्व जजों और भारत के एक भूतपूर्व गृह सचिव ने उक्त दंगों पर अपनी एक रिपोर्ट जारी की. जिसमें उन्होंने दिल्ली पुलिस की जांच पर भी सवाल उठाया था. इसके अलावा उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्रालय, मीडिया और दिल्ली सरकार को लेकर भी कई कड़ी टिप्पणियां की थीं.     


देश में 2016 से लेकर 2020 तक हुए दंगे


अगर केंद्र सरकार की दी गई जानकारी को सही माना जाए तो देश में 2016 से लेकर 2020 तक, इन पांच सालों में करीब 3,400 सांप्रदायिक दंगे हुए. यह आंकड़े केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्य सभा में एक प्रश्न का लिखित जवाब देते हुए बताए थे. मंत्री ने यह भी जानकारी दी थी कि 2020 तक देश में दंगों के कुल 2 लाख 76 हजार मामले दर्ज हुए. इन्हीं में से 3400 ऐसे केस भी थे जिन्हें सांप्रदायिक हिंसा की श्रेणी में दर्ज किया गया. हालांकि इन दंगों में संपत्ति नुकसान कितना हुआ, इसका ब्योरा नहीं मुहैया कराया गया था.


NCRB के रिकॉर्ड में दर्ज हैं इतने केस


राष्ट्रीय क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के डेटा की मानें तो देश में 2016 में कुल 61,974, 2017 में 58,880, 2018 में 57,828, 2019 में कुल 45,985 दंगों के मामले दर्ज हैं. इसके अलावा सांप्रदायिक दंगों की बात करें तो 2016 में 869, 2017 में कुल 723, 2018 में 512, वहीं 2019 में 438 और 2020 में 857 बार सांप्रदायिक हिंसा हो चुकी है.  


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