एक्सप्लोरर

कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव: कमान किसी को भी मिले, लेकिन पार्टी की दुर्दशा की ये कहानी जरूर पढ़ें

1998 में जब सोनिया ने सत्ता संभाली थी तब 10 राज्यों में कांग्रेस की सरकार थी. 2006 में यह बढ़कर 16 हो गई. वहीं 2022 तक आते आते अब केवल दो राज्यों में कांग्रेस की सरकार है. 

लगभग 22 सालों तक कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष के रूप में कार्य करने के बाद सोनिया गांधी 19 अक्टूबर 2022 को पार्टी अध्यक्ष का पद छोड़ देंगी. 75 साल की सोनिया गांधी ने सबसे पहले 14 मार्च, 1998 को पार्टी की कमान संभाली थी. उनके नेतृत्व में इस पार्टी ने शानदार वापसी की और 2004 से 2014 तक कांग्रेस की अगुवाई में यूपीए की सरकार भी रही.

सोनिया गांधी के नाम सबसे ज्यादा समय तक कांग्रेस अध्यक्ष रहने का रिकॉर्ड दर्ज है. साल 2017 और 2019 के बीच के दो साल को छोड़ दें तो वह पार्टी के 137 साल के इतिहास में सबसे लंबे समय तक अध्यक्ष रहीं हैं. उनके अध्यक्ष रहते 2004 से 2014 तक यानी 10 सालों तक पार्टी केंद्र में सत्तासीन रही और फिर पार्टी का ग्राफ नीचे गिरता चला गया. ऐसे में अगले पार्टी अध्यक्ष के लिए कांग्रेस की डूबती नैया को किनारे लगाना बहुत बड़ी चुनौती होगी. 

कांग्रेस पार्टी की राजनीति शुरू से ही भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के परिवार के इर्द गिर्द रही है. हालांकि कांग्रेस नेता और पार्टी के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ रहे मल्लिकार्जुन खड़गे ने वंशवाद के आरोपों पर हाल ही में कहा था कि ऐसा कहना बिलकुल गलत है क्योंकि राजीव गांधी के बाद से इस परिवार का कोई सदस्य प्रधानमंत्री पद पर नहीं रहा. 

देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के बाद उनकी बेटी इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री का कार्यभार संभाला, उस दौर में उनकी छवि तेज तर्रार नेता के रूप में उभरी लेकिन असमय मृत्यु के कारण राजीव गांधी को पीएम को पदभार संभालना पड़ा. राजीव गांधी की भी असमय मृत्यु हो गई और उस वक्त अचानक की कांग्रेस पर संकट आ गया था.

राजीव गांधी के मृत्यु के बाद सीताराम केसरी पार्टी के अध्यक्ष और पीवी नरसिंह राव प्रधानमंत्री बने. ये वो समय था जब पार्टी में असंतोष का माहौल था और कांग्रेस सत्ता से बाहर होने के कगार पर पहुंच गई थी. इसी असंतोष ने बीजेपी को एक बड़ी पार्टी के तौर पर सामने आने का मौका दिया.

बीजेपी के उदय के साथ ही कांग्रेस को समझ आने लगे कि उनकी राजनीति के लिए गांधी परिवार जरूरी है. ये भी एक कारण था कि राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी ने पार्टी की कमान संभाली. सोनिया गांधी 14 मार्च, 1998 को कांग्रेस की अध्यक्ष बनी और जनता ने भी उन्हें अपना लिया. सोनिया गांधी के अध्यक्ष बनने के साथ ही यूपीए की वापसी हुई. 

सोनिया गांधी के नेतृत्व में पार्टी ने चार आम चुनाव लड़े. सोनिया के रहते 1999 और 2014 के चुनाव के वक्त कांग्रेस को हार मिली तो 2004 और 2009 में जीत. 


कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव: कमान किसी को भी मिले, लेकिन पार्टी की दुर्दशा की ये कहानी जरूर पढ़ें

अध्यक्षता को दी गई चुनौती

सोनिया गांधी के अध्यक्ष बनने के 18 महीने बाद सितंबर 1999 में उनके नेतृत्व में पहला आम चुनाव हुआ. लेकिन उस चुनाव से पहले ही सोनिया गांधी की अध्यक्षता को चुनौती दी गई. दरअसल पार्टी के तीन वरिष्ठ नेता तारीक़ अनवर, पीए संगमा और वर्तमान एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने सोनिया गांधी के विदेशी मूल यानी इटली की मूल नागरिक होने का मुद्दा जोर-शोर से उठाया था. 

ये तीनों इस बात की मांग कर रहे थे कि सोनिया इटली की हैं और भारतीय राजनीति का अनुभव उनको न के बराबर है और इसलिए सोनिया गांधी को पद से इस्तीफा दे देना चाहिए. सिर्फ इस्तीफे का मांग ही नहीं इन नेताओं ने बगावत करते हुए सोनिया गांधी की विश्वसनीयता को लेकर भी गंभीर सवाल खड़े किए थे.

हालांकि इन बगावती नेताओं की मांग पूरी नहीं हुई और सोनिया गांधी का इस्तीफा नहीं हुआ. इसके बाद तारिक अनवर और शरद पवार ने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी. उन्होंने 1999 में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) का गठन किया. NCP के गठन के बाद से महाराष्ट्र में लगातार कांग्रेस कमजोर होती चली गई.

साल 1999 में हुए आम चुनाव में कांग्रेस की हार हुई और भाजपा गठबंधन सरकार (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) बनाने में सफल रही. भाजपा गठबंधन सरकार जीत के साथ ही 5 साल का पूर्ण कार्यकाल पूरा करने वाली पहली गैर-कांग्रेसी शासन बन गई. 

वहीं दूसरी तरफ हार के फौरन बाद सोनिया की अध्यक्षता को एक बार फिर चुनौती दी गई. दरअसल उस वक्त पवार के निष्कासन के बाद कांग्रेस के भीतर ही भीतर आक्रोश पनप रहा था. पायलट वंशवाद की राजनीति के खिलाफ असंतोष के केंद्र के रूप में उभरे थे.

राजेश पायलट और जितेंद्र प्रसाद ने सोनिया से नियंत्रण वापस लेने के लिए एक अभियान शुरू किया. जिसके बाद साल 2000 में राजेश पायलट ने सोनिया गांधी को अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर चुनौती दी थी.

हालांकि, पायलट की 2000 में एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई और प्रसाद अकेले हो गए. प्रसाद ने पार्टी के शीर्ष पद के लिए अपने अभियान के दौरान कहा था, "मैं असहमति के अधिकार और आंतरिक लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए चुनाव लड़ रहा हूं."

प्रसाद के इस अभियान के बाद भी पार्टी के अंदर सोनिया का प्रभाव मजबूत रहा. नवंबर 2000 के चुनाव में 7,542 वैध मतों में से प्रसाद को सिर्फ 94 मिले. सोनिया को प्रदेश कांग्रेस समितियों (पीसीसी) के प्रतिनिधियों द्वारा डाले गए 7,448 या 98.75 प्रतिशत वोट मिले.

चुनाव से पहले, चुनाव के दौरान और बाद में प्रसाद ने कहा कि प्रक्रिया में धांधली की गई है. लेकिन उन्होंने निजी तौर पर यह भी स्वीकार किया कि एक निष्पक्ष प्रक्रिया भी उनकी जीत सुनिश्चित नहीं कर सकती थी. 

केंद्र में 10 साल का शासन

सोनिया को जब कांग्रेस की कमान मिली, तब पार्टी देश की सियासत में पतन की ओर लुढ़क रही थी. लकिन उन्होंने हार नहीं मानी.  साल 2000 में अध्यक्ष पद के चुनाव के बाद पार्टी में अपना स्थान सुरक्षित करने के बाद सोनिया गांधी ने भाजपा की 'इंडिया शाइनिंग' पहल को टक्कर देने के लिए एक व्यापक अभियान शुरू किया.

कांग्रेस ने बेरोजगारी, गरीबी, बुनियादी ढांचे, शिक्षा और बिजली जैसी मूल जरूरतों पर घट रहे सरकार के बजट को बड़ा मुद्दा बनाया. कांग्रेस ने देश के वोटरों से अपने प्रचार में पूछना शुरू कर दिया- क्या भारत शाइन कर रहा है? क्या उनके घर चमक रहे हैं?

बीजेपी को अपनी जीत पर इतना भरोसा था कि उसने लोकसभा चुनाव से पहले अपने तीन महत्वपूर्ण सहयोगी दलों से नाता तोड़ लिया था. कांग्रेस ने इसका फायदा उठाया और इनमें से सबसे बड़ी पार्टी डीएमके को अपने साथ जोड़ लिया. डीएमके ने उस चुनाव में 16 लोकसभा की सीटें जीती थीं. 

अपने अभियान के बदौलत कांग्रेस ने साल 2004 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को सत्ता से बेदखल कर दिया. अटल बिहारी वाजपेयी का शाइनिंग इंडिया का नारा सोनिया के करिश्मा के सामने फीका पड़ गया. कांग्रेस दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और केरल में सत्ता में आने में कामयाब रही और 2009 के लोकसभा चुनाव में भी विजयी रही. 

2014 के बाद से गिरावट

2014 में मनमोहन सिंह सरकार का दूसरा कार्यकाल समाप्त होने के बाद से ही कांग्रेस का ग्राफ गिर रहा है. 2014 के लोकसभा चुनाव में इस पार्टी ने 44 सीटों पर जीत दर्ज की थी. जबकि 2009 के चुनाव में इसी पार्टी ने 206 सीट अपने नाम किए थे. उसके बाद से अब तक यानी पिछले 9 साल में 50 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. इनमें 11 राज्यों में कांग्रेस जीती भी, लेकिन कई राज्यों में बगावत के चलते पार्टी को सत्ता गंवानी भी पड़ी.  

साल 2019 में राहुल गांधी के नेतृत्व में पार्टी का प्रदर्शन थोड़ा बेहतर हुआ लेकिन इस बार भी पार्टी 52 सीट पाने में ही कामयाब हो पाई. जो कि कुल सीट को 9.6 प्रतिशत ही था. वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस का पतन सीधे तौर पर बीजेरी के उदय का कारण बना. बीजेपी ने 2014 के आम चुनाव में 282 सीटें जीती थीं. 


कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव: कमान किसी को भी मिले, लेकिन पार्टी की दुर्दशा की ये कहानी जरूर पढ़ें

कई नेताओं ने छोड़ा साथ

साल 2014 में हुई कांग्रेस की हार के बाद से पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी छोड़ना शुरू कर दिया. 2014 और 2022 के बीच कम से कम 460 नेताओं ने कांग्रेस छोड़ दिया. लगभग 177 सांसदों/विधायकों ने चुनाव के दौरान पार्टी छोड़ दी.

जबकि 222 चुनावी उम्मीदवारों ने कांग्रेस को अन्य पार्टियों के लिए छोड़ दिया. सिर्फ 2022 में 24 विधायकों ने कांग्रेस छोड़कर दूसरी पार्टी के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा. चुनाव लड़ने के लिए कुल 37 उम्मीदवार कांग्रेस छोड़कर दूसरी पार्टी में शामिल हो गए. 


कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव: कमान किसी को भी मिले, लेकिन पार्टी की दुर्दशा की ये कहानी जरूर पढ़ें

साल 2014 के बाद से कांग्रेस पार्टी 45 में से 40 विधानसभा चुनाव हार चुकी है. साल 1998 के बाद से लड़ी गई 20,847 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस ने सिर्फ 5,397 पर जीत हासिल की है. 1998 में जब सोनिया ने सत्ता संभाली, तब कांग्रेस के पास 10 राज्यों में मुख्यमंत्री थे. 2006 में यह बढ़कर 16 हो गया. वहीं 2022 में केवल दो राज्यों (छत्तीसगढ़ और राजस्थान) में कांग्रेस के मुख्यमंत्री हैं. 

ये भी पढ़ें:

क्या है ग्लोबल हंगर इंडेक्स, मोदी सरकार ने क्यों किया इसे खारिज?

और देखें
Advertisement

IPL Auction 2025

Most Expensive Players In The Squad
Virat Kohli
₹21 CR
Josh Hazlewood
₹12.50 CR
Rajat Patidar
₹11 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Rishabh Pant
₹27 CR
Nicholas Pooran
₹21 CR
Ravi Bishnoi
₹11 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Jasprit Bumrah
₹18 CR
Suryakumar Yadav
₹16.35 CR
Hardik Pandya
₹16.35 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Heinrich Klaasen
₹23 CR
Pat Cummins
₹18 CR
Abhishek Sharma
₹14 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Ruturaj Gaikwad
₹18 CR
Ravindra Jadeja
₹18 CR
Matheesha Pathirana
₹13 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Shreyas Iyer
₹26.75 CR
Arshdeep Singh
₹18 CR
Yuzvendra Chahal
₹18 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Sanju Samson
₹18 CR
Yashaswi Jaiswal
₹18 CR
Riyan Parag
₹14 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Venkatesh Iyer
₹23.75 CR
Rinku Singh
₹13 CR
Varun Chakaravarthy
₹12 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Rashid Khan
₹18 CR
Shubman Gill
₹16.5 CR
Jos Buttler
₹15.75 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Axar Patel
₹16.5 CR
KL Rahul
₹14 CR
Kuldeep Yadav
₹13.25 CR
View all
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

उद्धव ठाकरे को सीएम बनने का आशीर्वाद देकर आए थे अविमुक्‍तेश्‍वरानंद, अब बताने लगे महाराष्‍ट्र में बीजेपी की जीत का फॉर्मूला
उद्धव ठाकरे को सीएम बनने का आशीर्वाद देकर आए थे अविमुक्‍तेश्‍वरानंद, अब बताने लगे महाराष्‍ट्र में बीजेपी की जीत का फॉर्मूला
कल CM पद से इस्तीफा देंगे एकनाथ शिंदे, नए मुख्यमंत्री के नाम पर सस्पेंस बरकार
कल CM पद से इस्तीफा देंगे एकनाथ शिंदे, नए मुख्यमंत्री के नाम पर सस्पेंस बरकार
IPL 2025 Mega Auction: नीतीश राणा को हो गया भारी नुकसान, आधी हो गई सैलरी, राजस्थान ने 4.20 करोड़ में खरीदा
नीतीश राणा को हो गया भारी नुकसान, मेगा ऑक्शन में आधी हो गई सैलरी
अनुष्का-विराट के बेटे अकाय की फोटो का क्या है सच? क्रिकेटर की बहन ने खोला राज
अनुष्का-विराट के बेटे अकाय की फोटो का क्या है सच? क्रिकेटर की बहन ने खोला राज
Advertisement
ABP Premium

वीडियोज

Maharashtra Cabinet News: महाराष्ट्र में 29 नवंबर को शपथ ग्रहण, जानें कैबिनेट में किसे कितनी जगहIND vs AUS 1st Test: पर्थ टेस्ट में Team India की शानदार जीत, Australia को 295 रनों से हराया | ViratBreaking: अदाणी के मुद्दे को लेकर जंतर मंतर पर युथ कांग्रेस का विरोध प्रदर्शन | Adani CaseAishwarya Sharma ने Salman Khan और Rohit Shetty की Hosting पर बोली ये बात, बताया किसके सामने होती है सबकी बोलती बंद ?

फोटो गैलरी

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
उद्धव ठाकरे को सीएम बनने का आशीर्वाद देकर आए थे अविमुक्‍तेश्‍वरानंद, अब बताने लगे महाराष्‍ट्र में बीजेपी की जीत का फॉर्मूला
उद्धव ठाकरे को सीएम बनने का आशीर्वाद देकर आए थे अविमुक्‍तेश्‍वरानंद, अब बताने लगे महाराष्‍ट्र में बीजेपी की जीत का फॉर्मूला
कल CM पद से इस्तीफा देंगे एकनाथ शिंदे, नए मुख्यमंत्री के नाम पर सस्पेंस बरकार
कल CM पद से इस्तीफा देंगे एकनाथ शिंदे, नए मुख्यमंत्री के नाम पर सस्पेंस बरकार
IPL 2025 Mega Auction: नीतीश राणा को हो गया भारी नुकसान, आधी हो गई सैलरी, राजस्थान ने 4.20 करोड़ में खरीदा
नीतीश राणा को हो गया भारी नुकसान, मेगा ऑक्शन में आधी हो गई सैलरी
अनुष्का-विराट के बेटे अकाय की फोटो का क्या है सच? क्रिकेटर की बहन ने खोला राज
अनुष्का-विराट के बेटे अकाय की फोटो का क्या है सच? क्रिकेटर की बहन ने खोला राज
कैंसर ट्यूमर को फैलने से रोक सकता है कोविड इन्फेक्शन, नई स्टडी में हुए खुलासे से डॉक्टर्स भी हैरान
कैंसर ट्यूमर को फैलने से रोक सकता है कोविड इन्फेक्शन- स्टडी
इस 9-सीटर SUV में एकदम फिट हो जाएगी बड़ी फैमिली, किफायती कीमत के साथ मिलेंगे बेहतरीन फीचर्स
इस 9-सीटर SUV में एकदम फिट हो जाएगी बड़ी फैमिली, किफायती कीमत के साथ मिलेंगे बेहतरीन फीचर्स
8GB RAM और 108MP कैमरा के साथ लॉन्च हुआ HMD Fusion स्मार्टफोन, जानें फीचर्स और कीमत
8GB RAM और 108MP कैमरा के साथ लॉन्च हुआ HMD Fusion स्मार्टफोन, जानें फीचर्स और कीमत
इसे कहते हैं मौत को दावत देना! चलते हुए ई-रिक्शा का बदल दिया टायर, वीडियो देख दंग रह जाएंगे आप
इसे कहते हैं मौत को दावत देना! चलते हुए ई-रिक्शा का बदल दिया टायर, वीडियो देख दंग रह जाएंगे आप
Embed widget