मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने झूठे वादे के बाद यौन संबंध के लिए सहमति को रेप की श्रेणी में माना है. कोर्ट ने मर्द का औरत के सामने सिर्फ उसी से प्यार करने के आश्वासन को सहमति मानने से इंकार कर दिया है. अलगाव से पहले महिला और पुरूष के बीच यौन संबंध पर हाईकोर्ट की बेंच सुनवाई कर रही थी.


आरोप के मुताबिक, पुरूष ने महिला की सहमति से संबंध बनाए थे. दोनों के बीच प्रेम प्रसंग होने के चलते महिला ने शारीरिक संबंध बनाने की इजाजत दी. जबकि महिला ने दावा किया कि उसकी सहमति गलतफहमी का नतीजा थी. चूंकि प्रेमी ने उसे झूठा आश्वान देकर झांसे में लिया कि वो सिर्फ उसी से प्यार करता है, किसी और से नहीं. तर्कों और तथ्यों पर विचार करने के बाद बेंच ने टिप्पणी की, "अगर औरत का पुरूष मित्र के खिलाफ लगाया गया आरोप सही मान लिया जाए तो शुरुआती धारणा यही बनती है कि उसने उसकी बातों पर विश्वास करते हुए यौन संबंध बनाने की इजाजत दी. औरत ने सिर्फ उसके साथ किये गये प्यार के वादे को सच मान लिया." हालांकि ये भी सच है कि शुरुआत में पुरूष ने शादी का इरादा जाहिर नहीं किया था.


ऐसे में औरत शादी से पहले पुरूष की मांग का विरोध कर सकती थी. जिससे दोनों के बीच शारीरिक संबंध नहीं होता. मगर ये उस वक्त हुआ जब औरत के इंकार करने पर पुरूष उसको मनाने के लिए प्रलोभन देने लगा. उसने झूठा आश्वासन देते हुए कहा कि वो उस महिला के अलावा किसी अन्य महिला से प्यार नहीं करता है. मगर महिला ने पुरूष की बातों को सच मानते हुए अपने आप को उसके हवाले कर दिया. बेंच ने माना कि महिला पुरूष से जज्बाती लगाव और प्यार करती थी. मगर इस केस में पुरूष संबंध बनाने के लिए महिला को प्रलोभन देता हुआ नजर आ रहा है. गलतफहमी में सच समझने के लिए पुरूष का आश्वासन औरत के लिए काफी था. कोर्ट ने माना कि झूठे आश्वासन के बाद यौन संबंध के लिए सहमति रेप की श्रेणी में आएगा.